यात्री ट्रेने बंद, मालीगाड़ी थ्रू
रेलवे का तमाशा जारी, खून के आंसू रूला रही इंटरलॉकिंग
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
वर्षो बीत जाने के बाद भी रेलवे की इंटरलॉकिंग पूरी होने का नाम नहीं ले रही। शायद ही ऐसा कोई महीना होगा, जिसमे इस तमाशे के नाम पर दर्जनो यात्री ट्रेनो को रद्द न किया गया हो। नेतृत्व शून्य शहडोल संभाग की हालत तो और भी बदतर है। चाहे गाडिय़ों की लेट-लतीफी हो या कोरोना के बाद छीने गये ट्रेनो का स्टापेज। हर समस्या के लिये नागरिकों को खुद ही जूझना पड़ रहा है। इन दिनो भी यात्रियों को ऐसी ही स्थिति से दो चार होना पड़ रहा है। विगत करीब एक महीने से क्षेत्र की अत्यंत महत्वपूर्ण गाडिय़ां बंद हैं। जिसकी वजह से लोग कटनी और बिलासपुर जा कर ट्रेने पकडऩे को मजबूर हैं। जबकि सतना, कटनी, जबलपुर, शहडोल तथा अनूपपुर आदि के बीच आवागमन के लिये यात्री बस, ट्रक और टेक्सियों पर निर्भर हैं। जिले से गुजरने वाली बसें ठसाठस हैं और घंटों मे खत्म होने का सफर पूरा दिन चल रहा है।
गुड्स मार रही सेंचुरी
इस पूरे घटनाक्रम मे कई आश्चर्यजनक सवाल हैं, जिनके बारे मे पूंछते ही रेलवे के अधिकारी बगलें झांकने लगते हैं। उनमे से सबसे ज्वलंत प्रश्न मालगाडिय़ों के अनवरत संचालन का है। सूत्रों के मुताबिक जहां इंटरलॉकिंग के नाम पर बिलासपुर-कटनी मार्ग की करीब 20 ट्रेने अभी भी रद्द हैं, वहीं मालगाडिय़ां थुरू चल रही हैं। जानकारों ने बताया कि वर्तमान समय मे 24 घंटों के दौरान करीब 100 से ज्यादा गुड्स बिना रोकटोक के निकल रही हैं। तो क्या इंटरलॉकिंग सिर्फ यात्री ट्रेनो को लॉक करता है?? ..अथवा, यह सिर्फ एक बहाना है, असली बात तो धन्नासेठों का कोयला पहुंचाना है।
नर्मदा बंद होने से ज्यादा परेशानी
रेलवे द्वारा तीसरी लाईन को जोडऩे के बहाने इस क्षेत्र की जीवन रेखा मानी जाती इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस को बार-बार बंद करना नागरिकों को बेहद नागवार गुजर रहा है। उनका कहना है कि शाम को जबलपुर, भोपाल, उज्जैन जाना हो, या फिर इन जगहों से वापस उमरिया, शहडोल और बिलासपुर की यात्रा। नर्मदा से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। इसके रद्द होने से सारा काम ही बिगडऩे लगता है। इंटरलॉकिंग के कारण नर्मदा के अलावा भोपाल-बिलासपुर, रीवा-बिलासपुर, रीवा-चिरमिरी, कटनी-चिरमिरी पार्सल, चंदिया-चिरमिरी, अंबिकापुर-जबलपुर, जयपुर-दुर्ग, अजमेर-दुर्ग तथा हाल ही मे शुरू हुई नागपुर-शहडोल भी बंद कर दी गई है।
तो चलता रहेगा यही बखेड़ा
रेलवे से जुड़े सूत्रों का दावा है कि मार्च के महीने मे ही पाली के आगे मुंदरिया स्टेशन पर इंटरलॉकिंग का काम होना है। यदि नहीं तो अप्रेल मे अनिर्वायत: यह काम किया जायेगा। ऐसे मे एक बार फिर ट्रेनो को रोकना पड़ेगा। इसी साल उमरिया, करकेली, नौरोजाबाद और बिरसिंहपुर मे भी तीसरी लाईन को पुरानी पटरियों से जोड़ा जाना है। इसके सांथ ही झलवारा मे तैयार चौथी लाईन को सिंगरौली से आने वाले ट्रैक से मिलाया जाना है। मतलब, यह बखेड़ा अभी खत्म नहीं होने वाला, बल्कि आने वाले कई महीने यात्रियों को इस समस्या का दंश भुगतना पड़ेगा।