गांवों मे फसलों को रौंद रहे जंगली हाथी, जस की तस किसानों की समस्या
उमरिया। जिले के बांधवगढ़ और आसपास के अंचलों मे पिछले दो साल से छत्तीसगढ़ व झारखंड से आ कर बसे हथियों ने तबाही मचा रखी है। वे लगातार खेतों मे घुस कर खड़ी फसलों तथा पेड़-पौधों को बर्बाद कर रहे हैं, जिससे किसानो को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। समस्या और भी जटिल इसलिये है, क्योंकि हाथियों द्वारा की जाने वाली नुकसानी के मुआवजे का ना तो कोई प्रावधान है नां ही सरकार ने इसके लिये कोई फण्ड ही मुहैया कराया है। ले दे कर किसानो को हर नुकसानी के लिये पहले तो कलेक्टर के दरवाजे पर गुहार लगानी पड़ती है। जब वे आदेश करते हैं तब कहीं जाकर राजस्व विभाग सर्वे करता है और थोड़ा बहुत मुआवजा देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।
सिर्फ जनहानि पर मुआवजा
हाथी यदि कोई जनहानि कर दे तभी लोगों को मुआवजा देने का प्रावधान है। वह भी प्रोजेक्ट एलीफेंट का नहीं बल्कि वन विभाग का है। जैसे दूसरे जानवरों द्वारा लोगों को नुकसान पहुंचाने पर राहत प्रदान की जाती है वैसे ही हाथी द्वारा जनहानि करने पर चार लाख रूपए का मुआवजा प्रदान किया जाता है।
नहीं है कोई फण्ड
सबसे अहम बात यह है कि 1992 मे कुछ राज्यों मे एलीफैंट प्रोजेक्ट बने है जहां हाथियों से सुरक्षा के लिए फण्ड भी जारी हुआ है। मध्यप्रदेश मे तीन टाइगर रिजर्व बांधवगढ़, कान्हा व संजय टाइगर रिजर्व मे जहां हाथियों की लोकेशन है वहां के लिये कोई फण्ड नहीं है। हांथी जंगल से लगे गांवों मे ग्रामीणों के घर तोड देते हैं, उनकी शैतानी से अनाज आदि का भी काफी नुकसान होता है। लेकिन इसके लिए अभी तक राज्य सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
बांधवगढ़ मे 40 से ज्यादा जंगली हाथी
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले छत्तीसगढ़ के जंगलों से आए 40 से ज्यादा हाथियों के एक समूह ने बांधवगढ़ मे अपना स्थायी निवास बना लिया है और इन हाथियों को जंगल से लगे गांव के लोग अपने जीवन के लिए खतरा महसूस कर रहे हैं। ये जंगली हाथी अब अलग-झुंड मे बंट गए हैं। बांधवगढ़ के खितौली, पतौर और पनपथा जोन के बीच सक्रिय रहने वाले यह हाथी इस समय सात से ज्यादा झुंड मे देखे जा रहे हैं। बताया गया है कि इन हाथियों के झुंड से भटके हुए दो हाथी तो ग्राम ददराटोला के निकट पिछले कई दिनों से लोगों की परेशानी का कारण बने हुए हैं। इसके अलावा बगदरी, गढ़पुरी और गोंहड़ी मे भी हाथी दिखाई दे रहे हैं।
लोगों को कर रहे जागरूक
वन विभाग और अन्य कई संस्थाओं के लोग जंगल के आसपास के गांवों के लोगों को हाथियों के खतरे से जागरूक कर रहे हैं। मुंबई की एक संस्था लास्ट विंडरनेस फ ाउडेंशन के कोआर्डिनेटर के तौर पर कुछ लोग पहले काम कर रहे थे लेकिन इस संस्था ने अब अपनी सेवा देना बंद कर दिया है। हलांकि संस्था से जुड़े कुछ सदस्य जंगल से लगे गांवों मे हाथियों के व्यवहार और उनके गुस्से से लोगों को बचाने के रास्ते बता रहे हैं। वन विभाग का मानना है कि इंसान जब हाथियों के साथ रहना सीख जाएंगे तब न तो हाथियों पर किसी तरह का खतरा होगा और न ही इंसान संकट मे आएंगे।
दिखा रहे हैं फि ल्म
वहीं वन विभाग का अमला जंगल के आसपास के गांवों मे जाकर लगातार ग्रामीणो को जागरूक कर रहा है। इसके लिये कुछ फि ल्में भी दिखाई जस रही है। यह अभियान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे बफ रजोन के गांवों मे चलाया जा रहा है।