सजे दुकानो को ग्रांहक का इंतजार
बाजार के माहौल से घबराये दुकानदार, बुकिंग और इंक्वायरी मे कमी
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
देवशयनी एकादशी के बाद से सुस्त पड़े बाजार अब धनतेरस और दीपावली के लिये तैयार हो चुके हैं। व्यापारियों ने भी अच्छे कारोबार की उम्मीद से माल की जम कर स्टॉकिंग की है। विशेष कर आटोमोबाईल, इलेक्ट्रानिक उपकरण, बर्तन, कपड़ा और किराना से ले कर पटाखे और सजावट की सामग्री के प्रतिष्ठानो मे जोरदार रौनक दिखाई दे रही है। हलांकि ग्रांहकी फिलहाल पूरी तरह शांत हैं और इन्क्वारी भी बेहद कम है। जिसकी वजह से दुकानदार घबराये हुए हैं। बांधवभूमि के प्रतिनिधियों द्वारा जिले के अलग-अलग हिस्सों मे व्यापारियों से जब चर्चा की तो उनका कहना था कि धनतेरस मे अब सिर्फ तीन दिन ही रह गये हैं। उधर कारोबारी सूत्रों का कहना है कि अमूमन इस त्यौहार से पहले वाहन, फ्रिज, टीवी, ज्वेलरी आदि के संस्थानो मे पूंछतांछ शुरू हो जाती है। इतना ही नहीं लोग अपने पसंद के सामानो की बुकिंग भी करने लगते हैं, परंतु इस बार ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है।
फसलों की नुकसानी का असर
जानकारों का मानना है कि इस बार फसलों की स्थिति भी ज्यादा बेहतर नहीं है, जिसका असर व्यापार पर पडऩा तय है। बताया गया है कि जिले मे धान के अलावा सोयाबीन, उड़द सहित कई दलहनी फसलें कीट-व्याधि के कारण खराब हो गई हैं। इनमे धान तो दीपावली के बाद ही आती है, परंतु नगदी फसलों मे शुमार सोयाबीन और उड़द त्योहार से पहले किसानो के जेब को मजबूत कर देती है, लेकिन इस बार उनके हांथ खाली हैं।
सरकारी योजनायें ठप्प
व्यापार को उछाल देने मे उद्योग धंधों के अलावा सरकारी योजनाओं का बड़ा हांथ होता है। पिछले कई वर्षो से शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों मे चलने वाले कई तरह के निर्माण कार्यो के चलते मजदूरों और ठेकेदारों को अच्छी खासी आय हो रही थी, परंतु लाडली बहना जैसी लोकलुभावन नीतियों के कारण सरकार की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। जिले के कई विभागों मे अरसे से कोई आवंटन नहीं आया है। ये सब कारण व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।
ऑन लाईन कारोबार ने बैठाया भट्ठा
मंहगाई और बेरोजगारी के बाद अगर किसी चीज ने व्यापार को सबसे ज्यादा तबाह किया है, वह ऑनलाईन कारोबार है। बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने हर क्षेत्र मे अपना जाल फैला लिया है। जो खाने से लेकर किराना, जूता, दवा, पान मसाले, कपड़े तथा रोजमर्रा की हर छोटी-बड़ी चीज घर बैठे पहुंचा रही हैं। एक ओर जहां बाजार मे बैठे व्यापारी को दुकान का किराया, बिजली का बिल, कर्मचारी का वेतन, हम्माली से लेकर दुनिया भर का खर्च उधारी, गारंटी, मोलभाव और ग्रांहकों का हर तरह का नाज-नखरा सहना पड़ता है, वहीं ऑन लाईन व्यापारी बिना किसी व्यवस्था के लाखों रूपये का बिजनेस कर लेते हैं। दूसरी ओर प्रत्येक दुकान अपने मालिक के सांथ औसतन दो कर्मचारियों का जीवन-यापन करता है। इस तरह से ऑनलाईन कम्पनियों ने व्यापारियों के सांथ ही असंगठित क्षेत्र की हजारों नौकरियां भी खा ली हैं।