पेड़ों के पास नहीं होंगे पक्के निर्माण

पेड़ों के पास नहीं होंगे पक्के निर्माण

गिरते भूजल स्तर को संभालने के लिये नगरीय प्रशासन ने जारी किया आदेश

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश, उमरिया
शहरों मे अब सडक़ों तथा अन्य सर्वाजनिक स्थानो पर खड़े पेड़ों से निश्चित दूरी तक पेवर ब्लॉक, डामर तथा कांक्रीट नहीं कराया जायेगा। यह निर्णय भूजल की स्थिति को देखते हुए लिया गया है। नगरीय प्रशासन ने प्रदेश सहित उमरिया जिले के समस्त नगर पालिकाओं एवं परिषदों को उक्त निर्देश जारी किये हैं।  दरअसल लगातार गिरता भूजल स्तर शासन तथा प्रशासन के लिए ङ्क्षचता का विषय बना हुआ है। जानकारों की राय के बाद सरकार ने भविष्य के बड़े संकट को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत अब सभी शहरों मे कांक्रीट और डामर की सडक़ों के साथ फुटपाथ पर लगे पेड़ों के पास पेवल ब्लॉक नहीं लगाए जाएंगे। इसके लिये न्यूनतम 1 बाय 1 की जगह छोड़नी होगी। जबकि नये पेड़ लगाने के लिए 1.5 बाय 1.5 का स्थान बचाना होगा। यह स्थान मिट्टी के लिए रहेगा, ताकि बारिश का पानी इन स्थानों से जमीन के अंदर पहुंच कर भूमिगत जल स्तर को बढ़ा सके। ऐसे ही सडक़ों और फुटपाथ से जुड़े कई निर्देश नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने जारी किए हैं।

निकायों को दिये सात सूत्र
बताया गया है कि भूमिगत जल और पेड़ों के संरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद एनजीटी भोपाल की सेंट्रल बेंच ने गाइडेंस फॉर ग्रीङ्क्षनग ऑफ अर्बन एरिया एंड लेंडस्पेस 2000 और एक्शन प्लान फॉर फ्लड प्रूफ ऑफ सिटी, टाउन के तहत प्लान तैयार करने का निर्देश दिया था। सांथ ही पर्यावरण तथा भूमिगत जल संरक्षण को लेकर शासन की लापरवाही भी मानी गई। लिहाजा सरकार ने दिल्ली समेत अन्य राज्यों मे नीति और नियमों का अध्ययन कराया और सभी नगर निगम आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी और नगर परिषद को सात बिंदुओं का आदेश जारी किया।

हार्टिकल्चर के सांथ बनायें प्लान
नगरीय प्रशासन द्वारा दिये गये निर्देशों मे कांक्रीट और डामर की सडक़ के पास लगे पेड़ों के चारों ओर न्यूनतम 1 बाय 1 मीटर की जगह खुली छोड़ने, पेड़ के तने से लगे सीमेंट, डामर और पेवर ब्लॉक को 1 मीटर तक तोडऩे तथा नये पेड़ लगाने के लिए कुल डेढ़ मीटर जगह चारों ओर खुली छोडऩे की बात कही गई है। छोड़े गए स्थान पर मिट्टी के अलावा कुछ नहीं होगा। रोड साइट पेवमेंट को बनाने के लिए कांक्रीट एवं टाइल्स का उपयोग नहीं होगा। विभाग ने निकायों से निर्देश के क्रियान्वयन हेतु हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर संरक्षण का प्लान बनाने तथा शहर के खाली स्थानो को ग्रीन स्पेस के रूप मे विकसित करने का आदेश भी दिया है।

भूजल बोर्ड ने जताई चिंता
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने भी प्रदेश के हालात को लेकर ङ्क्षचता जाहिर की है। बोर्ड की रिपोर्ट मे बताया गया है कि बीते 10 सालों मे भूमिगत जल मे 63.24 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। कई जिलों मे स्थिति गंभीर हो गई है। जानकारों का मानना है कि अर्बन प्लाङ्क्षनग मे खामियों के कारण कई गैलन रेन वाटर खराब हो जाता है। कई शहरों के 61 फीसदी भाग में निर्माण है या इनकी प्लाङ्क्षनग है। बड़ा हिस्सा रोड नेटवर्क का है। यहां ड्रेनेज सिस्टम या सडक़ों पर बहते हुए बड़े पैमाने पर पानी बर्बाद हो रहा है।

नागरिकों भी करें सहयोग
भूजल स्तर की स्थिति को देखते हुए नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा विशेष दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। वाटर रिचार्जिंग के उपायों को अपना कर ही भूमिगत पानी का लेवल बेहतर किया जा सकता है। इसमे नागरिकों का सहयोग आवश्यक है। शासन के निर्देशों के परिपालन हेतु आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।
किशन सिंह ठाकुर
मुख्य नगर पालिका अधिकारी, उमरिया

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *