सिर्फ सफाई से नहीं होगा उमरार का उद्धार

कलेक्टर की पहल का स्वागत, नागरिकों ने कहा-लेने होंगे ठोस फैंसले
बांधवभूमि, उमरिया
कलेक्टर डॉ. कृष्णदेव त्रिपाठी की पहल पर उमरार सफाई अभियान शुरू हो गया है। रविवार की सुबह प्रशासन और विभागों के कई अधिकारी तथा बड़ी संख्या मे नागरिकों ने नदी मे उतर कर इसमे अपना योगदान दिया। इस अवसर पर कलेक्टर श्री त्रिपाठी तथा एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा ने खलेसर घाट पर वृक्षारोपण भी किया। कलेक्टर के इस प्रयास का नगरवासियों ने स्वागत किया है, हलांकि उनका यह भी कहना है कि सिर्फ सफाई से जीवनदायिनी उमरार के अस्तित्व को बचाना संभव नहीं है। इसके लिये कई कड़े और बड़े फैंसले तत्काल लेने होंगे। उल्लेखनीय है कि शहर और आसपास के दर्जनो गांवों के हजारों परिवारों को वर्षो से अपने अमृत रूपी जल से तृप्त करने वाली उमरार अदूरर्शी निर्णयों, प्रदूषण और बेतहाशा अतिक्रमण के कारण मृतप्राय हो कर रह गई है।
मुख्यमंत्री भी कर चुके श्रमदान
यह पहला मौका नहीं है, इससे पूर्व भी कई बार इस तरह के सफाई अभियान चलाये गये। इतना ही नहीं स्वयं मुख्यमंत्री भी उमरार की सफाई मे श्रमदान दे चुके हैं, लेकिन यह सब कुछ फोटोशूट तक ही सीमित रहा। कभी अपनी कल-कल धार से लोगों को आकर्षित करने वाली यह नदी अब गंदे नाले मे तब्दील हो चुकी है। जानकारों का मानना है कि उमरार को उसी स्वरूप मे लाना फिलहाल असंभव सा प्रतीत होता है। ऐसा करने के लिये दृढ़ इच्छाशक्ति के सांथ विशेष कार्ययोजना बनानी होगी।
इस वजह से बिगड़े हालात
दरअसल उमरार के जीर्णोद्धार के लिये उसके तकनीकी पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा। इसका उद्गम ग्राम बिरहुलिया के पास चोटकीपानी नामक स्थान पर है। जहां से करीब 12 किलोमीटर दूर नदी पर उमरार जलाशय बांधा गया है। मतलब यही 12 किलोमीटर ही नदी का मुख्य कैचमेंट एरिया है। जहां कुछ वर्षो के अंतराल मे कई स्टापडेम बना दिये गये हैं। इससे नदी मे पानी की आवक कम होती चली गई। नतीजतन उमरार जलाशय का ओवरफ्लो चलना बंद हो गया और इसी वजह से आगे की धार सूख गई। नदी के किनारे हुई पेड़ों की अधाधुंध कटाई ने भी समस्या को गंभीर किया है। इसके लिये कैचमेंट एरिया क्लीयर करने के सांथ वाटर रिचार्ज करने वाले कहुआ, जामुन और जमड़ी जैसे वृक्षों का रोपण जरूरी है। बहाव बढ़ाने के लिये कुछ साल पहले चपहा और मछड़ार का पानी उमरार मे उड़ेलने की योजना भी बनी परंतु उसे अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
अतिक्रमणकारी ही झाड़ रहे भाषण
अतिक्रमण और भ्रष्टाचार उमरार नदी की तबाही का एक और प्रमुख कारण है। महरोई ग्राम पंचायत के रास्ते शहर मे प्रवेश करने से लेकर नगर पालिका की सीमा के बाहर तक सैकड़ों एकड़ जमीन भूमाफियाओं द्वारा कब्जा ली गई है। इस फर्जीवाड़े मे राजस्व अमला भी शामिल है। मजे की बात तो यह है कि नदी को बचाने के लिये भषणबाजी करने और श्रमदान देने वाले कई लोगों पर ही उमरार की जमीन को बेंच कर अपनी जेबें हरी करने का आरोप है। यदि रिकार्ड और टोप्पोशीट से मिलान कर निष्पक्ष जांच हो तो जमीनो की हेराफेरी के सांथ तथाकथित समाजसेवियों, नेताओं और नदी के हितैषियों की कलई खुल सकती है।
धार मे गिरा रहे जहरीला पानी
पर्यावरणविदें के मुताबिक उमरार नदी मे शहर का जहरीला पानी गिराये जाने से पानी मे आक्सीजन की मात्रा निरंक हो गई है। कही स्थानो पर तो टायलेट का मल सीधे धार मे आकर मिल रहा है। इन सभी बिंदुओं पर विचार कर नदी मे दूषित जल, पॉलीथीन आदि गंदगी डालने पर प्रतिबंध, अन्य नदी-नालों को मिला कर बहाव तेज करने, शहरी क्षेत्र मे निस्तार के पानी को ट्रीटमेंट कर नदी मे छोडऩे, ज्वालामुखी से भंगहा तक समूची नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने जैसे ठोस कदम उठाये बगैर उमरार का उद्धार मुश्किल है।
चपहा को उमरार से जोड़ें
उमरार से ही हमारी पहचान है, इसके संरक्षण का हर प्रयास स्वागतयोग्य है। नदी को पुर्नजीवित करने के लिये नदी जोड़ो अभियान की तरह नगर के चपहा नाले को इसमे मिलाया जाना चाहिये। इस नाले की दूरी नदी से महज 1300 मीटर है। बरसात मे अक्सर नाले की वजह से खतरा बढ़ जाता है। कई साल पहले चपहा का पानी कालरी मे पानी भर जाने से लाखों रूपये की क्षति हुई थी। चपहा की धार उमरार मे गिराने से जहां नदी का बहाव तेज होगा वहीं खतरनाक स्थिति से बचा जा सकेगा।
अजय सिंह
अध्यक्ष
जिला कांग्रेस कमेटी, उमरिया

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