सीजेआई बोले-अलग गाइडलाइन नहीं बना सकते, सीबीआई- ईडी के मनमाने इस्तेमाल का था आरोप
विपक्षी दलों की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पेश की। सिंघवी ने कहा- साल 2013-14 से लेकर 2021-22 तक CBI और ED के मामलों में 600% की वृद्धि हुई है। ED ने 121 नेताओं की जांच की, जिनमें से 95% विपक्षी दलों से हैं। वहीं CBI ने 124 नेताओं की जांच की, जिसमें से 95% से अधिक विपक्षी दलों से हैं।इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा, क्या हम इन आंकड़ों की वजह से कह सकते हैं कि कोई जांच या मुकदमा नहीं होना चाहिए? क्या यह बचाव का कारण हो सकता है? कोर्ट ने कहा कि एक राजनीतिक दल का नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है और नागरिकों के रूप में हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं।जस्टिस चंद्रचूड़ ने याचिका की वैधता और व्यावहारिकता पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने सिंघवी से पूछा कि क्या वह जांच और केस से विपक्षी दलों के लिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं? क्या उनके पास नागरिक के रूप में कोई विशेष अधिकार है?
अभिषेक मनु सिंघवी
सिंघवी ने स्पष्ट किया कि वह विपक्षी नेताओं के लिए कोई सुरक्षा या छूट नहीं मांग रहे, बल्कि केवल कानून की निष्पक्षता चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को कमजोर और डराने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और यह लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए नुकसानदेह है। सरकार कोर्ट द्वारा निर्धारित ‘ट्रिपल टेस्ट’ का भी उल्लंघन कर रही है। यानी किसी की गिरफ्तारी के लिए वजह, जरूरत और अपराध के अनुरूप सजा को ध्यान में रखना।हालांकि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ सिंघवी के तर्कों से सहमत नहीं हुए और कहा कि आपकी याचिका पूरी तरह राजनेताओं के लिए ही है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिका में आम नागरिकों के अधिकारों और हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है। याचिका में ऐसा नहीं लगता कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई से आम नागरिक कहीं प्रभावित हो रहा है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सिंघवी संसद में अपनी चिंताओं को उठा सकते हैं।
इसके बाद सिंघवी ने याचिका वापस लेने का फैसला किया और कहा कि सत्ता के दुरुपयोग को लेकर जब उनके पास मजबूत तथ्य सामने आएंगे तो वे फिर कोर्ट आएंगे।यह तस्वीर 27 मार्च की है, जब विपक्षी दलों ने काले कपड़े पहनकर संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और ED-CBI को लेकर नारेबाजी की थी।
विपक्षी दलों की याचिका
गिरफ्तारी व रिमांड के लिए CBI व ED अधिकारी ट्रिपल टेस्ट का इस्तेमाल करें।कोर्ट गंभीर शारीरिक हिंसा छोड़ अन्य अपराधों में गिरफ्तारी पर रोक लगाए।अगर आरोपी तय शर्तों का पालन नहीं करता है तो उन्हें कुछ घंटों की पूछताछ या फिर हाउस अरेस्ट की अनुमति ही दी जानी चाहिए।जमानत एक अपवाद वाले सिद्धांत का पालन अदालतों द्वारा ED व CBI के केसों में भी किया जाना चाहिए।जहां पर ट्रिपल टेस्ट का पालन किया गया है, वहां पर जमानत से इनकार किया जाना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले विपक्षी दलों में कांग्रेस, TMC, DMK, RJD, BRS, आम आदमी पार्टी, NCP, शिवसेना (UTB), JMM, JDU, CPI (M), CPI, समाजवादी पार्टी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कांग्रेस का नाम शामिल थे।