अधूरे पड़े जन मन आवास, चुनाव के बाद सुस्त हुई किस्त की रफ्तार
परेशान प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
ग्रामीण और शहरी इलाकों मे स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास का भुगतान नहीं होने से हितग्राहियों की समस्या बढ़ गई है। हालत यह है कि सैकडों लोग महीनो से किस्त की राह देख रहे हैं, परंतु खातों मे पैसा नहीं आ रहा। किस्त रूकने का क्या कारण है, इसकी सही जानकारी किसी के पास नहीं है। सूत्रों का मानना है कि सरकार के पास पैसे की किल्लत होने के चलते भुगतान मे अवरोध उत्पन्न हुआ है। दूसरी ओर इस परिस्थिति के चलते विशेषकर ग्रामीण हितग्राही कई तरह की मुश्किलों से जूझ रहे हैं। उन्होने बताया कि योजना स्वीकृत होने के बाद उन्होने अपने कच्चे घर को तोड़ कर काम शुरू कर दिया, पर पैसा नहीं आने से निर्माण अधूरा पड़ा है। जिसके कारण पूरा परिवार अव्यवस्थित है। ऊपर से ठंड ने इस परेशानी को और बढ़ा दिया है।
उधारी वाले कर रहे तगादा
किस्त आने की उम्मीद मे अधिकांश लोगों ने गांव के दुकानदारों से उधार पर सामान लेकर काफी निर्माण कार्य कर लिया है। कई मकानो मे छत पडऩा शेष है, परंतु पहले की उधारी को चुकाने तथा आगे का काम बढ़ाने के लिये पैसा चाहिये। किस्त नहीं आने से हितग्राहियों के अलावा वे व्यापारी भी परेशान हैं, जिनका पैसा उधारी मे फंसा हुआ है।
योजना मे ज्यादा दिक्कत
प्रधानमंत्री आवास योजना मे तो फिर भी किसी कदर किस्त आ रही है, लेकिन केन्द्र सरकार की महात्वाकांक्षी जनमन योजना मे भारी दिक्कत बताई गई है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते साल 2023 मे जनजाति आदिवासी न्याय महायोजना (पीएम जन-मन योजना) घोषित की गई थी। इसका उद्देश्य गरीब और पिछड़ी बस्तियों को सुरक्षित आवास मे बदलना, उनके लिए स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, बिजली, सडक़, स्वास्थ्य, पोषण, दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराना है। इसके तहत जिले की अत्यंत पिछड़ी बैगा प्रजाति के बाहुल्य गावों मे कई तरह के विकास कार्यो के अलावा आदिवासियों के प्रधानमंत्री जन मन आवास स्वीकृत किये गये हैं। शुरूआत मे तो इसमे जल्दी-जल्दी खूब पैसा आया, परंंतु चुनाव खत्म होते ही इसकी रफ्तार सुस्त पड़ गई।
9080 आवास अपूर्ण
जिले मे प्रधानमंत्री जन मन योजना के तहत हजारों आवास अभी भी अपूर्ण हैं। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2024 मे कुल 13612 जन मन आवास स्वीकृत किये गये थे, जिनमे से अब तक महज 4532 आवास का निर्माण ही हो पाया है। शेष 9080 अधूरे हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण हितग्राहियों को किस्त का भुगतान समय पर नहीं होना बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2016-17 से 2023 तक जिले मे कुल 74042 आवास स्वीकृत हुए थे, इनमे 62648 बनाये जा चुके हैं। वहीं 11394 अभी भी नहीं बन सके हैं।