सीएमएचओ के हटाने तक सीमित न रहे कार्यवाही

सीएमएचओ के हटाने तक सीमित न रहे कार्यवाही

जिले मे स्वास्थ्य सुविधायें दुरूस्त करने अभी भी कई कडे कदम उठाने की दरकार

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश

उमरिया
कथित रूप से शराब के नशे और अंतर्वस्त्रों मे दो लोगों के सांथ बाईक राईडिंग करने वाले जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को अंतत: पद से हटा दिया गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने सीएमएचओ आरके मेहरा शिशुरोग विशेषज्ञ को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के प्रभार से मुक्त करते हुए आगामी आदेश तक क्षेत्रीय कार्यालय संचालक स्वास्थ्य सेवायें रीवा संलग्न कर दिया है। उनके स्थान पर जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. शिव ब्योहार चौधरी को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बनाया गया है। गौरतलब है कि सोमवार की शाम सीएमएचओ डॉ. आरके मेहरा एक बाईक पर दो लोगों के सांथ हाफपेंट और बनियान पहने देखे गये थे। बताया जाता है कि उस समय डॉ. मेहरा इतने नशे मे थे कि बात करते-करते वे सडक पर ही लुढक गये। इस पूरी घटना का वीडियो सोषल मीडिया पर जम कर वायरल हुआ। लगभग सभी मुख्य मीडिया संस्थानो ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। जिसके बाद से यह कयास लगाये जा रहे थे कि इस मामले मे विभाग स्तर पर कोई कार्यवाही जरूर होगी, और हुआ भी ऐसा ही। मंगलवार की दोपहर संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश द्वारा डॉ आरके मेहरा को रमन्ना थमा दिया।

बाबुओं पर कसे नकेल
सीएमएचओ डॉ. आरके मेहरा ने सिर्फ लापरवाही और संवेदनहीनता की हदें ही पार नहीं की, बल्कि जिले मे बैठी भ्रष्ट और घोटालेबाज बाबुओं की जमात को प्रश्रय भी दिया। बीते चार-पांच वर्षो के दौरान ये बाबू गरीबों, बच्चों, किशोरियों और महिलाओं के लिये संचालित स्वास्थ्य योजनाओं मे आया पैसा लूटने मे जुटे रहे। अधिकारियों के वरदहस्त ने इन लोगों को इतना दुस्साहसी बना दिया कि उन्हे शासन, प्रशासन, कलेक्टर यहां तक कि अपने वरिष्ठ कार्यालय और न्यायालय तक का भय नहीं रहा। विगत फरवरी और मार्च मे बगैर अनुमति और अनुमोदन के लाखों का भुगतान उनकी इसी ङ्क्षजदादिली का सबसे बडा प्रमाण है। ऐसे बाबुओं पर नकेल कसे बिना हालात मे सुधार होने की गुंजाईश बेहद कम है।

अस्पतालों मे नहीं मिलते डाक्टर
शासन ने विभाग को गर्त मे पहुंचाने वाले सीएमएचओ डॉ. आरके मेहरा को भले ही हटा दिया है, पर व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये अभी भी कडी मेहनत की दरकार है। इसके लिये नये अधिकारी को विशेष पहल करनी होगी। जिले के सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों मे डाक्टर, स्टाफ और दवाओं की कमी लोगों के लिये बडी समस्या बनी हुई है। जो डाक्टर पदस्थ हैं, वे समय पर अस्पतालों मे नहीं मिलते। जिसका खामियाजा मरीजों को, विशेष कर बुजुर्गो और प्रसूता महिलाओं को भुगतना पडता है। एमरजेंसी के समय जरूरतमंदों को प्राथमिक इलाज मिले तथा उन्हे सुरक्षित जिला अस्पताल तक पहुंचाया जाय, कम से कम इतना इंतजाम ही हो जाय तो बडी बात होगी।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *