किसके हांथ होगी भाजपा की कमान
मंडल के बाद जिलाध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू, लंबी हुई फेहरिस्त
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया अब अंतिम दौर मे पहुंच चुकी है। जानकारी के मुताबिक जिले के सभी मंडलों मे अध्यक्ष पद को लेकर रायशुमारी पूरी कर ली गई है। इनके नामो की घोषणा 15 दिसंबर या उससे पहले हो सकती है। अब सभी की नजरें जिलाध्यक्ष के निर्वाचन पर आकर टिक गई है। जिसकी कार्यवाही 16 से 30 दिसंबर तक पूरी की जानी है। हलांकि राष्ट्रीय दलों मे इन पदों पर अधिकांशत: मनोनयन को ही निर्वाचन कहा जाता है। यही कारण है कि दावेदार नीचे से कहीं ज्यादा ऊपर निहार रहे हैं। मामला रूलिंग पार्टी के मुखिया बनने का है लिहाजा इस बार भी फेहरिस्त काफी लंबी है। इनमे युवा चेहरों के अलावा कई पूर्व अध्यक्ष तथा अनुभवी नेता भी हैं। इस पर आखिरी निर्णय भाजपा आलाकमान को लेना है, जो चौंकाने वाले फैंसलों के लिये जाना जाता है।
रिपीट या फ्रेश चेहरा
हर संगठन मे अध्यक्ष चुनने के लिये अलग-अलग मापदंड तय किये जाते हैं, लेकिन सक्रियता और संबंध इसमे महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। जिलाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के लिये तो यह अनिवार्य शर्त है। जानकारों का मानना है कि इस बार जितने चांस नये चेहरे के हैं, उतने ही रिपीट होने के भी हैं। इसका मुख्य कारण दावेदारों की संख्या और संगठन का पिछला ट्रैक रिकार्ड है। वर्तमान अध्यक्ष दिलीप पाण्डेय के कार्यकाल मे पिछले विधानसभा और उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव मे भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हांसिल की। सांथ ही लंबे समय से संगठन मे गतिशीलता के कारण उनके आत्मीय रिश्ते प्रदेश के बड़े नेताओं से भी हैं।
निष्ठा को दरकिनार करना आसान नहीं
जिले मे बहुत सारे ऐसे नेता हैं, जिन्होने विपरीत परिस्थितियों मे भाजपा का झण्डा उठाया और उसे जमीन पर मजबूती दी। उम्र के लिहाज से इनमे से कई के लिये यह आखिरी मौका है। उनकी इच्छा है कि इस बार पार्टी उनकी निष्ठा का सम्मान करे। इस सूची मे जिला मुख्यालय और आसपास सक्रिय रह कर संगठन की जीत सुनिश्चित करने वाले धनुषधारी सिंह का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। इसके अलावा कई पूर्व अध्यक्ष भी दोबारा कमान लेने के इच्छुक बताये जा रहे हैं। इनमे राकेश शर्मा, अरविंद बंसल, मनीष सिंह और आसुतोष अग्रवाल आदि नाम सम्मिलित हैं। युवा चेहरों मे मान सिंह, ज्ञानेन्द्र सिंह गहरवार, दीपक छतवानी, रामनारायण प्यासी की खासी चर्चा है। उधर राजनैतिक पंडितों का मत है कि जिले के कद्दावर नेता ज्ञान सिंह की चली तो शंभूलाल खट्टर की किस्मत भी चमक सकती है।
आयु सीमा बढऩे से जगी इच्छा
इस बार संगठन ने मंडल अध्यक्ष की तरह जिलाध्यक्ष पद के लिये भी आयु सीमा मे 10 वर्ष का इजाफा किया है। अभी तक मंडल अध्यक्ष पद के लिये 35 तथा जिला अध्यक्ष के लिये 50 वर्ष की उम्र तय थी। जोकि बढ़ कर क्रमश: 45 और 60 साल हो गई है। समझा जाता है कि इस निर्णय ने जिले के कई वरिष्ठ नेताओं की महात्वाकांक्षा जगा दी है।
ब्राम्हणों का रहा दबदबा
जिला बनने के बाद से लेकर अब तक भाजपा अध्यक्ष पद पर ब्राम्हणों का ही दबदबा रहा है। जिन्हे सबसे ज्यादा चार बार मौका मिला। जबकि तीन बार वैश्य (बनिया) और सिर्फ एक बार किसी क्षत्रिय को जिले की कमान दी गई। शहडोल से अलग होने के बाद पार्टी ने सत्यनारायण शिवहरे को उमरिया जिले का पहला अध्यक्ष बनाया। उसके बाद दिनेश त्रिपाठी, मिथलेश मिश्रा, आसुतोष अग्रवाल, राकेश शर्मा, अरविंद बंसल, मनीष सिंह तथा दिलीप पाण्डेय को मौका दिया गया।
महामंत्री को मिलती रही अध्यक्षी
कहा जाता है कि भाजपा अध्यक्ष बनने का रास्ता महामंत्री पद से होकर जाता है। अभी तक का रिकार्ड भी यही कहानी बयां करता है। जिले मे लगभग हर बार महामंत्री को ही मुखिया बनने का अवसर मिला है। इस बार भी यही परिपाटी रहेगी, या कोई नई बनेगी। सांथ ही पार्टी का नौवां अध्यक्ष कौन होगा यह सब आने वाले कुछ दिनो मे साफ हो जायेगा।