हाथियों को देख भागता रहा छोटा भीम
नहीं मिला बांधवगढ़ का घायल बाघ, आज फिर होगी तलाश
बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी
मध्यप्रदेश
उमरिया
मानपुर। जिले के बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व का घायल बाघ अब तक अमले की पकड़ मे नहीं आ सका है। मंगलवार को दो हथियों, रेस्क्यू टीम, ट्रैंक्यूलाईज विशेषज्ञों, चिकित्सकों, अधिकारियों सहित पार्क के सैकड़ों कर्मचारी दिन भर कोशिश करते रहे परंतु उसका कहीं पता नहीं चल सका। बताया गया है कि इस दौरान एक-दो बार बाघ दिखा भी परंतु व तेजी से जंगल की ओर भाग गया। उल्लेखनीय है कि उद्यान के सलखनियां तथा डमडमा इलाके मे अपनी टेरीटेरी बना चुके चार साल के इस बाघ को छोटा भीम के नाम से भी जाना जाता है।
सैलानियों ने देखी लोहे की रिंग
विगत दिवस भ्रमण पर निकले कुछ सैलानियों द्वारा खितौली रेंज मे इसे देखा गया था। इसी दौरान उनकी नजर बाघ के गले मे फंसी लोहे का रिंग पर पड़ी। जिसने वह जख्मी हो गया था। यह सूचना मिलते ही प्रबंधन सक्रिय हो गया। मंगलवार की सुबह वरिष्ठ अधिकारी, दो हाथियों तथा पूरी रेस्क्यू टीम के सांथ मौके पर पहुंच गये। घंटों की मशक्कत के बाद भी बाघ का रेस्क्यू नहीं किया जा सका है।
अभी बिगड़ा नहीं है मामला
सूत्रों के मुताबिक तलाशी के दौरान जंगल मे एक दो बार छोटे भीम की लोकेशन तो मिली पर वह तेजी के सांथ आंखों से ओझल हो गया। बताया जाता है कि शुरूआत से ही यह बाघ वाहनो के सामने तो तन कर खड़ा हो जाता है लेकिन हांथियों से परहेज करता है। उन्हे देखते ही यह दौड़ कर दूर चला जाता है। वहीं अधिकारी बाघ के दौडऩे को राहत भरा संकेत बता रहे हैं। उनका मानना है कि घायल बाघ अभी स्वस्थ्य है, और मामला अभी बिगड़ा नहीं है। यदि बाघ के गले मे फंसी रिंग निकाल कर इलाज कर दिया जाय तो वह स्वस्थ्य हो सकता है।
जानवरों को फांसने लगाते हैं फंदा
बताया जाता है कि नेशनल पार्क से सटे गावों मे लोग चीतल, सांभर, सुअर आदि जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिये खेतों के आसपास बिजली का करंट तथा फंदा लगाने जैसे उपाय करते हैं। कई बार इनमे बाघ, तेंदुआ जैसे वन्यजीव भी फंस जाते हैं। इसे लेकर वन विभाग लगातार लोगों को समझाईश भी दे रहा है, परंतु ग्रामीण इस तरह की गतिविधियां बंद नहीं कर रहे। समझा जाता है कि छोटा भीम भी ऐसे ही किसी फंदे का शिकार हुआ है।
जल्द रेसक्यू का प्रयास
विभाग जल्द से जल्द घायल बाघ का रेस्क्यू व उपचार करने की कोशिश मे जुटा हुआ है। गत दिवस काफी प्रयास के बाद भी इसमे सफलता नहीं मिल सकी। आज टीम मे 4 हाथियों को शामिल कर इस कार्य को पूरा किया जायेगा।
पीके वर्मा
उप संचालक
बां.टा.रि. उमरिया