धनतेरस पर सुस्त कारोबार, पांच दिनी प्रकाश पर्व दीपावली का शुभारंभ
उमरिया। कल धनतेरस के सांथ ही पांच दिनी प्रकाश पर्व दीपावली की शुरूआत हो गयी। धनतेरस पर इस बार अपेक्षा अनुरूप कारोबार की हालत बेहद सुस्त रही। बाजारों मे नजारा त्यौहार की बजाय आम दिनो जैसा रहा। आमतौर पर बर्तन, कपड़ा, किराना, आटोमोबाइल्स और इलेक्ट्रानिक दुकानो मे उमडऩे वाली भीड़ इस बार नदारत रही। इस दौरान जिले मे करीब 8 से 10 करोड़ के व्यापार का अनुमान लगाया गया है। मध्यम वर्गीय परिवारों का रूझान जहां वाहन, बर्तन, टीवी, फ्रीज तथा वाशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरणों की ओर रहा वहीं ग्रामीण अंचलों के लोग बर्तन, कपड़ा तथा मोबाईल की खरीददारी मे व्यस्त रहे। धनतेरस पर जिला मुख्यालय मे लगभग 4 से 6 करोड़ का बिजनेस होने की बात कही जा रही है। आटोमोबाईल व्यापार पर मंदी का असर दिखा, इसके बावजूद सबसे ज्यादा बिक्री वाहनो की हुई। जानकारों का मानना है कि जिले भर मे धनतेरस पर करीब 300 दोपहिया व 40 चारपहिया वाहनो की खरीद हुई है। चारपहिया मे ट्रेक्टर सर्वाधिक बिके।
धनवंतरि की हुई पूजा
धन तेरस देवताओं के वैद्य भगवान धनवंतरि के अवतरण का दिन है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान धनवंतरि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को अमृत कलश लेकर पैदा हुए थे और उन्होने ही औषधि शास्त्र की रचना की है। धनवंतरि को देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है। कल चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों ने भगवान धनवंतरि की विधि विधान से पूजा अर्चना कर रोगियों के प्रति बेहतर सेवाभाव जाग्रत करने की कामना की। लोकमान्यता यह भी है कि भगवान धनवंतरि के कलश लेकर पैदा होने के कारण ही धनतेरस पर बर्तनों के खरीदी की शुरूआत हुई। धनतेरस पर धातुओं की खरीदी अति शुभ मानी जाती है।
खूब हुई बर्तनों की खरीदी
धनतेरस की महत्ता दीपावली से कम नही होती। इस दिन बर्तनों की खरीददारी शुभ मानी जाती है। धनतेरस पर बर्तन खरीदकर घर ले जाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है इसी का अनुसरण करते हुए कल लोगों ने खासतौर पर बर्तनों की खरीददारी की। बाजार से दीगर महंगे आइटम खरीद चुके लोगों ने शुभाचार के लिए छोटे ही सही पर बर्तन जरूर खरीदे। इसी तरह कल कपड़ा बाजार मे व्यापार संतोषजनक रहा। बच्चों ने अपने बड़ों के साथ बाजार पहुंचकर पसंदीदा कपड़ों की खरीदी की।
सड़कों पर लगी रही भीड़
धन तेरस के मौके पर कल शहर का बाजार लगभग दोगुना देखने को मिला। पूरा बाजार झालरों की दुधिया रोशनी से नहाया हुआ था। दुकानदारों द्वारा दुकानों को सजाने के प्रयास और आकर्षक सामग्रियों की नुमाइश के कारण दुकाने लगभग सड़क तक आ गयी और उन्ही के सामने वाहनों की पार्किग कर दी गयी थी। दोनों बाजुओं पर यही स्थित होने के कारण सड़के बेहद संकीर्ण हो गयी जिससे आवागमन कठिन हो गया।
सूखा रहा समृद्धि का पर्व
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