पिपरिया वाली बाघिन को दबोचने की कवायद
रेस्क्यू की तैयारी मे प्रबंधन, किशोर की हत्या के बाद महिला पर किया हमला
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
शनिवार को पिपरिया के बालक विजय कोल 14 को मौत के घाट उतारने वाली बाघिन ने रविवार को सेमरिया के पास महुआ बीन रही एक महिला पर जानलेवा हमला किया है। जानकारी के मुताबिक रीना बैगा पति मनोज 38 निवासी ग्राम सेमरिया सुबह गांव से लगे जंगल मे महुआ बीन रही थी, तभी बाघिन ने उस पर हमला कर दिया। महिला के सांथ मौजूद परिजनो तथा ग्रामीणो द्वारा शोर मचाने पर बाघिन वहां से भाग गई। घायल रीना के सिर और गले पर गहरे जख्म हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे प्राथमिक उपचार के बाद जबलपुर रेफर कर दिया गया है।
शिकार मे व्यवधान पर कर रही हमले
बीते दो दिनो मे एक के बाद एक हुई इन घटनाओं से जहां क्षेत्र मे भय और तनाव का माहोल है, वहीं प्रबंधन अब बाघिन को दबोचने की तैयारी मे जुट गया है। बीटीआर के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया है कि यह मादा टाइगर लंबे समय से जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम पिपरिया, बिलाईकाप, सेमरिया, चिर्रवाह और बड़वार के आसपास जंगल मे सक्रिय है। इसी दौरान शिकार मे व्यवधान उत्पन्न होने पर वह महुआ बीनने या जंगल से गुजरने वाले ग्रामीणों पर हमले कर रही है। उन्होने उम्मीद जताई की एक-दो दिन मे बाघिन का रेस्क्यू कर लिया जायेगा।
मैन ईटर नहीं है बाघिन
वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि शनिवार को पहले इस बाघिन ने बिलाईकाप मे पिपरिया के एक बैल को किल किया था। इसी दौरान महुआ बीनने निकली दो महिलायें वहां पहुंच गई। जिससे बाघिन को अपना शिकार छोडऩा पड़ा। इसका गुस्सा उसने लगभग एक किलोमीटर दूर महुआ बीन रहे पिपरिया के विजय कोल को मार कर उतारा। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघ स्वभावत: शांत, धैर्यवान, निर्भीक और अनुशासनप्रिय पशु है। उसे अपने काम मे दखल पसंद नहीं। ऐसी किसी भी हरकत पर वह अपनी प्रतिक्रिया जरूर देता है। पिपरिया की बाघिन ने भी यही किया। वह आदमखोर नहीं है, क्योंकि उसने अपने शिकार मे अड़चन बनने पर युवक और महिला पर हमला तो किया पर उसे खाया नहीं।
अपने-अपने भोजन का संघर्ष
यह सही है कि बीते कुछ दिनो से जिले मे बाघों के हमलों की घटनायें बढ़ी हैं। जानकारों के मुताबिक इस सीजन मे महुआ पक कर नीचे गिर रहा है। इस मीठे और स्वादिष्ट फल की चाह बंदर, भालू, हिरण, चीतल, गाय, बैल इत्यादि कई जानवरों को अपनी ओर खींचती है। जहां इतने जानवरों की मौजूदगी हो, वहां बाघ को तो आना ही है। यही महुआ इस क्षेत्र मे रहने वाले गरीब इंसानो के जीवन-यापन का मुख्य जरिया है। कुल मिला कर यह सारा संघर्ष अपने-अपने भोजन के लिये है। इसलिये जोखिम कितना ही हो, कोई भी इसे छोडऩा नहीं चाहता।
अन्यंत्र न भेजें, कोर जोन मे खदेडें
जिले के प्रख्यात अधिवक्ता, समाजसेवी और वन्य जीवन के जानकार लाल केके सिंह ने बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के अधिकारियों से पिपरिया क्षेत्र मे सक्रिय बाघिन को उद्यान के कोर जोन मे खदेडऩे की मांग की है। उन्होने कहा कि बाघिन अपने कुनबे की वृद्धि मे अहम योगदान देती है। ऐसे मे उन्हे रेस्क्यू कर अन्यंत्र भेजे जाने की बजाय इंसानी बस्तियों से दूर करने के विकल्पों पर विचार होना चाहिये।

