नहीं रहीं जिले की पद्मश्री जोधईया

नहीं रहीं जिले की पद्मश्री जोधईया

आदिवासी चित्रकला के एक गौरवशाली जीवन का अवसान

बांधवभूमि, उमरिया
जिले की प्रख्यात आदिवासी चित्रकार जोधईया बाई का रविवार को निधन हो गया। 86 साल की यह कलाकार लंबे समय से बीमार थीं, जिनका स्थानीय स्तर पर उपचार चल रहा था। अपनी आदिवासी चित्रकला को मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम लोढ़ा से देश और दुनिया तक पहुंचाने वाली जोधईया को वर्ष 2023 मे राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री सम्मान से विभूषित किया गया था।

स्वामी ने पहचानी प्रतिभा   
कहते हैं कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। बैगा आदिवासी परिवार मे जन्मी इस महिला मे छिपे हुनर को काफी दिनो बाद जिले के विख्यात चित्रकार स्व. आशीष स्वामी ने पहचाना। स्वामी ने 70 वर्ष की उम्र लांघ चुकी जोधईया के हांथ मे कूंची और ब्रश थमा कर उन्हे पारंपरिक चित्रों को उकेरने के लिये प्रेरित किया। धीरे-धीरे उनके अंदर छिपे कलाकार ने अपना जलवा बिखेरने शुरू कर दिया। कड़ी मेहनत और कार्य के प्रति निष्ठा के बल पर कुछ ही सालों मे जोधईया बैगा का नाम नकेवल प्रदेश बल्कि देश मे भी अपना जलवा बिखेरने लगा। जल्दी ही वे दुनिया के महान चित्रकारों मे शुमार हो गई। आदिवासी संस्कृति से जुड़ी उनकी कला कृतियां वैश्विक पटल पर प्रशंसा का केन्द्र बनने लगीं।
राष्ट्रपति ने किया था सम्मान
जोधइया बाई को 84 साल की आयु मे पहला राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान वर्ष 2022 मे और 2023 मे देश का प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। दूसरा राष्ट्रीय पुरूस्कार मिलते ही इस महिला कलाकार को बीमारियों ने घेरना शुरू कर दिया।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने व्यक्त किया दुख
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी जोधईया बाई के निधन पर शोक व्यक्त किया है। फेसबुक पर की गई पोस्ट मे श्री नाथ ने लिखा कि मध्यप्रदेश के उमरिया जिले की रहने वाली प्रसिद्ध बैगा चित्रकार और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित जोधइया अम्मा जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। उन्होंने अपनी कला से पूरी दुनिया मे मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। ओम शांति।

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