बांधवगढ़ मे गूंजेगी कबीर की वाणी

बांधवगढ़ मे गूंजेगी कबीर की वाणी

सत्संग और प्रवचन के सांथ होगा शुभारंभ, हजारों श्रद्धालु करेंगे गुफा के दर्शन 

बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी

मध्यप्रदेश

उमरिया
मानपुर।
जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मे कबीर मेले का आयोजन पूर्व वर्षो की भांति इस साल भी परंपरागत तरीके से किया जायेगा। कार्यक्रम का शुभारंभ आज 14 दिसंबर को ताला स्थित कबीर मंदिर मे सत्संग व प्रवचन के सांथ होगा। इस मौके पर गुरू महिमा पाठ, पूनोमहात्तम पाठ तथा दर्शन यात्रा होगी। जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 8 बजे से श्रद्धालुओं को मुख्य ताला गेट से प्रवेश कराया जावेगा। श्रद्धालु पार्क के अंदर स्थित कबीर तलैया, गुफा चबूतरा आदि पवित्र स्थानों का दर्शन करेंगे। जबकि शाम को ऐतिहासिक चौंका आरती की जायेगी। अगहन मास की पूर्णिमा पर प्रतिवर्ष बांधवगढ़ मे संत कबीर के श्रद्धालुओं का समागम होता है। जिसमे शामिल होने मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान आदि विभिन्न प्रांतों से भारी तादाद मे लोग आते हैं। पूजा अर्चना के बाद शाम 4 बजे सभी श्रद्धालु पार्क से बाहर हो जायेंगे।

संत के पहले और अंतिम शिष्य
गौरतलब है कि दुनिया को आडंबर त्यागने और मानवता का संदेश देने वाले महान संत कबीर दास जी ने अपने जीवन काल मे जिन एकमात्र व्यक्ति को अपना शिष्य माना था, वे संत धर्मदास थे। उन्ही की याद मे प्रत्येक वर्ष मेले का आयोजन होता है। इस धार्मिक समारोह मे महाराज धर्मदास के वंशज और दामाखेड़ा आश्रम के संत प्रकाशमुनि साहेब और देश-विदेश से आये हजारों अनुयाई शिरकत करते हैं।

खजांची से संत बनने का सफर
कहा जाता है कि अध्यात्म के जानकार महान संत धर्मदास रीवा राज के खजांची थे, बांधवगढ़ किले मे ही उनका निवास स्थान था। कालांतर मे रीवा नरेश काशी गये, तो वहां के राजा ने उनकी मुलाकात कबीर दास जी से कराई। इसी दौरान उन्होने कबीर को बांधवगढ़ आने का निमंत्रण दे दिया। राजा के आग्रह पर वे बांधवगढ़ आये और यहीं उनकी भेंट धर्मदास से हुई। इतिहास के जानकारों के मुताबिक कबीर दास धर्मदास के ज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उन्हे अपना शिष्य बना लिया। जो कबीर दास के पहले और अंतिम शिष्य कहलाये।

शुरू हुआ साहब सलाम का अभिवादन
विंध्य क्षेत्र को गौरवशाली रीवा रियासत, सफेद शेर, सुरम्य वन, दुर्लभ वन्य जीवों, अपनी पुरातन संस्कृति और अत्यंत मधुर बघेली बोली के अलावा साहब सलाम के अभिवादन के लिये भी जाना जाता है। जो कि संत कबीर से प्राप्त हुआ है। कबीर दास, साहेब अर्थात परमात्मा को सलाम कह कर उनकी बंदगी करते थे। जानकारों का मानना है कि बांधवगढ़ आगमन पर रीवा नरेश को संत का यह अभिवादन इतना भाया कि उन्होने भी इसे अपनाने का फैंसला कर लिया। इससे पहले यहां के लोग जय श्रीकृष्ण से परस्पर अभिवादन करते थे।

किये गये व्यापक इंतजाम
कबीर मेले को व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने बांधवगढ़ मे व्यापक तैयारियां की गई हैं। टाईगर रिजर्व के उप संचालक पीके बर्मा ने बताया है कि शनिवार को कबीर साहेब की बंदगी के अवसर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिये वरिष्ठ अधिकारियों सहित 200 कर्मचारियों को तैनात किया जायेगा। सांथ ही पूरे समय गश्ती के लिये हांथियों के अलावा 5 वाहनों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा कार्यक्रम स्थल एवं मार्ग पर पानी के टैंकर तथा एंबुलेंस आदि का इंतजाम भी किया गया है।

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