जनता के लिए सिरदर्द बने वर्षों से जमे अधिकारी
चंदिया/ झल्लू तिवारी। शासन द्वारा चंदिया को तहसील का दर्जा देकर विकास के साथ जनता की सुविधा और सम्पन्नता का मार्ग प्रशस्त किया गया था, परंतु कौन जानता था कि जिन अधिकारियों पर जनसमस्याओं के निराकरण तथा योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होगी वे खुद ही खेत को चरने वाली बाड बन कर रह जायेंगे। नगर के तहसील कार्यालय मे इन दिनों कुछ ऐसा ही नजारा दिखाई दे रहा है। तहसील न्यायालय तो जैसे दलाली का अड्डा बन कर रह गया है, जहां न्याय उसे ही मिलता है, जो साहब बहादुर के चहेतों की जी हुजूरी कर उन्हें चढ़ोत्तरी मे सक्षम हों। ये दलाल कोई और नहीं काला कोटधारी हैं, जो कानूनगिरी की बजाय भांटगिरी मे माहिर हैं। इनके द्वारा गरीब जनता से पैसा ऐंठ कर बंटनवारा, नामांतरण, गरीबी रेखा मे नाम जुड़वाने से लेकर लोगों को फंसाने और बचाने का काम किया जाता है।
ये है असली कारण
इसका मुख्य कारण तहसील कार्यालय मे वर्षों से पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी हैं। बताया जाता है कि तहसील के आला अधिकारी करीब 5 वर्षों से यहां जमे हुए हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि ऑफि स का पट्टा उनके नाम है, वे जब तक चाहेंगे यहीं रहेंगे।
फर्जीवाड़े की फि तरत
तहसील मे पदस्थ अधिकारी का विवादों और धांधलियों से पुराना नाता रहा है। वे जहां भी रहे, रुपयों के लिए सरकार को चूना लगाते रहे। चंदिया मे तो खुद ही प्रतिवेदन प्रस्तुत कर, अपने रिश्तेदारों को मार्बल की खदान ही आवंटित करा ली। इसके अलावा रेत के कारोबारियों को लूट की खुली छूट का मामला भी साहब को सुर्खियां दिलाता रहा है।
देते हैं ऊंची पहुंच की धौंस
अधिकारी महोदय केवल भृष्टाचार शिरोमणि ही नहीं फेंकने मे भी माहिर हैं। आम जनता को प्रताडि़त करने के साथ ही वे कभी खुद को राजाओं का वंशज तो कभी मंत्रियों का रिश्तेदार बताते रहते हैं। इतना नहीं उनकी कार्य प्रक्रिया पर सवाल उठाने वालों को अपनी ऊंची पहुंच की धौंस दिखाकर चुप भी करा देते हैं।
संज्ञान लें कलेक्टर
स्थानीय लोगों की मांग है कि जिले के लोकप्रिय कलेक्टर चंदिया तहसील मे चल रही ठगी को संज्ञान मे लेते हुए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों को तत्काल बाहर करने की कार्यवाही करें।
साहब बहादुर ने लिखवाया तहसील का पट्टा
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