रामनवमी पर भी खुले बांधवगढ़ किला
पूर्व रीवा रियासत के महाराज पुष्पराज सिंह ने पत्र लिख की प्रधानमंत्री से मांग
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित किले को हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहार श्रीराम नवमी पर भी खोलने की मांग एक बार फिर जोर पकडऩे लगी है। इस बार पूर्व रीवा रियासत के महाराज पुष्पराज सिंह ने खुद इस मुद्दे को उठाया है। श्री सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत को भी इस बाबत पत्र लिखा है। जिसमे बांधवगढ़ किले तथा बांधवाधीश मंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि रामनवमी पर भी श्रद्धालुओं और क्षेत्रीय नागरिकों को बांधवगढ़ मे प्रवेश दिया जाय ताकि वे अपनी आस्था अनुसार भगवान की पूजा-अर्चना कर सकें।
वर्षो तक लगता रहा मेला
दरअसल बांधवगढ़ किले और वहां बिराजे बांधवाधीश महाराज के प्रति उमरिया सहित विंध्य क्षेत्र के कई जिलों के जनता की अपार आस्था है। सैकड़ों वर्षो से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दौरान हजारों की तादाद मे श्रद्धालु किले पर पहुंच कर मंदिर मे भगवान की पूजा-अर्चना करते चले आ रहे हैं। जानकार बताते हैं कि पहले जन्माष्टमी पर बांधवगढ़ मे तीन दिन तक मेला लगता था। इस अवसर पर लोग रात दिन वहीं रह कर त्यौहार मनाते थे। जबकि श्रीराम नवमी मे भी श्रद्धालुओं को किले पर जाने की छूट थी। यह सिलसिला 80 के दशक तक अनवरत चलता रहा, परंतु टाईगर रिजर्व बनने के बाद से नियमो मे कड़ाई शुरू हुई। पहले जन्माष्टमी पर मेले की अवधि घटा कर मात्र एक दिन की गई। जबकि रामनवमी पर तो प्रवेश पूरी तरह बंद ही कर दिया गया।
मीलों पैदल चल कर पहुंचते श्रद्धालु
उल्लेखनीय है कि भगवान बांधवाधीश के दर्शन के लिये लोग साल भर जनमाष्टमी का इंतजार बेसब्री से करते हैं। इस दिन विभिन्न अंचलों से आये श्रद्धालु सुबह पैदल किले के लिये रवाना होते हैं। हजारों की संख्या मे पुरूष ही नहीं महिलायें, बुजुर्ग, युवा तथा बच्चे भी दुर्गम रास्ता तय कर पहाड़ के ऊपर बने मंदिर पर पहुंच कर भगवान की पूजा करते हैं। मंदिर मे भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी की आकर्षक मूर्तियां हैं। मान्यता है कि बांधवाधीश के दरबार मे हाजिरी वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा किले पर रियासत कालीन कई भवन, कार्यालय, भगवान विष्णु के सभी अवतारों सहित अन्य प्रतिमायें, गुफायें, दर्जनो तालाब तथा अनेक प्रकार की ऐतिहासिक संरचनायें भी मौजूद हैं, जो उपेक्षा के कारण खण्डहर मे तब्दील हो चुके हैं।
क्या है पत्र मे
तत्कालीन रीवा राज्य के महाराज पुष्पराज सिंह ने पीएम, सीएम तथा मोहन भागवत को लिखे पत्र मे कहा है कि उनके पूर्वज श्रीराम के अनन्य भक्त थे। जिन्होने 13वीं से 17वीं शताब्दी तक बांधवगढ़ के बाद रीवा मे राजधानी स्थापित की। आज भी हम सब की श्रद्धा बांधवगढ़ किले पर स्थित मंदिर से जुड़ी हुई है। जनश्रुति के अनुसार भगवान श्रीराम ने बांधवगढ़ अपने भाई लक्ष्मण जी को दिया था। किले के अंदर प्राचीन राम मंदिर है, जो लाखों आदिवासी एवं जन सामान्य की आस्था का केंद्र है। वर्तमान मे यह मध्यप्रदेश के वन विभाग के अंतर्गत है। विभाग द्वारा इसे आम लोगों के लिये केवल जन्माष्टमी को खोला जाता है। जबकि राम मंदिर रामनवमी के दिन खुलना चाहिये। अत: आस्था के महत्वपूर्ण बिंदु को संज्ञान मे लेते हुए भगवान श्रीराम के इस प्राचीन मंदिर को रामनवमी पर खुलवाने की महती कृपा करें।

