सीजन का सबसे सर्द दिन रहा रविवार
जिले का पारा लुढक़ कर 2.3 पर, ठंड से जनजीवन प्रभावित
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे ठंड का कहर बढ़ता ही जा रहा है। बीता रविवार इस सीजन का सबसे सर्द दिन रहा। इस दौरान पारा लुढक़ कर 2.3 पर जा पहुंचा। इससे पहले न्यूनतम तापमान 2.8 डिग्री रहा है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर का दूसरा सप्ताह शुरू होते ही गलाव वाली कडक़ड़ाती ठंड ने अपना रूतबा दिखाना शुरू कर दिया है। विगत दो-तीन दिनो से यह अपने पूरे शबाब पर है। कई क्षेत्रों मे सुबह-सुबह वाहनो तथा खेतों मे पतली बर्फ जमी देखी जा रही है। इतना ही नहीं दोपहर मे भी शीतलहर से बचने के लिये नागरिक घरों से बाहर निकल कर धूप का सहारा ले रहे हैं। जबकि शाम होते ही सर्दी अचानक बढ़ जाती है। जिसकी वजह से शहर मे रात 8 बजे ही सडक़ों सुनसान हो जाती हैं। जबकि ग्रामीण अंचलों मे लोग और जल्दी घरों मे दुबकने को मजबूर हो रहे हैं।
यलो अलर्ट जारी
उधर मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के दौरान उमरिया सहित राज्य के कई जिलो मे शीतलहर चलने की संभावना जताई है। विभाग ने उमरिया, नर्मदापुरम, बड़वानी, रतलाम, देवास, मंदसौर, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, सिंगरौली, रीवा, मऊगंज, सतना, अनुपपुर, कटनी, सिवनी, मंडला, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और मैहर जिलों मे यलो अलर्ट जारी किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन क्षेत्रों मे ठंडी हवाओं के कारण शीतलहर की स्थिति बनी रह सकती है।
सावधानी की अपील
मौसम विभाग ने लोगों को ठंड से बचने के लिए जरूरी सावधानियां बरतने की सलाह दी है। खासकर सुबह और रात के समय घर से बाहर निकलते समय गर्म कपड़े पहनने और हीटर का इस्तेमाल करने की अपील की गई है। आने वाले दिनों में ठंड का प्रकोप और बढऩे की संभावना है।
स्वास्थ्य विभाग ने चेताया
जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मुकुल तिवारी ने नागरिकों से शीतघात व शीतलहर को लेकर पर्याप्त सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि शीत ऋतु में वातावरण का तापमान अत्यधिक कम होने पर शीत लहर का चलना प्रारंभ हो जाता है। जिसके कारण मानव स्वास्थ्य पर अनेक विपरीत प्रभाव जैसे सर्दी जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफड़ों का संक्रमण, हाईपोथर्मिया, अस्थमा, एलर्जी आदि होने की आशंका बनी रहती है। शीतलहर से बचने के लिए गर्म एवं ऐसे कपड़े जिनमे कई परतें होती है, अत्यधिक प्रभावी होते हैं। ठण्ड से बचाव के लिये रजाई, कंबल, स्वेटर जैसे गर्म कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिये। मफलर, आवरण युक्त जलरोधी जूतों भी काफी प्रभावी होते हैं।