रिसोर्टो के कचरे से पटा बांधवगढ़

रिसोर्टो के कचरे से पटा बांधवगढ़

हालात नियंत्रण से बाहर, अब तक नहीं हो पाई निष्पादन की व्यवस्था

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश

उमरिया
अपने सुरम्य वातावरण, वन और दुर्लभ जीवों के लिये देश तथा दुनिया भर के सैलानियों को आकर्षित करने वाले बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के लिये रिसोर्टो से निकला कचरा बड़ी समस्या बन गया है। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड का मानना है कि बांधवगढ़ मे प्रतिदिन एक टन यानी एक हजार किलो कचरा निकलता है। हलांकि राज्य के अन्य उद्यानो मे भी यही स्थिति है। कान्हा मे यह मात्रा कुछ ज्यादा है। जबकि पेंच टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा भी इससे पीछे नहीं हैं। पन्ना और संजय धुबरी सहित सिर्फ  पुराने छह टाइगर रिजर्व मे ही सात टन से अधिक कचरा रोजाना निकलने की बात कही गई है। जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के टाईगर रिजर्वो के आसपास स्थित करीब साढ़े तीन सौ से ज्यादा रिसोर्ट से निकलने वाले कचरे के निष्पादन की बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण जंगल प्रभावित हो रहे हैं। इस गंदगी के निपटारे के लिये टूरिज्म बोर्ड ने एक त्रिपक्षीय एमओयू साईन किया है।

छुट्टियों मे बढ़ जाती है मात्रा
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की अपर प्रबंध संचालक बिदिशा मुखर्जी ने बताया कि बांधवगढ़ मे 56 रिसोर्ट है जिससे प्रतिदिन एक टन कचरा निकलता है। छुट्टियों मे जब पर्यटकों का दबाव बढ़ता है तो यह मात्रा और बढ़ जाती है। मध्यप्रदेश के दूसरे टाइगर रिजर्व मे भी इसी तरह से कचरा निकलता है। टाइगर रिजर्वों मे रिसोर्टों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे कचरे की मात्रा और बढ़ेगी।

बफर का जंगल भी प्रभावित
टाइगर रिजर्व के कोर मे तो फिर भी गाइड और जिप्सी चालक पर्यटकों को जंगल मे कचरा फेंकने से रोक लेते हैं, लेकिन हर बार वे भी सफल नहीं हो पाते। जबकि बफर जोन मे फैलने वाले कचरे को रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है। खासतौर से उन क्षेत्रों मे जहां जंगल के अंदर गांव बसे हुए हैं वहां लोग कचरा फेंक रहे हैं। गांव के लोग तो गंदगी फैलाते ही हैं साथ ही इन क्षेत्रों मे प्रवेश पर रोक नहीं होने के कारण आम लोग भी कचरा फैला जाते हैं।

जानवरों को भारी नुकसान
जंगल मे फेंके जाने वाले कचरे के कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इसकी वजह से कई तरह के पक्षी समाप्त होते जा रहे हैं। मरे हुए मवेशियों और दूसरे पालतू जानवरों को खाने वाले गिद्धों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। विशेषज्ञों का मत है कि मवेशियों को दी जाने वाली दवाओं के कारण ही उनके शव खाने वाले गिद्ध प्रभावित हुए हैं। वहीं आसपास पड़े कचरे को पक्षी उठाकर जंगल के अंदर पहुंचा देते हैं इससे भी काफी नुकसान होता है।

चलाया जाता है अभियान
बांधवगढ़ मे ताला के मध्य से निकलने वाली सडक़ के दोनों तरफ लोग कचरा फेंक देते हैं जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए। इसको जंगल से उठाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। कचरे को उठाने के लिए विभाग की ओर से समय-समय पर अभियान चलाया जाता है।
पीके वर्मा
उप संचालक
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व

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