परिषद ने पारित किया संकल्प, पूर्व सीएमओ पर लाखों की धांधली का आरोप
उमरिया। नगर पालिका उमरिया ने पार्षदों ने राज्य शासन से निकाय मे हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है। मंगलवार को हुई परिषद की बैठक मे सभी पार्षदों ने इस मुद्दे पर एक मतेन संकल्प पारित किया है। जिसमे कहा गया है कि विगत महीनो के दौरान मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए औचित्यहीन सामग्री क्रय की गई है। जिससे निकाय को लाखों रूपये की चपत लगी है। पार्षदों का कहना है कि जनता के पैसों की बंदरबांट मे जो लोग भी शामिल हैं, उन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिये। उनका कहना है कि शासन या तो स्वयं मामले की जांच कराये अथवा यह प्रकरण लोकायुक्त को सौंपे जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
अध्यक्ष ने बुलाया था विशेष सत्र
गौरतलब है कि विगत दिनो भाजपा पार्षदों द्वारा कलेक्टर डॉ. केडी त्रिपाठी को एक ज्ञापन सौंप कर सीएमओ श्रीमती ज्योति सिंह पर नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए लाखों रूपये के गैरजरूरी सामान की खरीदी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। ज्ञापन मे इस मामले की जांच कराने व उन्हे तत्काल हटाने की मांग की गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही सीएमओ श्रीमती सिंह का स्थानांतरण नौरोजाबाद कर दिया गया। इधर नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रश्मि सिंह ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए निकाय मे हुई खरीदी की पड़ताल के लिये पार्षदों का दल गठित कर दिया। सांथ ही इस विषय पर विमर्श और कार्यवाही हेतु परिषद का विशेष सत्र आहूत कर लिया।
मिल कर हुई बंदरबांट
परिषद मे मौजूद पार्षदों का कहना था कि विगत 3-4 महीनो मे सीएमओ, उप यंत्री, स्टोर प्रभारी तथा सप्लायरों की मिलीभगत से एक-एक लाख रूपये के अंदर आर्डर कर करीब 50 लाख रूपये की खरीदी की गई है। इसमे सीसी टीवी कैमरे, कोरोना से बचाव के मास्क, एयर कंडीश्नर, फाईल कवर, सेनेटाईजर जैसी सामग्रियां हैं, जिनका ना तो कोई औचित्य था, ना हीं ही आवश्यकता। आरोप है कि यह सामान बाजार दामो से कई गुना मंहगी कीमत पर खरीदा गया है। इस प्रक्रिया मे लाखों रूपये की बंदरबांट हुई है।
उड़ी नियमो की धज्जियां
बताया जाता है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी को मांह मे अधिक से अधिक दो बार एक लाख रूपये तक की सामग्री खरीदी का अधिकार है। इसमे भी उन्हे निर्धारित नियम, प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है, लेकिन उमरिया सीएमओ द्वारा हर महीने 8-10 लाख रूपये से ज्यादा की खरीदी और भुगतान किया गया। खरीद को अपनी अधिकारिता मे लाने के लिये एक ही आयटम के खण्ड-खण्ड आर्डर किये गये। कहा तो यह भी जा रहा है कि फर्माे के बिल और कोटेशन भी नगर पालिका के बाबुओं द्वारा भरे गये हैं। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो कई अधिकारी और कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हांथ धोना पड़ सकता है।