गर्मी मे भी नहीं बढे सब्जियों के दाम
ग्लोबल वार्मिग के असर से बदल रहा फसलों का उत्पादन चक्र, पैदावार के अनुपात मे मांग कम
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
बीते कुछ वर्षो के दौरान मौसम मे लगातार आ रहे बदलाव का असर जिले मे भी दिखाई दे रहा है। भीषण गर्मी और लू के लिये जाना जाता मई का महीना आधा से ज्यादा बीत चुका है, पर तापमान अभी भी उस स्तर को नहीं छू पाया है। इतना ही नहीं इस सीजन मे भी आये दिन बारिश, यहां तक कि कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी देखी जा रही है। मौसम के जानकार इस स्थिति को लेकर चिंतित और परेशान हैं। उनका मानना है कि वातावरण मे आया परिवर्तन ग्लोबल वार्मिम का नतीजा है। इसके कारण मानसून इस बार भी कमजोर पड सकता है। वहीं ग्रीष्म ऋ तु मे तापमान के बार-बार ऊपर-नीचे होने से लोगों को वायरल संक्रमण तथा अन्य बीमारियों से दो-चार होना पड रहा है। इन सबके बीच मौसम मे बदलाव के कुछ अपने लाभ भी हैं, इनमे मुख्य रूप से हरी-सब्जियों की उपलब्धता है। बदलते मौसम मे फसलों का उत्पादन चक्र जो सब्जियां सर्दी खत्म होते ही गायब होने लगती थी, वे अभी भी बाजारों मे मौजूद हैं।
किसानो को मिला मौसम का सांथ
भीषण गर्मी अब धीरे-धीरे अपना असर दिखाने लगी है। जिले का तापमान इन दिनो 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। इस मौसम में अमूमन हरी सब्जियों के दाम भी पारे की तरह ऊपर चढ़ जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। गर्मी तेज होने के बावजूद हरी सब्जियों के दाम कूल-कूल हैं। इसका कारण यह है कि मौसम ने साथ दिया तो किसानों के खेतों मे सब्जियों की फसल की पैदावार बढ़ गई, लेकिन सब्जी मंडी में मांग स्थिर रहने से कीमतें गिर गईं। हालात यह हैं कि सब्जी के दाम अपने निम्नतम स्तर पर आ चुके हैं। यदि आलू-प्याज और मिर्ची को को छोड़ दिया जाए तो बाकी सब्जियों के दाम निम्न स्तर पर हैं। हरी सब्जी के दाम 30 रूपये किलो के अंदर है। जबकि आलू के दाम तेज हैं और मिर्ची तीखी है, वहीं प्याज रूला रही है। स्थानीय किसानों से जितनी सब्जी मंडी में आ रही है उसके मुकाबले मांग आधी की भी नहीं है।
नहीं मिल रहे मनमुताबिक दाम
कृषि के जानकारों का कहना है कि इस बार अप्रैल से लेकर 15 मई तक वातावरण मे अपेक्षाकृत ठंडा रहा है। बीच-बीच मे आसमान मे बादल की आवाजाही से कई क्षेत्रों मे बूंदाबांदी हुई, जिसके कारण वातावरण भीषण गर्मी से बचा रहा। इसका फायदा किसानों को फसल मे हुआ। ठंडक से एक ओर खेतों मे खड़ी फसल खराब होने से बची वहीं दूसरी तरफ उसकी पैदावार बढ़ गई। हलांकि उत्पादन के अनुपात मे संब्जियों की मांग नहीं बढ़ी। जिसकी वजह से उसकी बिक्री घट गई, इससे किसान को फसल के दाम उसके मनमुताबिक नहीं मिल पा रहे हैं और सब्जी सस्ते दाम पर जा रही है।
आलू की कीमत स्थिर, प्याज तेज
सब्जी व्यापारियों का कहना है कि आलू की पैदावार इस बार कम हुई। इस कारण कोल्ड स्टोर भी खाली रहे। इसके साथ ही आलू की मांग और सप्लाई हर शहर में है जिसके कारण उसके दाम स्थिर बने हुए हैं। जबकि मिर्ची, अरबी और प्याज सब बाहर से आ रही है, इसलिए इनके दाम भी थोड़े ऊपर हैं। बताया जाता है कि नगर की थोक मण्डी मे टमाटर 20 रूपये, लौकी 10 रूपये तथा भिंडी 20 रूपये किलो मिल रही है।