शहीद हेमू पर सिंध समाज को गर्व
बलिदान दिवस पर याद किये गये भारत के महान सपूत हेमू कालाणी
बांधवभूमि, उमरिया
देश के महान शहीद हेमू कालाणी को उनके बलिदान दिवस पर पूज्य सिंध पंचायत द्वारा विनम्र श्रद्धांजली अर्पित की गई। इस मौके पर पर समाज के गणमान्य नागरिकों ने स्थानीय हेमू कालाणी चौक पर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जिला चिकित्सालय मे फल एवं मास्क वितरण किया। इस मौके पर सिंध समाज के अध्यक्ष शंभूलाल खट्टर ने कहा कि देश की एकता व अखण्डता के लिये अपने प्राणो की आहुति देने वाले अमर शहीद हेमू कालाणी के त्याग और बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। सिंध समाज को ऐसे सपूतों पर गर्व है। कार्यक्रम मे सिंध समाज के अध्यक्ष शंभूलाल खट्टर, वरिष्ठ समाजसेवी भगवान दास छत्तवानी, राजाराम हरवानी, सेवकराम वाधवानी, नन्दलाल वाधवानी, कामेश खट्टर, राजन खट्टर, नीरज चंदानी, भरत कोटवानी, नितिन बजाज, भरत राजपूत, राजा फुलवानी, जितेंन्द, भरत वाधवानी आदि उपस्थित थे।
नहीं मानी वायसराय की शर्त
उल्लेखनीय है कि शहीद हेमू कालानी का जन्म पश्चिमी भारत के तत्कालीन सिंध प्रांत के सक्खर शहर मे 23 मार्च 1923 को हुआ था। हेमू कालाणी को रोहड़ी शहर से गुजरने वाली अंग्रेजी सेना की हथियारों से भरी रेलगाड़ी को गिराने की योजना बनाते समय गिरफ्तार किया गया था। इस जुर्म मे उन्हे फांसी की सजा सुनाई गई। वायसराय द्वारा हेमू कालाणी को अपने साथियों का नाम और पता बताने की शर्त पर रिहा करने की पेशकश की गई, उन्होने इसे अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद 21 जनवरी 1943 को 20 साल से भी कम उम्र मे उन्हे मौत की सजा दे दी गई। फांसी से पहले हेमू से आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वे भारतवर्ष मे फिर से जन्म लेना चाहते हैं।