लक्ष्मी बाई, दुर्गावती और अहिल्या बाई की अवतार है रेखा सिंह
फौजी पति की शहादत के बाद स्वयं को सम्हाला और फिर सेना में भर्ती होकर सबसे दुरूह स्थान लेह घाटी में कर रहीं हैं देश की चौकसी
बांधवभूमि, उमरिया
पति की शहादत के बाद बहुत से परिवारों को टूटते हुए देखा है, लेकिन लेफ्टिनेंट रेखा सिंह जैसा जज्वा बिरला ही देखने को मिलता है। हमने इतिहास में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गा वती, अहिल्या बाई की कहानियाँ पढी हैं, जो नारी सशक्तिकरण और देशभक्ति की मिशाल हैं। उमरिया जिले की धमोखर निवासी रेखा सिंह की कहानी भी इनसे कम नहीं है। रेखा सिंह का जन्म उमरिया जिले के धमोखर ग्राम में हुआ, पिता शिवराज सिंह पेशा से शिक्षक थे, उनके 6 बेटियां हैं, माता ऊषा सिंह और पिता ने मिलकर बेटियों को शिक्षा, संस्कार तथा अनुशासन का पाठ पढाया। इसमें सरस्वती स्कूल मानपुर का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
इन्ही बेटियों में से चौथी बेटी रेखा सिंह है। प्रारंभिक शिक्षा मानपुर सरस्वती स्कूल से प्राप्त करने के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए भोपाल चली गई, यही से बरकतुल्ला विश्व विद्यालय से भौतिक शास्त्र में एम एस सी बीएड् करने के बाद नवोदय विद्यालय में अतिथि शिक्षक बन गई। पिता ने 30 नवंबर 2019 को रेखा की शादी बडे धूमधाम से रीवा जिले के फरेदा ग्राम निवासी दीपक सिंह से कर दी। जो सेना में नर्सिंग स्टाफ में थे, उनके मन में देश के लिए कुछ करने का जज्बा सवार था। उनके बडे भाई भी सेना मे जवान थे ।
पांच महीने में ही छूटा साथ
रेखा सिंह का जन्म उमरिया जिले के धमोखर ग्राम में हुआ, पिता शिवराज सिंह पेशा से शिक्षक थे, उनके 6 बेटियां हैं, माता ऊषा सिंह और पिता ने मिलकर बेटियों को शिक्षा, संस्कार तथा अनुशासन का पाठ पढाया। इन्ही बेटियों में से चौथी बेटी रेखा सिंह है। शादी के 5 महीने बाद ही दीपक सिंह 15 जून 2020 को गलवान घाटी में शहीद हो गये।
इस बीच रेखा का चयन माध्यमिक शिक्षक में हो गया, उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी थी। पति के शहीद होने के बाद उनका जीवन ही बदल गया, प्रशासनिक अधिकारी की लालसा छोड़ दिया, बहन से सारी किताबों को पैक करा दिया, बहन ने जब यह बात पिता जी को बतायी तो उन्होंने कहा कि यह होनहार बेटी है, वह अपना निर्णय खुद लेगी।
और बन गई लेफ्टिनेंट
इस बीच रेखा सिंह ने एस एस बी की तैयारी शुरू कर दी, दूसरे ही प्रयास में उनका चयन हो गया, वह प्रशिक्षण लेने चेन्नई पहुँच गयी। एक साल बाद 29 अप्रैल 2023 को सेना से कमीशन प्राप्त हो गया। वह लेफ्टिनेंट रेखा सिंह के नाम से जानी जाने लगीं। रेखा सिंह ने जिद करके पहली पोस्टिंग वही करायी जहाँ पति ने शहादत दी थी, वर्तमान में वह लेह घाटी में अपनी सेवायें दे रहीं हैं।
पिता शिवराज बहादुर सिंह ने बताया कि बेटी रेखा ने एन सी सी की बी एवं सी सर्टिफिकेट प्राप्त की थी, तभी से उनके मन में देश भक्ति का जज्बा भर गया था, बेटी अत्यंत प्रतिभाशाली थी, जब भी परीक्षा दी सफलता ही हाथ लगी।
अभी भी संभालती हैं घर की जिम्मेदारी
माँ ऊषा सिंह बताती हैं, रेखा सभी 6 बेटियों में सबसे समझदार तथा प्रतिभाशाली एवं शांत स्वभाव की थी, सभी बहनों को मिलाकर रखना, पढाई के साथ मां के काम में हाथ बंटाना उसकी आदत थी, सेना में उच्च पद पर चयन होने के बाद जब अवकाश में आतीं है तो घर की सफाई से लेकर भोजन बनाने आदि का कार्य स्वयं करती है। सभी 6 बहने वंदना, पूजा, संध्या, रेखा, प्रतीक्षा, मोनिका उच्च शिक्षा के बाद शासकीय सेवा में है।
उमरिया जिले की लक्ष्मी बाई पर जिला वासियों को गर्व है, ऐसी वीरांगना को स्वत्रंता दिवस के अवसर जिला वासी शत् शत् नमन करते है। उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।