NCCF के खिलाफ लामबंद हुआ उपार्जन अमला

NCCF के खिलाफ लामबंद हुआ उपार्जन अमला

संस्था का आदेश बना गुस्से का कारण, धान खरीदी बंद करने की दी चेतावनी

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश

उमरिया
जिले मे धान का उपार्जन करने आई भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) की कार्यप्रकिया से विवाद बढ़ता ही जा रहा है। ताजा बखेड़ा एजेन्सी के एक पत्र ने खड़ा कर दिया है, जिसमे बारिश से हुई नुकसानी की जिम्मेदारी खरीदी केन्द्रों पर डालते हुए जिम्मेदारों से वसूली की बात कही गई है। इसके विरोध मे उपार्जन अमला सडक़ों पर उतर आया है। सोमवार को कई केन्द्रों के प्रभारियों ने एनसीसीएफ का तगड़ा विरोध करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। इस मौके पर उन्होने साफ तौर पर यह चेतावनी दी कि यदि एनसीसीएफ ने यह विवादास्पद आदेश रद्द नहीं किया तो आगामी 2 जनवरी से जिले मे धान की खरीदी बंद कर दी जायेगी।

गलती एजेन्सी की, हम क्यों भुगतें
ज्ञापन सौंपने के बाद कलेक्ट्रेट मे सहकारी समितियों तथा उपार्जन केन्द्र प्रभारियों ने एनसीसीएफ के पदाधिकारियों पर तानाशाही रवैया अपनाने समेत कई गंभीर आरोप भी लगाये हैं। उन्होने बताया कि जिले के 42 उपार्जन केन्द्रों पर विगत 2 दिसंबर को खरीफ फसल का उपार्जन शुरू हो गया था। धान का परिवहन ट्रांसपोर्टर और मिलर को मिल कर करना है, परंतु एजेन्सी परिवहनकर्ताओं से 18 दिसंबर के बाद अनुबंध कर पाई। जबकि मिलरों से अभी भी एग्रीमेंट नहीं हो पाया है। ट्रांसपोर्टिग नहीं होने से केन्द्रों मे धान का स्टॉक बढ़ता चला गया। इसी दौरान बारिश होने लगी और वहां रखी धान भीग गई। नियमानुसार एनसीसीएफ को तीन दिन के अंदर अनाज का उठाव करना है, जो वह नहीं कर पाई। यह नुकसान एजेन्सी की गलती तथा लापरवाही के कारण हुआ है। अत: नुकसानी की वसूली भी उसी से होनी चाहिये।

एक गाड़ी पर एक हजार की रिश्वत
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि एनसीसीएफ के सर्वेयर अनाज को मनमाने तौर पर कभी पास तो कभी फेल कर देते हैं। उनका कहना है कि एक सर्वेयर उपार्जन केन्द्र पर फसल पर मुहर लगाता है, परंतु जब माल गोडाउन मे पहुंचता है तो ऐजेन्सी का दूसरा सर्वेयर नाज-नखरे करने लगता है। कई घंटे गाड़ी खड़ी रखने और सौदा तय होने के बाद जा कर माल खाली होता है। आरोप है कि सर्वेयरों द्वारा वाहन संचालकों से प्रति गाड़ी एक हजार रूपये सुविधा शुल्क लिया जा रहा है।

तो खड़ी होगी परेशानी
गौरतलब है कि जिले मे इस बार कुल 24073 किसानो ने पंजीयन कराया है। वहीं खरीदी का अनुमानित लक्ष्य 135000 मीट्रिक टन है। 27 दिसंबर तक 12832 किसानो से कुल 74746.3 मीट्रिक टन धान खरीदी की गई है। जिसमे से अभी तक मात्र 32171.1 मीट्रिक टन धान का ही उठाव हो पाया है। जबकि शेष 59.2 प्रतिशत अर्थात 38001.1 मीट्रिक टन धान केन्द्रों मे पड़ी है। दूसरी ओर अभी भी आधे से ज्यादा उपार्जन का कार्य बाकी है। ऐसे मे उपार्जन एजेन्सी को लेकर केन्द्र प्रभारियों मे उपजा असंतोष चिंता का विषय है। यदि जल्दी ही इस विवाद का हल नहीं निकला तो परेशानी बढऩा तय है।

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