जब पुलिस वाले ही मर रहे, फिर कौन सुरक्षित

जब पुलिस वाले ही मर रहे, फिर कौन सुरक्षित

ब्यौहारी मे रेत माफियाओं के हाथों एएसआई की मौत ने कानून व्यवस्था पर उठाये सवाल

बांधवभूमि न्यूज, सोनू खान

मध्यप्रदेश  

शहडोल। बीती रात रेत माफियाओं द्वारा पुलिस अधिकारी महेन्द्र बागरी को मौत के घाट उतारने की घटना ने एक बार फिर जिले कीे कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खडे कर दिये है। यह हत्याकांड बताता है कि अपराधियों को अब किसी का भी खौफ नहीं रहा, और उनके रास्ते मे आने वाले हर शख्स का यही अंजाम होगा। प्रशासन अब चाहे कितनी भी सफाई और आरोपियों के खिलाफ  कार्यवाही की बात कहे, पर इस वारदात ने एक हंसते-खेलते परिवार से न सिर्फ  सहारा छीन लिया है बल्कि ऐसा जख्म दिया है, जो जीवन भर उन्हे सालता रहेगा। दरअसल शनिवार की रात करीब 11 बजे ब्यौहारी थाने मे पदस्थ एएसआई महेन्द्र बागरी दो अन्य पुलिसर्किर्मयों के सांथ एक फरार वारंटी को पकडऩे जा रहे थे। तभी रास्ते मे बड़ौली हेलीपैड के पास उन्हे अवैध रेत भर कर ला रहा एक ट्रैक्टर दिखाई दिया। जब महेन्द्र ने उसे रोकने का प्रयास किया तो चालक ने बडी ही बेदर्दी से उन्हे रौंद दिया। इसके बाद ट्रेक्टर अनियंत्रित होकर पलट गया। इस हादसे मे एएसआई की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि आरोपी ट्रेक्टर चालक फरार हो गया। जिले मे अपराधियों के दुस्साहस का यह दूसरा मामला है, रेत माफियाओं द्वारा कुछ महीने पहले जिले मे इसी तरह की घटना कारित कर एक पटवारी की जान ले ली थी। प्रश्न उठता है कि जब बदमाश पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को ही सरेआम उडा रहे हैं, तो आम आदमी खुद को कितना सुरक्षित महसूस करे। ऐसी वारदातें व्यवस्था को चुनौती देने के सांथ आगाह भी कर रही है कि बडे साहबों अपने फायदे के लिये सांठगांठ का यह खेल बंद नहीं किया तो हालात बद से बदतर होने मे देर नहीं लगेगी।

पैतृक गांव मे हुआ अंतिम संस्कार
एएसआई की असमय मौत ने उनके परिवार को तोड कर रख दिया है। शहीद पुलिसकर्मी की तीन बेटियों मे सबसे बडी आयुषी 14 वर्ष की है। जबकि दूसरी पुत्री परी 6 वर्ष तथा तीसरी सबसे छोटी बेटी शिवि की उम्र अभी महज तीन साल ही है। इस मासूम बच्चियों के सिर से अब पिता का साया हमेशा के लिए छिन चुका है। खून से लथपथ पिता के शव से लिपटकर बेटियों के बिलखने का दारूण दृश्य हर किसी को विचलित कर रहा था। पोस्टमार्टम के बाद सहायक पुलिस उपनिरीक्षक महेन्द्र बागरी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सतना जिले के ग्राम मसनहा पहुंचाए जहां राजकीय सम्मान के सांथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

चालक व पायलट गिरफ्तार, मालिक फरार
ब्योहारी थाना क्षेत्र के खदौली के पास रेत माफियाओं के ट्रेक्टर से कुचल कर एएसआई महेन्द्र बागरी को मौत मामले के आरोपी ट्रेक्टर चालक विजय उर्फ  राज रावत पिता मोलई कोल 19 व रेकी करने वाले पायलट आशुतोष सिंह पिता सुरेन्द्र सिंह बघेल दोनो निवासी ग्राम जमोड़ी थाना ब्यौहारी को रात मे ही गिरफ्तार कर लिया था। वहीं ट्रेक्टर मालिक सुरेन्द्र सिंह घटना के बाद से ही फरार है। उसके ऊपर तीस हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।

सत्रह साल दी पुलिस विभाग मे सेवा
शहीद सहायक उप निरीक्षक महेन्द्र बागरी वर्ष 2007 मे पुलिस विभाग मे बतौर आरक्षक भर्ती हुए थे। जिसके बाद वे जिले के विभिन्न थानो मे पदस्थ रहे। पहली पदोन्नति वर्ष 2013 मे होने के बाद बागरी प्रधान आरक्षक बने और वर्ष 2020 मे सहायक उप निरीक्षक के रूप मे पदोन्नत हुए। इस प्रकार से उन्होने 17 वर्षो तक विभाग मे अपनी सेवायें दी।

दिखावे के लिए चला बुलडोजर
इस घटना के बाद प्रशासन की बुलडोजर चलाने वाली कार्यवाही भी सवालों के घेरे मे है। बताया जाता है कि इस कार्यवाही मे वाहन चालक के एक झोपडीनुमा मकान को तोड़ा गया वहीं मालिक और मुख्य आरोपी सुरेन्द्र सिंह बघेल के मुख्य मकान की जगह उसकी एक झोपडी को जमींदोज करने की बात सामने आ रही है। जिले मे यह चर्चा आम है कि यह कार्यवाही महज एक दिखावा है, क्योकि रेत के काले कारोबार मे क्षेत्र के कई बड़े सफेदपोश और छुटभैये नेताओं की हिस्सेदारी है। इस सनसनीखेज मामले मे पुलिस के अफसरों व अमले पर भी उंगलियां उठ रही है।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *