शांतिपूर्ण रहा किसानों का रेल रोको प्रदर्शन

राकेश टिकैत की केंद्र को धमकी, कहा – दबाव डाला तो जला देंगे फसल
 नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ गुरूवार को किसानों ने देशभर में दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक ट्रेनें रोकीं। इस प्रदर्शन का हरियाणा-पंजाब में ज्यादा असर दिखा दोनों राज्यों के कई बड़े शहरों में प्रदर्शनकारी ट्रैक पर बैठ गए। इधर, राजस्थान में जयपुर और आस-पास के इलाकों में भी ट्रेनें रोकी गईं। जयपुर में जगतपुरा रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन का ज्यादा असर देखा गया। इसके अलावा अलवर, बूंदी, कोटा, झुंझुनू और हनुमानगढ़ में भी प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोक दीं। मप्र में भी कुछ जगह रेलवे स्टेशन और रेल ट्रैक पर प्रदर्शन किया गया। वहीं हरियाणा के खरक पुनिया में बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को एक तरह से खुली धमकी दी है कि केंद्र सरकार को किसी भी तरह कि गलत धारणा नहीं होना चाहिए कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस जाएंगे। टिकैत ने कहा कि अगर वे जोर देते हैं, तो हम अपनी फसलों को जला देंगे। सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि विरोध 2 महीने में खत्म हो जाएगा। हम फसल के साथ-साथ विरोध करेंगे।सरकार पर निशाना साधते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि फसलों की कीमतों में इजाफा नहीं हुई है, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ गई हैं। अगर केंद्र ने स्थिति को बर्बाद कर दिया, तो हम अपने ट्रैक्टरों को पश्चिम बंगाल में भी ले जाएंगे। किसानों को वहां भी एमएसपी नहीं मिल रही। दिल्ली में प्रदर्शनकारियों ने मोतीनगर के पास ट्रैक जाम कर दिया। वहीं किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए मेट्रो प्रबंधन भी अलर्ट था। एहतियात के तौर पर टीकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन, पंडित श्रीराम शर्मा, बहादुरगढ़ सिटी और ब्रिगेडियर होशियार सिंह मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए।
20 हजार अतिरिक्त जवान तैनात थे
किसानों के रेल रोकने के ऐलान को देखते हुए देशभर में रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स की 20 एक्स्ट्रा कंपनियां यानी करीब 20 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए थे। इनमें से ज्यादातर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तैनात किया गया।
कानून वापसी से पहले घर वापसी नहीं
किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी ने एक बार फिर कहा है कि उनका संगठन किसानों के हितों के लिए लड़ रहा है और नए कृषि कानूनों की वापसी तक वे अपने घरों को नहीं लौटेंगे। चंढूनी ने कहा कि देशभर में पंचायत और महापंचायत जैसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों को बताया जाएगा कि केंद्र सरकार आम लोगों की नहीं बल्कि कॉरपोरेट्स की है।
रेल रोको प्रदर्शन का कहां कितना असर
राजस्थान: जयपुर के गांधीनगर स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोक दी। जगतपुरा स्टेशन पर भी प्रदर्शन किया गया। जयपुर जिले के चौमूं रेलवे स्टेशन पर आंदोलकारी पटरियों पर बैठ गए। उधर अलवर में भी ट्रेनें रोकी गई हैं। प्रदेश के 6 जिलों में रेल रोको प्रदर्शन का असर देखा गया।
हरियाणा: पानीपत में टीडीआई सिटी के पास पुल के नीचे वाले ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही रुक गई। वहां किसान ट्रैक पर बैठ गए। करीब 12.45 बजे पहुंची बांद्रा-अमृतसर पश्चिम एक्सप्रेस को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया। इससे पहले बठिंडा एक्सप्रेस डेढ़ घंटे लेट आई थी और पैसेंजर्स को लेने के लिए सिर्फ 2 मिनट रुकी थी। हरियाणा में करीब 80 जगहों पर प्रदर्शन हुए।
पंजाब: यहां 15 जिलों में 21 जगहों पर किसानों ने ट्रेनें रोकीं। पटियाला जिले में नाभा, संगरूर में सुनाम, मानसा, बरनाला, बठिंडा में रामपुरा, मंडी, संगत और गोनियाना, फरीदकोट में कोटकपूरा, मुक्तसर में गिद्दड़बाहा, फाजिल्का में अबोहर और जलालाबाद, मोगा में अजीतवाल, जालंधर में तरनतारन, अमृतसर में फतेहगढ़ में ट्रेनें रोकी गईं।
मध्यप्रदेश: देशभर के साथ ही मध्यप्रदेश में किसानों का रेल रोको आंदोलन का असर देखा गया। कृषि बिल के विरोध में रीवा, बीना और ग्वालियर में भी ट्रेनें रोकने का प्रयास किया गया। विंध्य क्षेत्र के रीवा, सिंगरौली और बरगवां रेलवे स्टेशन पर भी कांग्रेस और किसान नेता रेलवे ट्रैक तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं जा पाए। इधर, भिंड जिले से खबर है कि कृषि बिल के विरोध में भिंड के रेलवे ट्रैक पर भी किसानों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान चंबल घाटी के जननायक का बैनर लेकर किसानों ने प्रदर्शन किया। वे काफी देर तक रेलवे ट्रैक पर खड़े रहे। इस दौरान राष्ट्रीय किसान मोर्चा के कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
बिहार: किसानों के प्रदर्शन में राजनीतिक दल भी शामिल हुए। पटना में जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के कार्यकर्ताओं ने तय समय (दोपहर 12 बजे) से आधे घंटे पहले ही रेल रोकना शुरू कर दिया। कुछ कार्यकर्ता पटरी पर लेट गए, पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

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