चर्चाओं मे गुम हुई सिंगलटोला ओवरब्रिज
जिले की उपेक्षा का एक और अध्याय, गड्ढों मे गिरते-पडते गुजरने को मजबूर नागरिक
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
नगर के बेहद व्यस्त शहपुरा मार्ग के जर्जर होने से नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड रहा है। विशेषकर सिंगलटोला रेलवे फाटक के पास तो सडक पूरी तरह गड्ढों मे गुम हो चुकी है। जिसकी वजह से आये दिन दुर्घटनायें हो रही हैं। बताया जाता है कि यह हाईवे मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के कब्जे मे हैं। जोकि शहर के कई कस्बों और गावों के अलावा डिंडौरी जिले की ओर यात्रा करने वाले हजारों लोगों के लिये एक मात्र साधन है। हालत यह है कि रेलवे फाटक बंद होते ही दोनो तरफ सैकडों छोटे-बडे वाहनो की कतार लग जाती है। ट्रेन के गुजरने के बाद जैसे ही फाटक खुलता है, उसे पार करने की होड मचती है, इसी दौरान गाडियां इन बडे-बडे गड्ढों मे गिरते-पडते निकाली जाती हैं। कई बार जल्दबाजी मे दोपहिया वाहन चालक इनमे फंस कर गिर जाते हैं। मजे की बात यह भी है कि इसी रोड से दिन भर प्रशासनिक अधिकारी और जिम्मेदार नागरिक आवागमन करते हैं, परंतु किसी ने भी आज तक इस संबंध मे कोई पहल नहीं की है।
सैकडों बार बंद होता है फाटक
एक अनुमान के मुताबिक कटनी-बिलासपुर मार्ग पर प्रतिदिन सौ से अधिक गुड्स तथा यात्री ट्रेनो की आवाजाही होती है। हर गाडी के क्रॉस होने पर सिंगलटोला फाटक लगभग 20 से 30 मिनट के लिये बंद हो जाता है। एक से अधिक ट्रेनों की क्रॉसिंग होने के समय तो लोगों को फाटक खुलने के लिये घंटे भर इंतजार करना पडता है। कोई अन्य वैकल्पिक मार्ग न होने से ग्रामीण, स्थानीय नागरिकों से लेकर स्कूली बच्चों और अन्यंत्र जिलों के मुसाफिरों को इसी तरह तकलीफें सह कर अपना समय और सुरक्षा खोटी करनी पडती है।
नहीं दिख रहा नागरिकों का दर्द
दरअसल यह जिले की उपेक्षा का एक और अध्याय है। कुछ दिनो पहले यह खबर बडे जोरों से उडी थी कि सिंगलटोला फाटक पर ओवरब्रिज का निर्माण होने जा रहा है। जिसके लिये राजस्व विभाग द्वारा सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह भी जानकारी मिली थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्दी ही अमृत भारत योजना के तहत होने वाले विभिन्न स्टेशनों के पुनरोद्धार के सांथ सिंगलटोला फाटक के निर्माण का भूमिपूजन करेंगे। प्रधानमंत्री ने शिलान्याय किया भी, परंतु उस सूची से नगर के अत्यंत आवश्यक सिंगलटोला ओवरब्रिज गायब हो गई। समझा जाता है कि हमेशा की तरह इस मामले मे भी समुचित प्रयास नहीं हुए, जिसकी वजह से लोगों को वर्षो पुरानी समस्या से निजात नहीं मिल सकी। समझ मे यह नहीं आ रहा कि जिले से दुलार और सम्मान पाने वाले जिम्मेदारों को यहां के नागरिकों का दर्द क्यों नहीं दिखाई देता।
अभी माकूल जगह तय नहीं
अंदरूनी स्त्रोंतो से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे और हाईवे अथॉरिटी अभी तक ओवर ब्रिज के लिये माकूल जगह तय नहीं कर पाई हैं। उनका कहना है कि इस कार्य के लिये ऐसे स्थान का चयन होना आवश्यक है, जो सुविधाजनक होने के सांथ किफायती भी हो। बताया जाता है कि सिंगलटोला फाटक के आगे हवाई पट्टी है, जबकि दूसरी तरह घनी बस्ती और रेलवे सिग्नल स्थित है। ले-दे कर वर्तमान रोड और क्रॉसिंग ही बचती है, यहां जगह पर्याप्त तो है, पर घुमाव ज्यादा है। ऐसे मे जनप्रतिनिधियों को विभागीय अधिकारियों के सांथ समन्वय बैठा कर इस समस्या का त्वरित हल निकालना चाहिये ताकि लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल सके।