हांथी खेत मे, साहब नींद मे
बांधवगढ़ मे फैली अराजकता, बढ़ रहा ग्रामीणों और किसानो का आक्रोष
उमरिया। जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मे फैली अराजकता पार्क के दुर्लभ वन्यजीवों के सांथ पूरे इलाके के ग्रामीणो और किसानो के लिये मुसीबत का सबब बन गई है। जंगली हाथियों का कोहराम चरम पर है, झुण्ड के झुण्ड हांथी पार्क के कोर तथा बफर जोन से लगे ग्रामो की खेतों को तबाह कर रहे हैं। अन्नदाता ने जिस फसल को बड़े ही जतन से उधार-हाल करके बोया है, उसे इस तरह रौंदे जाते देख उनका मन व्यथित हो रहा है। एक तरफ जंगली हांथी ग्रामीणो की जान और माल के लिये संकट बने हुए हैं तो दूसरी ओर शिकारी जानवरों का काम तमाम किये पड़े हैं। ऐसी स्थिति मे उद्यान के जिम्मेदार अफसर जुगत लगाने की बजाय एसी लगे बंगलों मे आराम फरमा रहे हैं।उनकी इस कार्यप्रक्रिया से किसानो मे भारी आक्रोष है। रविवार की रात मझौली और पनपथा के कई किसान फारेस्ट बैरियर पर पहुंच गये और रास्ता जाम कर दिया। जिससे दोनो ओर वाहनो की लंबी-लंबी कतारें लग गई। इसी दौरान कांग्रेस नेता मनोज सिंह, जगजाहिर सिंह, रामखेलावन सिंह, संतोष अवस्थी, राकेश ताम्रकार, अक्षय महोबिया, अशोक आदि ने वहां पहुंच कर किसानो को समझाया बुझाया। काफी मान मनौव्वल के जब वे रास्ते से हटे तब जाकर आवागमन सामान्य हो सका।
फूट सकता है गुस्सा
बीते दिनो गुरूवाही के किसानो के सांथ जिस तरह का व्यवहार हुआ और आमतौर पर शांत रहने वाले आदिवासी किसानो ने अधिकारियों के मुंह पर जो प्रतिक्रिया दी, उसने संकेत मिलता है कि हालात उतने सामान्य नहीं हैं, जितने ऊपर से दिखाई पड़ते हैं। रोज-रोज का नुकसान और शिकायत करने पर बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों द्वारा की जा रही अभद्रता से स्थानीय लोगों मे गुस्सा तेजी से पनप रहा है। यदि अमले ने अपनी कार्यप्रक्रिया मे बदलाव नहीं किया तो किसी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।
सौहार्द से सुरक्षित पार्क का अस्तित्व
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भले ही जिले को प्रकृति द्वारा दी हुई अमूल्य धरोहर है पर इसके संरक्षण और संवर्धन मे आपसी सौहार्द और सहयोग का विशेष योगदान है। इससे पहले तक के अधिकारी इस बात को भलीभांति जानते-समझते थे कि बिना स्थानीय ग्रामीणो, किसानो और व्यापारियों के सहयोग के पार्क को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता परंतु वर्तमान प्रबंधन इसे भूल कर लोगों से हिटलर जैसा व्यवहार कर रहा है।
शिकायत करने पर मिलती हैं गालियां
बीते दिनो किसानो और पार्क के अधिकारियों के बीच हुए वाद-विवाद का एक वीडियो इन दिनो सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रहा है। जिसमे विभाग के अधिकारियों द्वारा गाली-गलौज करने पर लोग आक्रोषित दिखाई दे रहे हैं। क्षेत्र के किसानो का आरोप है कि जंगली हाथियों या अन्य वन्यजीवों द्वारा की जा रही जानमाल के नुकसानी की मांग करने पर अधिकारी अभद्रता पर उतर आते हैं। आखिर फसलों और जानमाल के मुआवजा की मांग करना कोई गुनाह तो नहीं है।
हांथी खेतों मे, साहब नींद मे
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