फिर बाघ के हमले का शिकार हुए तेंदूपत्ता संग्राहक

फिर बाघ के हमले का शिकार हुए तेंदूपत्ता संग्राहक

अर्जुनी के बाद जिले के सुखदास मे हुई घटना, दो ग्रामीणों को किया जख्मी

बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष

मानपुर। जिले के जंगलों मे विचरण कर रहे हिंसक पशुओं और इंसानों के बीच संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को पाली जनपद के अर्जुनी ग्राम मे हुई घटना के बाद दूसरे ही दिन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर क्षेत्र मे एक बाघ ने दो तेंदूपत्ता संग्राहकों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। घटना के शिकार संग्राहकों का नाम रघुवीर पिता रमेश सिंह 40 तथा नरोत्तम पिता बृजभान सिंह 50 निवासी सुखदास बताया गया है। जो गांव के पास जंगल मे तेंदूपत्ता तोडऩे गए थे। हादसे के बाद दोनों ग्रामीणों को जिला अस्पताल मे भर्ती कराया गया है।

दूसरे ही दिन एक और मामला
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही जिले के पाली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम अर्जुनी के समीप जंगल मे बाघ के हमले मे एक तेंदूपत्ता संग्राहक गंभीर रुप से घायल हो गया था। जानकारी के अनुसार रामपाल सिंह निवासी ग्राम अर्जुनी 41 गुरुवार की सुबह तेंदूपत्ता तोडऩे गांव से कुछ ही दूर गया था, तभी झाडिय़ों मे छिपे बाघ ने उस पर धावा बोल दिया। बाघ के पंजे की मार से रामपाल सिंह का जबड़ा फट गया और उसके गर्दन व शरीर के कई हिस्सों पर गहरे जख्म हो गए। घटना के बाद घायल को मेडिकल कॉलेज शहडोल मे भर्ती कराया गया था।

धोखे से हो जाती है भिड़ंत
जानकारों का कहना है, बाघ एकाकी जीवन जीने वाला प्राणी है। उसे अपने इलाके मे किसी का दखल पसंद नहीं। कई बार वह शिकार की ताड़ मे घात लगा कर बैठा होता है। इसी तरह मादा अपने शावकों के साथ झाडिय़ों या गड्ढे मे विश्राम कर रही होती है। तभी पशुओं को चराने, महुआ अथवा तेंदूपत्ता बीनने आये ग्रामीण धोखे से वहां पहुंच जाते हैं और बाघ की नाराजगी का शिकार हो बैठते हैं। इधर ग्रामीणों का सारा निस्तार और जीवन-यापन जंगल पर आधारित है। बिना गए उनका काम नहीं चलता। ऐसे मे ग्रामीणों को बेहद सावधानी के साथ सुरक्षा और अपने कामो के बीच समन्वय बैठाना जरूरी हो गया है।

जंगल न जांय ग्रामीण
ग्रामीणों को लगातार बाघ, तेंदुआ और जंगली हाथियों के विचरण क्षेत्रों मे न जाने की अपील की जा रही है। महुए के बाद अब तेंदूपत्ता बीनने के लिये बड़ी संख्या मे लोग जंगलों का रूख कर रहे हैं। उनसे आग्रह है कि अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिये हिंसक जानवरों के संभावित इलाको मे न जाएं।
पीके वर्मा
उप संचालक
बांटारि, उमरिया

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