नगर मे गूंजी बघेली लोकगीतों की खनक
विंध्य महोत्सव मे बाल गायक मान्या और नरेन्द्र के गीतों पर झूमे दर्शक, प्रत्यूष ने मनवाया प्रतिभा का लोहा
बांधवभूमि
मध्यप्रदेश
उमरिया
जिला मुख्यालय मे बुधवार की शाम बाल गायकों के नाम रही। मौका था विंध्य लोकरंग महोत्सव का। इस दौरान राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक गायिका मान्या पाण्डेय और उनकी टीम मे शामिल नन्हे कलाकारों ने अपने अनूठी शैली मे बघेली गीतों की जो प्रस्तुति दी, वह आने वाले कई दिनो तक श्रोताओं को अपनी क्षेत्रीय कला और संस्कृति की याद दिलाती रहेगी। इस दौरान देर रात तक बघेली लोकगीतों की खनक गूंजती रही और नागरिक भाव विभोर होकर सुनते रहे। मान्या पाण्डेय के अलावा नरेंद्र बहादुर सिंह का गायन भी आकर्षण का केंद्र था। जबकि सबसे छोटे गायक प्रत्यूष द्विवेदी को भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। उत्थान सामाजिक सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्था द्वारा सामुदायिक भवन परिसर मे आयोजित विंध्य लोकरंग महोत्सव का शुभारंभ एडीएम शिवगोविंद मरकाम ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप मे उमरिया के संपादक मेंहदी हसन, संतोष गुप्ता, राजेश शर्मा और युवा नेता व पार्षद त्रिभुवन प्रताप सिंह, एकता परिषद के संतोष सिंह, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष पुष्पराज सिंह, आदर्श कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अभय पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार डॉ.प्रेमनारायण सोनी और वरिष्ठ नेता धनुषधारी सिंह मौजूद रहे। समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी संतोष कुमार द्विवेदी ने किया।
ऋतु, श्रम और संस्कार गीतों की मनोहारी प्रस्तुति
समारोह के औपचारिक उद्घाटन के बाद राष्ट्रीय लोक गायिका मान्या पाण्डेय ने आदिवासी श्रम गीत ददरिया आमा के डहरा, महुआ गीत जरउ भिनसारे के रतिया हो मोर महुआ उजरि गए, दादरा गीत अइसन मिजाजी ताल गगरिया बूड़त नही रे, जन्म संस्कार गीत कहूं खेलन निकरि गए हमार लालना, अंजुरी गीत हरदी से रंगी रे पियरिया छोड़ा नही छूटय हो, जेवनार गारी गीत उतरत माघ लगत दिन फागुन राम चले हां ससुरारी एवं टप्पा गीत बुलेट बनि जा राजा की मोहक प्रस्तुति दी। इसके बाद बाल कलाकार प्रत्यूष द्विवेदी ने बघेली लोकगीत एवं भजन गाये। इस अवसर पर विंध्य के प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र बहादुर सिंह सीधी द्वारा बघेली ददरिया, कोलदहका, टप्पा एवं पितमा गीतों की रोमांचक और मनोहारी प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम मे लोक गायिका श्रुति सिंह, सुभी सिंह द्वारा विवाह गीतों एवं लोक गायक कपिल तिवारी द्वारा बघेली दादरा गीतों का गायन किया। गीतों को संगत हरिश्चंद्र मिश्रा, कर्णवीर सिंह, पवन शुक्ला, रजनीश जायसवाल, निर्भय द्विवेदी, मनोज विश्वकर्मा और प्रभुदयाल चौधरी ने दी। महोत्सव मे स्थानीय आदिवासी लोकगायक रामसिंह मरकाम और सोहन चौधरी ने समूह गायन प्रस्तुत किया।
सम्मानित हुए जिले के लोक कलाकार
विंध्य लोकरंग महोत्सव मे समारोह के अतिथि त्रिभुवन प्रताप सिंह, मेंहदी हसन, राजेश शर्मा, चंद्रकांत दुबे और डॉ.अभय पाण्डेय ने जिले के लोककलाकारों को अंगवस्त्र और स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इन कलाकारों मे रामकरण सिंह, अंतराम सिंह, शंभू सिंह, श्याम लाल चौधरी, देवेंद्र सिंह, प्रवीण सिंह, रामसिंह मरकाम, फूलबाई, नगीना सिंह, भागचंद्र सिंह, समरजीत सिंह, मधु गौतम, प्रेमशंकर मिर्जापुरी, डीएल दाहिया, यश कुमार सोनी, देवेंद्र दीपम, सोहन चौधरी और कमलभान सिंह आदि प्रमुख है।
अखिलेश पाण्डेय का हुआ विशेष सम्मान
बघेली लोककला, संस्कृति और साहित्य के संरक्षण, संवर्धन, संचयन व प्रकाशन, उत्थान व सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक समिति के माध्यम से अभूतपूर्व योगदान देने के लिए वरिष्ठ पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी अखिलेश पाण्डेय को मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, जिला इकाई उमरिया के अध्यक्ष संतोष कुमार द्विवेदी, सचिव राजकुमार महोबिया द्वारा वाग्देवी सरस्वती की काष्ठप्रतिमा देकर सम्मानित किया गया।
इनका रहा विशेष योगदान
आयोजन को सफल बनाने मे जिले के विवेकानंद पैरामेडिकल कॉलेज, श्रमजीवी पत्रकार संघ, मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन जिला इकाई, प्रगतिशील लेखक संघ जिला इकाई और वातायन साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था के सांथ ही रामलखन सिंह चौहान, शंभू सोनी पागल, भूपेंद्र त्रिपाठी, संपत नामदेव, अजमत उल्ला खान, अनिल मिश्र, महेश अजनबी और शेख धीरज आदि का अभूतपूर्व सहयोग था।