तारीख बदली पर आस्था नहीं

तारीख बदली पर आस्था नहीं

जन्माष्टमी के दूसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने किये बांधवाधीश के दर्शन, युवराज ने की प्रथम पूजा

बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष

मध्यप्रदेश

उमरिया


मानपुर।
जिले के बांधवगढ राष्ट्रीय उद्यान मे मंगलवार को ऐतिहासिक जन्माष्टमी मेले का आयोजन किया गया। इस मौके पर हजारों भक्तों ने किले पर स्थित श्रीराम जानकी मंदिर पहुंच कर भगवान के दर्शन किये। उमरिया सहित कई जिलों से आये श्रद्धालुओं मे महिला, पुरूष, बुजुर्ग, युवा तथा छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे। जो करीब 8 किलोमीटर दूर दुर्गम पहाडी रास्ते से पैदल चल कर चोटी पर बिराजे भगवान से मिलने की लगन मे उत्साह के सांथ चढते देखे गये। वापसी के दौरान उनके चेहरों पर अपने ईष्ट से भेंट की खुशी और सुकून साफ दिखाई देता था। महाराज बांधवाधीश की प्रथम पूजा इस बार भी परंपरागत तरीके से रीवा रियासत के युवराज तथा सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह ने की। उनके सांथ त्रिभुवन प्रताप सिंह समेत कई नागरिक उपस्थित थे। आमतौर पर बांधवगढ का मेला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लगता है, परंतु श्री लक्ष्मण बाग देव स्थानम ट्रस्ट रीवा द्वारा इस बार नक्षत्रों मे आये परिवर्तन के कारण श्रीकृष्ण पूजन की तिथि 26 की बजाय 27 अगस्त तय की गई। इस सूचना के बाद जिला प्रशासन तथा बांधवगढ नेशनल पार्क प्रबंधन ने मेले का आयोजन भी 27 अगस्त को ही करने का निर्णय लिया। अल्प समय मे तारीख बदलने की जानकारी के बाद भी लोगों की आस्था मे कोई कमी नहीं आई और वे पूर्व की भांति सपरिवार मेले सम्मिलित हुए तथा किले पर बिराजे बांधवगढ के महाराजा भगवान बांधवाधीश का दर्शन व पूजन किया।

आम और खास भी पहुंचे
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र मे दुरूह पहाडी पर स्थित राम जानकी मंदिर मे शासन की पूर्व मंत्री एवं मानपुर विधायक सुश्री मीना सिंह, कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन, पुलिस अधीक्षक निवेदिता नायडू, पूर्व विधायक अजय सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष अनुजा पटेल, डीएफओ विवेक सिंह, सीईओ जिला पंचायत अभय सिंह, अपर कलेक्टर शिवगोविंद सिंह मरकाम, एसडीओ फारेस्ट श्री निमामा, एसडीएम मानपुर कमलेश नीरज, मानपुर सीईओ राजेन्द्र शुक्ला सहित जिले के अनेक गणमान्य नागरिकों और अधिकारी, कर्मचारियों ने पहुंच कर पूजा अर्चना की।

प्रशासन की शानदार व्यवस्था
मेले के लिये जिला प्रशासन तथा बांधवगढ टाईगर रिजर्व द्वारा शानदार व्यवस्थायें की गई थी। जगह-जगह पुलिस और नेशनल पार्क के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे। वन्य जीवो से सुरक्षा हेतु हाथी को प्रहरी के रूप में तैनात किया गया था। जबकि कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, पुलिस बल, होमगार्ड के जवान, आपदा प्रबंधन टीम, चिकित्सक तथा वन विभाग के अधिकारी अमले के सांथ लगातार गस्त कर रहे थे। श्रद्धालुओं को प्रातः 7 से 11 बजे तक ताला मेन गेट से प्रवेश दिया गया। सायं 5 बजे शाम तक समस्त आगंतुकों को टाइगर रिजर्व से बाहर कर दिया गया।

फिर उठी गौरवशाली धरोहर को सहेजने की मांग
बांधवगढ का किला बुद्ध काल से बघेल राजवंश तक हजारों साल के कालखण्ड का साक्षी रहा है। यह तानसेन जैसे कालजयी संगीतज्ञों, पराक्रमी आल्हा, ऊदल तथा महान ऋषियों और मनीषियों की तपोस्थली है। वहीं इस स्थान पर 1857 के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने आश्रय लिया। जहां मौजूद महल, मंदिर, बौद्ध स्तूप, जेल, बैरक, अस्तबल, कोषालय, परेड ग्राउण्ड समेत कई ऐतिहासिक इमारतें और अवशेष अपने गौरवशाली इतिहास का बखान करते हैं। कहा जाता है कि यहां के पहाड, गुफायें तथा जंगल भी अनेक रहस्यों को समेटे हुए हैं। वर्षो की उपेक्षा के कारण अधिकांश भवन व संरचनायें जमीदोंज हो चुके हैं। जर्जर मंदिरों मे अमूल्य मूर्तियां अभी भी मौजूद हैं, जो कभी भी भवन की छत गिरने से टूट कर नष्ट हो सकती है। ऐसे मे उन्हे निकाल कर सुरक्षित करना बेहद जरूरी है। साल मे एक बार श्रीकृष्ण जन्मााष्टमी को यह किला श्रद्धालुओ के लिये खोला जाता है। हमेशा की तरह इस बार भी बांधवाधीश के दर्शनो के उपरांत श्रद्धालुओं ने अतीत की इन धरोहरों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार से इन्हे सहेजने की मांग की है।

 

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