अमले की लापरवाही का शिकार हितग्राहियों को राशन के लिये करनी होगी भारी मशक्तत
गरीबी रेखा के सत्यापन मे हो रही भारी गड़बड़ी
उमरिया। जिले मे गरीबी रेखा की सूची हमेशा से सुर्खियां बटोरती रही है। एक समय तो कुल जनसंख्या की 80 फीसदी आबादी इस सूची का हिस्सा बना दी गई थी। इतना ही नहीं एक से एक धन्ना सेठ जुगाड़ से गरीबों की रेखा को अपने ऊपर गुजार कर सरकारी सुविधा का पात्र बन गये थे। जब शोर मचा तो ताबड़तोड़ कार्यवाही कर हजारों नाम काट दिये गये। ऐसी ही कार्यवाही इन दिनो एक बार फिर न सिर्फ चर्चा का केन्द्र बनी हुई है बल्कि इससे सचमुच के गरीब समस्या मे आ गये हैं। बताया जाता है कि इन दिनो जिले मे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबी रेखा मे शामिल हितग्राहियों का सत्यापन कार्य चल रहा है। सर्वे का आलम यह है कि इसमे कई जिंदा लोगों को ही मृत बता कर सूची से बाहर कर दिया गया है।
नाम न काटने की लग रही कीमत
ग्राम पंचायत ददरौड़ी के ग्रामीणो का आरोप है कि उनके यहां पदस्थ सचिव राधे प्रसाद साहू ने तो नाम न काटे जाने की कीमत एक हजार रूपये रख दी है। जिसने पैसा नहीं दिया, उसे सूची अकारण ही बाहर कर दिया जाता है। हद तो तब हो गई जब गांव के जीवित हितग्राही कोदू यादव, पुनिया यादव, कपसी गोंड़ तथा दुईजी बाई आदि को मृत बता कर उन्हे हमेशा के लिये लिस्ट से बाहर कर दिया गया है।
हर दुकान से काटे गये सैकड़ों नाम
जानकारी के अनुसार जिले की लगभग हर राशन दुकान से अब तक सैकड़ों लोगों के नाम काटे जा चुके हैं। जिससे ग्रामीण और शहरी इलाकों मे हड़कंप मच गया है। इस कार्य मे समुचित जांच न किये जाने के कारण हितग्राहियों के अलावा राशन दुकानदारों की भी फजीहत हो रही है। जिनके नाम कट चुके हैं, उनका राशन आना बंद हो गया है, जिससे सेल्समैन और हितग्राहियों के बीच आये दिन तकरार और विवाद हो रहा है।
प्रधानमंत्री आवास बना मुसीबत
जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना पात्रों को अपात्र बनाने का मुख्य कारण बन गई है। गरीबी रेखा मे शामिल हितग्राहियों के सत्यापन हेतु शासन द्वारा जारी गाईड लाईन के अनुसार क्षेत्र मे न रहने और लंबे समय तक राशन न लेने वालों, विवाह के बाद चले गये एवं मृत हो चुके लोगों के अलावा उन व्यक्तियों को भी अपात्र माना जायेगा, जिनके पक्के आवास बने हुए हैं। लिहाजा पीएम आवास योजना के तहत पक्का मकान बना कर रहने वाले भी अब अपने आप ही गरीबी रेखा से बाहर हो जा रहे हैं।
जुडवाने मे होगी दिक्कत
बताया जाता है कि गरीबी रेखा से यदि एक बार नाम कट गया तो उसे दोबारा जुड़वाना बड़ी टेड़ी खीर है। इसके लिये दस्तावेजों के सांथ अनुविभागीय अधिकारी के यहां आवदेन करना होता है। जिसकी जांच के बाद आरआई द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद पात्र पाये जाने पर ही सूची मे पुन: शामिल हुआ जा सकता है।