132 स्कूलों मे महज 9 प्रिंसिपल
प्रभरियों के भरोसे जिले की शिक्षा व्यवस्था, तबाह हो रहा नौनिहालों का भविष्य
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
जीवन मे शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके बगैर कोई भी व्यक्ति, समाज या देश संपूर्ण नहीं हो सकता। यही कारण है कि अनादि काल से यहां तक स्वयं ईश्वर ने भी गुरूकुल और आश्रमो मे शिक्षागृहण कर इसके महात्म का संदेश दिया। एक ओर जहां पूरी दुनिया अपने भविष्य को आने वाली चुनौतियों के लिये तैयार करने की जद्दोजहद मे जुटी हुई है, हमारा देश अपनी ही ढपली और राग मे मस्त है। सरकार की उदासीनता ने शिक्षा को व्यवसायीकरण की होड मे धकेल दिया है। इस व्यवस्था मे केवल वही आगे बढ सकते हैं, जिनके पास ढेर सारा धन और रसूख हो। उमरिया जैसे जिलों मे स्कूल एक जर्जर बिल्डिंग को कहते हैं, जहां न शिक्षक हैं, नां ही कोई संसाधन। जो बचा-कुचा स्टाफ है भी, उससे पढाई छोड कर शेष सारे काम करवाये जाते हैं, इसी का नतीजा इस वर्ष कक्षा 10वीं और 12वीं के रिजल्ट के रूप मे सामने है, जिसमे उमरिया सबसे निचली पायदान पर रहा।
इस बार भी नहीं हुई भर्तियां
सूत्रों के मुताबिक जिले मे लगभग 130 से भी अधिक हाई व हायर सेकेण्ड्री स्कूल हैं, इनमे से महज 9 स्थानो पर ही प्राचार्य पदस्थ हैं। अन्य सभी स्कूलों मे वरिष्ठ शिक्षकों को प्रिंसिपल का प्रभार दिया गया है। उम्मीद थी की इस बार भर्तियां होंगी, जिससे व्यवस्था को सुचारू किया जा सकेगा, परंतु ऐसा नहीं हो सका। शासन स्तर पर पर प्राचार्य के स्थान सहायक संचालकों की भर्तियां की गई। अब हालत यह है कि बच्चों की स्टेऊथ के हिसाब से कहीं पर भी शिक्षक और स्टाफ उपलब्ध नहीं हैं। यही स्थिति उच्च शिक्षा की भी है। जानकारी मिली है कि सरकार ने जिले मे 4 और सीएम राईज स्कूलों की घोषणा की है, जो चंदिया, कौडिया-सलैया, पाली-दुब्वार और नौरोजाबाद मे खोले जायेंगे। इससे पहले करकेली, मानपुर और बरबसपुर मे ये स्कूल संचालित हैं परंतु सभी स्थानो पर संसाधनो की भारी कमी है। बडे-बडे भवन खडे करने से ज्यादा जरूरी पूर्व से स्थापित संस्थाओ मे जरूरी सुविधायें और शिक्षक मुहैया कराना है। इसके बिना हालत मे सुधार की कल्पना बेमानी है।
चुनावों ने किया बेडागर्क
जिले मे माशिम परीक्षा परिणामो के ध्वस्त होने के लिये चुनाव भी कम जिम्मेदार नही हैं। बीते लगभग तीन सालों मे निरंतर पंचायत चुनाव, नगरीय निकाय चुनाव फिर विधानसभा और अब लोकसभा चुनाव कराये गये हैं। अन्य विभागों की तरह शिक्षा विभाग को भी इसमे झोंक दिया गया। यहां तक बच्चों से भी सारे काम छोड दो, सबसे पहले वोट दो के नारे लगवाये गये, रैलियां निकाली गई। आयोग के आदेश पर बच्चों ने सारे काम छोड दिये और नतीजा यह हुआ कि आधे से अधिक छात्र फैल हो गये। यह भी कहा जाता है कि चुनावों की वजह से परीक्षायें आनन-फानन मे मार्च की बजाय फरवरी मे कराई गई, जिससे छात्रों की पढाई व तैयारी मे एक महीने की कटौती हो गई, इससे भी उन्हे काफी नुकसान हुआ है।
अब नर्सरी क्लास शुरू करने की तैयारी
इसी बीच यह भी खबर मिली है कि अब राज्य के सरकारी स्कूलों मे भी 3 साल की उम्र से बच्चों की पढ़ाई शुरू होगी। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के तीन हजार से अधिक सरकारी स्कूलों मे नर्सरी क्लासेस शुरू करने का फैसला किया है, जिसमें तीन साल या अधिक उम्र के बच्चों को एडमिशन दिया जा सके। इसके लिए प्रवेश प्रक्रिया 15 जून 2024 से शुरू की जाएगी। अब सवाल उठता है कि पहले से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा महकमा इस नई व्यवस्था को कैसे लागू कर पायेगा।