हजारों क्विंटल धान सडऩे की कगार पर

हजारों क्विंटल धान सडऩे की कगार पर
अब तक मात्र 30 प्रतिशत मिलिंग, हीला-हवाली मे बीत गये चार महीने
उमरिया। शासन और नॉन की लापरवाही से करोड़ों रूपये की धान सडऩे की कगार पर है। बताया गया है कि उपार्जन के 4 महीने बीत जाने के बाद भी मात्र 30 प्रतिशत धान की दराई हो सकी है। शेष लगभग 70 प्रतिशत धान गोदामो मे या बाहर बने चबूतरों पर रखी हुई है। मानसून आने मे भले ही अभी कुछ समय शेष है परंतु मई महीने से लगातार हो रही बारिश के कारण धान मे नमी आना स्वाभाविक है। जानकारों का मानना है कि अगले करीब 4 महीनो तक नमी के कारण ना तो मिलिंग हो पायेगी और ना ही इसे सुखाया जा सकेगा। ऐसे मे धान का सडऩा तय है। ऐसे मुल्क मे जहां लाखों लोगों को दो जून का खाना नसीब न हो, वहां इस तरह अनाज का सडऩा न सिर्फ दुर्भाग्यजनक बल्कि शर्मसार करने वाला है।
कौन है नुकसानी का जिम्मेवार
सवाल उठता है कि इतना लंबा समय मिलने के बाद भी धान की मिलिंग क्यों नहीं कराई गई और इतनी बड़ी लापरवाही से होने वाले करोड़ों रूपये के नुकसान का जिम्मेवार कौन है।
81 हजार 292 मीट्रिक टन उपार्जन
उल्लेखनीय है कि जिले मे वर्ष 2020-21 के दौरान कुल 81 हजार 292 मीट्रिक टन धान का उपार्जन हुआ है। उपार्जन का कार्य जनवरी 21 मे समाप्त हो चुका है। नियमत: मिलिंग का कार्य मानसून के पहले हो जाना चाहिये परंतु शासन की लापरवाही और विभाग मे व्याप्त लालफीता शाही के चलते ऐसा नहीं हो सका।
गेहूं खराब होने का भी खतरा
मिलिंग और आवंटन न होने से जिले के गोदामो मे धान और चावल भरा पड़ा है। जिससे उपार्जित गेहूं रखने की जगह ही नहीं बची। बताया गया है कि इस वर्ष जिले मे 48 हजार 197 मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ है। जिसमे से करीब 1000 मीट्रिक टन गेहूं अभी भी उपार्जन केन्द्रों मे रखा हुआ है। प्री मानसून की बारिश शुरू होने से शेष अनाज आनन-फानन मे गोदामो अथवा चबूतरों पर तिरपाल से ढांक कर रखा जा रहा है। ऐसे मे धान और गेहूं दोनो के सडऩे का खतरा मंडराने लगा है।
बेयर हाऊस के बाहर ट्रकों की लाईन
जानकारी के मुताबिक बीते करीब 10 दिनो से कटनी रोड पर स्थित केके बेयर हाऊस के बाहर चावल से भरे दर्जनो ट्रक खड़े हैं। जब इस संबंध मे पड़ताल की गई तो पता चला कि क्वालिटी इंस्पेक्टर के व्यस्त होने के कारण माल अनलोड नहीं हो पा रहा है। जिस क्यूआई की ड्यूटी केके बेयर हाऊस मे लगी है, उसे मानपुर का भी प्रभार दिया गया है, जिससे यह हालत हुई है। सूत्रों ने बताया कि वाहनो मे लोड अनाज अनलोड न होने की दशा मे किराये के अलावा हजारों रूपये डेमेज चार्ज का भुगतान भी मोटर मालिकों को करना पड़ेगा।
बेयर हाऊस की जिम्मेदारी
मिलिंग के दौरान टूटन के प्रतिशत को लेकर टेण्डर नहीं हो पाया है। अब बेयर हाऊस की जिम्मेदारी है कि वह अनाज को सुरक्षित रखे।
डीएम नॉन
उमरिया

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