ठगों का शिगूफा है डिजिटल अरेस्ट

ठगों का शिगूफा है डिजिटल अरेस्ट

सायबर अपराधियों के झांसे से रहें सतर्क, पुलिस ने एडवायजरी जारी कर लोगों को किया सावधान

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश

उमरिया
मोबाईल और इंटरनेट के बढते प्रयोग से जहां सुविधायें बढी हैं, तो कई तरह की समस्यायें भी उत्पन्न हो रही हैं। विशेष कर इससे सामाजिक दायरा कम हुआ है, वहीं सायबर अपराध और ठगी जैसी घटनायें आम हो गई हैं। कहीं झांसा देकर तो कहीं वीडियो के जरिये ब्लेकमेलिंग, एटीएम कार्ड रिन्यूवल या फिर लाटरी, इनाम और सामान खरीददारी के भुुगतान के नाम पर ओटीपी लेकर खातों की रकम साफ करने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। जैसे-जैसे जनता जागरूक हो रही है, ठग भी फर्जीवाडे के नये-नये तरीके खोज कर अपना काम जारी रखे हुए हैं। रिश्तेदारों या जान-पहचान के लोगों को डरा कर या मजबूरी बता कर खाते मे पैसे ट्रांसफर कराने जैसे नुस्खे आऊट डेटेड हुए तो अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट का शिगूफा छोड कर फ्राड का फ्रेश तरीका निकाल लिया है।

पुलिस अधिकारी बन करते हैं कॉल
इस संबंध मे जिले के सायबर सेल ने एडवायजरी जारी कर नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। इसमे कहा गया है कि कानून मे ऑनलाइन गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है। यह साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किया जा रहा फ्रॉड का तरीका है। जिसमे उनके द्वारा कहा जाता है कि आपके आधार या पैन कार्ड के माध्यम से मादक पदार्थ मंगवाये गये हैं। ऐसा कहने वाले ठग की प्रोफाइल मे पुलिस अधिकारी की फोटो लगी होती है। ये खुद को विभाग का अधिकारी बताते हैं और ऑनलाइन गिरफ्तारी का डर दिखा कर ठगी करते हैं। पुलिस का कहना है कि धोखाधडी का शिकार होने से बचने हेतु सबसे पहले अपराधी के संपर्क से दूर हो जांय और नजदीकी पुलिस स्टेशन पर तत्काल इसकी खबर करें। साइबर अपराध होने पर नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 या जिला साइबर सेल मे शिकायत दर्ज करायें।

इस तरह ठगों तक पहुंचता है नंबर
सायबर क्राईम मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल हर कोई होटल, रेस्टोरेंट, शापिंग माल आदि मे खरीदारी करते समय अपना नंबर देते हैं। यह नंबर डार्क वेब के माध्यम से साइबर ठगों तक पहुंच जाता है। इसके अलावा गूगल प्ले स्टोर पर जो एप डाउनलोड किये जाते हैं, उनमे कई असुरक्षित हैं। एप डाउनलोड करते समय डाटा एक्सेस की अनुमति जरूरी है, जो बिना देखे ही दी दी जाती हैं। इससे फोन क्लोन की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए वही एप डाउनलोड करना चाहिए जो जरूरी है।

पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भरोसा करें
जानकारी के मुताबिक अधिकतर मामलों मे पार्सल के नाम पर हाउस अरेस्ट की बात सामने आ रही है। हमे यह सोचना चाहिए कि जब कोई पार्सल भेजा ही नहीं गया तो उसमें अवैध सामग्री कैसे हो सकती है। दूसरी बात यह है कि यदि कोई अवैध पार्सल पकड़ा भी जाता है तो कानूनी दायरे में रहकर कार्रवाई होती है। इसमें कोई पुलिस अधिकारी या कर्मचारी रुपये नहीं मांगता। इस तरह के फोन आने पर नजदीकी थाने में संपर्क करें। पीड़ित को पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भरोसा करना होगा।

केवायसी कराने के नाम पर फ्राड
सर्वाधिक ठगी बैंक खातों मे केवायसी अपडेट के नाम पर जा रही है। इसके लिये अनजान नंबरों से फोन काल, एसएमस या ईमेल आते हैं। जिसमे खातेदार को उसकी व्यक्तिगत, खाते या लॉगिन की जानकारी देने के लिए कहा जाता है। कभी-कभी उन्हें लिंक देकर कोई ऐप डाउनलोड करने के लिए भी मजबूर किया जाता है। पुलिस ने कहा कि केवाईसी अपडेट का अनुरोध आने पर सीधे अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करें। संस्थानो का संपर्क नंबर या ग्राहक सेवा फोन नंबर केवल उसकी आधिकारिक वेबसाइट या विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त की जा सकती है। जानकारी के मुताबिक यदि ठगों को बैंक खाते संबंधित कोई भी जानकारी न देने और ओटीपी साझा न करने के बाद भी आपके खाते से रुपये निकल जाते हैं तो 24 घंटे के अंदर इसकी शिकायत करने पर निकाले गये रुपये खाते मे वापस आ जाएंगे।

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