करोड़ों की धान ”पानी” मे
जिले भर मे मावठे की बारिश, उपार्जन केन्द्रों के बाहर खुले रखा अनाज
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
जिस बात का डर था, वैसा ही हुआ। जिले के उपार्जन केन्द्रों के बाहर करोड़ों रूपये धान रखी हुई है और इधर शनिवार की सुबह से मावठे की बारिश शुरू हो गई है। जानकारी के मुताबिक करीब-करीब हर केन्द्र पर उपार्जित फसल के अलावा किसानो की उपज भी खुले मे पड़ी भीग रही है। वहीं मौसम विभाग ने वर्षा का दौर आगे भी जारी रहने का अनुमान जताया है। ऐसे मे हालत क्या होगी, इसका अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है। यदि बारिश बंद भी हो गई तो जो धान भीग गई है, उसका क्या होगा। इस बीच उपार्जन और परिवहन की पेचीदगियों मे फंसा प्रशासन केन्द्रों मे रखी धान को बारिश से बचाने की मुहिम मे जुट गया है। सूत्रों के अनुसार खरीदी केन्द्रों के प्रभारियों को सभी काम छोड़ कर वहां रखी उपज को तिरपाल अथवा पॉलीथीन से ढांकने के निर्देश दिये गये हैं।
कन्फ्यूजन मे खरीदी व्यवस्था
खरीफ उपार्जन की व्यवस्था इस बार प्रारंभ से कन्फ्यूजन की स्थिति मे रही है। ऊपर वालों ने वर्षाे से उपार्जन कार्य मे लगी एमपी स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन (नान) को हटा कर अचानक यह काम भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) को सौंप दिया। नई संस्था के पास ना तो जिले मे इस कार्य का कोई अनुभव था, नां ही कोई स्टाफ और संसाधन। इसी वजह से खरीदी कुप्रबंधन का शिकार हो गई। केन्द्रों मे बारदानो से लेकर तुलाई और परिवहन तक हर स्तर पर जिला प्रशासन को ही जूझना पड़ रहा है। ऊपर से बारिश ने इस चुनौती को और बढ़ा दिया है।
किस ने बदलवाई एजेन्सी
अरबों रूपये के उपार्जन कार्य मे अचानक किया गया प्रयोग चर्चाओं मे है। सूत्रों का दावा है कि कई जिलों के कलेक्टरों ने शासन को पत्र लिख कर एजेन्सी न बदलने का आग्रह किया था। कहा जा रहा है कि प्रशासनिक मुखिया की राय को दरकिनार कर किये गये इस फेरबदल के पीछे किसी बड़ी ताकत का हांथ है। जिले मे आये एनसीसीएफ के प्रभारियों का रौब और रवैया भी यही सकेत देता है। बताया गया है कि जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एनसीसीएफ के प्रभारियों से बात-बात पर प्रार्थना करते दिख रहे हैं। बदले मे उनका जवाब ऐसा रहता है, जैसे वे कोई फन्ने खां हों।
बांधवभूमि ने जताई थी आशंका
उल्लेखनीय है कि बांधवभूमि लगातार उपार्जन और परिवहन मे हो रही लापरवाही की आवाज उठाता रहा है। अपने 21 दिसंबर के अंक मे पत्र ने एक बार फिर बारिश से किसानो और उपार्जित धान को क्षति होने की आशंका जताई थी। जो सही साबित हुई।
शासन ने बंद की खरीदी
इस बीच शासन ने धान का उपार्जन 3 दिन तक स्थगित कर दिया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक अपरिहार्य कारणो से जिले मे 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक खरीदी रोक दी गई है। शनिवार और रविवार वैसे भी यह कार्य नहीं किया जाता। लिहाजा कुल मिला कर पांच दिनो के बाद यानि 2 जनवरी को केन्द्रों मे खरीदी फिर से शुरू होगी।
59 प्रतिशत धान बाहर
28 दिसंबर सुबह 8.45 बजे की स्थिति के अनुसार जिले के 42 केन्द्रों मे 12832 किसानो से कुल 74746.3 मीट्रिक टन धान खरीदी की गई है। जिसमे से अभी तक मात्र 32171.1 मीट्रिक टन धान का ही उठाव हो पाया है। जबकि शेष 59.2 प्रतिषत अर्थात 38001.1 मीट्रिक टन धान अभी भी केन्द्रों से लाई जानी शेष है।