पंचायतीराज अधिनियम से हटायें अनुपयोगी प्रावधान
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
मध्यप्रदेश राज्य पंचायत परिषद ने भारत सरकार से पंचायतीराज अधिनियम मे संशोधन की मांग की है। परिषद के पदाधिकारी शीतला शंकर विजय मिश्र ने गत दिवस स्थानीय सर्किट हाउस मे आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को यह निर्देश दे कि वे अपने-अपने प्रदेश के पंचायतीराज अधिनियमों के साथ, नगर पालिका अधिनियम और नियमों से ऐसे सभी प्रावधानों को तत्काल हटायें जो लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के विपरीत हैं और निर्वाचित प्रतिनिधियों की अपेक्षा नौकर शाहों को अनुचित शक्ति देते हैं।
श्री मिश्र ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 243 मे ग्रामसभा का प्रावधान किया गया है। ग्रामसभा पंचायती राज व्यवस्था के मूल लक्ष्य के प्राप्ति की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है, लेकिन इसके स्वरूप, प्राधिकार, कार्य पद्धति आदि के निर्धारण का दायित्व राज्य के विधान मंडलों पर छोड़ दिया गया है। उन्होने कहा कि संविधान मे ग्राम सभा के प्राधिकार, दायित्व तथा कार्य संचालन के संबंध मे स्पष्ट प्रावधान किया जाय ताकि सही अर्थों मे जन सहभागिता और पारदर्शिता का लक्ष्य पूर्ण हो सके। कार्यक्रम मे अखिल भारतीय पंचायत परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंह जादौन ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यक है कि पंचायती राज एक्ट मे वार्ड सभा एवं वार्ड समितियों का प्रावधान हो। श्री जादौन ने बताया कि अखिल भारतीय पंचायत परिषद अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत ग्राम सशक्तिकरण के लिए चलो गांव की ओर कार्यक्रम संचालित कर रहा है। इसी क्रम मे वे प्रदेश के भ्रमण पर निकले हैं। इस अवसर पर अशोक सिंह सेंगर अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य पंचायत परिषद, महेंद्र सिंह बुंदेला सरपंच एवं सचिव अखिल भारतीय पंचायत परिषद दिल्ली, पंचायत परिषद के शहडोल संभाग अध्यक्ष रामानुज त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष संतोष गुप्ता, सरपंच श्यामविहारी राय, रमेश महार सरपंच बडखेड़ा, लकी सिंह घघरी, मनीष सिंह सरपंच, राजेश सिंह परमार, प्रिंस सिंह, अभिषेक सिंह लोढ़ा पूर्व सरपंच, कार्य समिति के सदस्य, पदाधिकारी तथा अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।