सिर्फ नुकसान ही नहीं…बारिश से किसानो को लाखों का फायदा भी हुआ, असिंचित 20 हजार हेक्टेयर मे सिचाई से बढ़ेगा हजारों क्विंटल उत्पादन

सिर्फ नुकसान ही नहीं…बारिश से किसानो को लाखों का फायदा भी हुआ, असिंचित 20 हजार हेक्टेयर मे सिचाई से बढ़ेगा हजारों क्विंटल उत्पादन
बांधवभूमि, उमरिया
पश्चिमी विक्षोभ के कारण आई हवाओं से बनी ट्रफ लाइन जिले के किसानों के लिये लाभदायक साबित हुई है। 88.58 हजार हेक्टेयर में खड़ी रबी फसलों मे बिना मेहनत किए ही सिंचाई का काम निपट गया। इससे करीब 8 करोड़ से ज्यादा की बचत होने का अनुमान है। खास बात यह हैं कि इसमे से करीब 20 हजार हेक्टेयर मे तो पानी के स्रोतों के अभाव मे सिंचाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे खेतों मे खड़ी फसलों के लिए मावठे की बारिश ने अमृत का काम किया है। अब तक मुरझाकर खड़ी सूखी फसले बारिश का पानी मिलते ही तरोताजा होकर खिल गई हैं। इन इलाकों मे सिंचाई के लिए तो किसानों ने भी उम्मीद ही नहीं की थी। लेकिन बारिश ने ऐसे स्रोतों से अभावग्रस्त इलाकों की फसलों को भी लहलहा दिया। इन इलाकों के किसानों को इस बार डबल फायदा होगा। एक तो सिंचाई के लिए उन्हे अलग से कोई खर्च नहीं करना पड़ा और दूसरा बारिश से इन खेतों मे सिंचाई हो जाने से उत्पादन भी सीधे दो गुना हो जाएगा।
गेहूं का रकबा ज्यादा
फसल          रकबा
गेहूं                60.29  हजार हेक्टेयर
चना              11.33  हजार हेक्टेयर
सरसों            04.51  हजार हेक्टेयर
मसूर             03.15  हजार हेक्टेयर
अरहर            08.70  हजार हेक्टेयर
मटर              00.60  हजार हेक्टेयर
कुल               88.58  हजार हेक्टेयर

अभी कोई नुकसान नहीं
जिले मे ओलावृष्टि बेहद कम हुई है। बारिश किसानो के लिए फयदेमंद साबित होगी। हल्की बारिश ही फसलों के लिए एक सिचाई का काम करेगी। जहां तक तेज हवा चलने की बात हैं तो अभी फसलों मे दाने नहीं बने है। इस कारण हवा से भी फिलहाल नुकसान का खतरा नहीं है। यदि मौसम कई दिन तक खराब रहेगा तो नुकसान होने की संभावना है, फिलहाल नहीं।
खेलावन डेहरिया
उप संचालक कृषि, उमरिया

ट्रांसफार्मर से जूझ रहे किसानो को राहत
ट्रांसफार्मर की समस्या से जूझ रहे किसानो को भी बारिश से फौरी राहत मिली है। उल्लेखनीय है कि जिले मे कई महीनो से सैकड़ों ट्रांसफार्मर खराब पड़े हैं, जिसकी वजह से फसलों की सिचाई नहीं हो पा रही। इस समस्या को लेकर आये दिन किसान कलेक्ट्रेट व मण्डल कार्यालय मे धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। जिले मे हो रही बारिश से ऐसे किसानो को कुछ दिन के लिये ही सही, समस्या से छुटकारा मिल गया है।

पाले का खतरा टला
जानकारों का मानना है कि इन दिनो फसलों के विकास की अवस्था है। जिससे उन्हे सिंचाई की जरूरत होती है। ऐसे दौर मे बारिश हो जाने से किसानों को फायदा होगा। आमतौर पर दिसंबर के अंत में पाले का खतरा बना रहता है। जो कि बारिश होने के कारण टल गया है।
फैक्ट: किसानो को प्रति हेक्टेयर सिंचाई के लिए औसतन एक हजार रुपए खर्च करने होते हैं।

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