शहर को जल संकट मे झोकने पर उतारू सिचाई विभाग

फिजूल मे बहाया जा रहा लाखों लीटर पानी, सूखने की कगार पर उमरार
बांधवभूमि, उमरिया
सिचाई विभाग की लापरवाही के चलते इस बार जिला मुख्यालय को गर्मी से पहले ही भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है। टूटी-फूटी नहरों और देखरेख के अभाव के कारण रोजाना लाखों लीटर पानी बहा जा रहा है। आलम यह है कि मार्च के पहले हफ्ते मे ही उमरार जलाशय का पानी काफी नीचे उतर चुका है। इतना ही नहीं पानी को बांध मे स्थापित नगर पालिका के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने के लिये नालियों का सहारा लिया जा रहा है। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की कुंभकर्णी नींद नहीं खुल पा रही है। यदि इस भर्रेशाही पर जल्दी लगाम नहीं लगी तो वह दिन दूर नहीं जब जलाशय पूरी तरह खाली हो जायेगा और शहर को बूंद-बूंद के लिये मोहताज होना पड़ेगा।
खराब हो रही फसलें
दरअसल जर्जर हो चुकी नहरों तथा विभाग मे व्याप्त भारी अव्यवस्था के कारण बरसात के बाद से ही जलाशय का पानी फिजूल मे बह रहा है। इन दिनो रबी की सिचाई चल रही है, परंतु जितना पानी खेतों मे जा रहा उससे कहीं ज्यादा आसपास बह कर नष्ट हो जाता है। कई जगहों पर सूखे खेत पानी से लबालब हैं। किसानो का कहना है सिचाई पूरी होने के बाद अचानक फिर से पानी खेतों मे भर जाता है, जिससे उनकी फसलें खराब हो रही है। इस परेशानी को कोई भी देखने वाला नहीं है।
मेंटीनेंस के नाम पर डकार रहे पैसा
सिचाई विभाग मे चल रहे भ्रष्टाचार के खेल ने किसानो के सांथ अब नगरवासियों के लिये समस्या खड़ी कर दी है। बताया जाता है कि उमरार से खेतों तक पानी पहुंचाने वाली नहरें और नाली भंठ कर तहस नहस हो गई हैं। यही कारण है कि पानी खेतों मे न जा कर यहां-वहां फैल रहा है। सूत्रों के मुताबिक नहरों और नालियों की मरम्मत व साफ-सफाई के लिये हर वर्ष लाखों रूपये आते हैं, परंतु महकमे के भ्रष्ट अधिकारी एक रूपया भी इस पर खर्च करने की बजाय कागजों मे काम दिखा कर पूरी रकम डकार जाते हैं। लोगों ने बताया कि वर्षो से नहरों का रखरखाव नहीं हुआ है। इसी वजह से आज जिला मुख्यालय संकट के दोराहे पर खड़ा है।
खेत बन गये तालाब
उमरार के अमूल्य पानी को किस तरह से बर्बाद किया जा रहा है, इसका उदाहरण घंघरी ओवरब्रिज से लगे कई खेत हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि नहर से बह रहा पानी कई एकड़ क्षेत्र मे भर गया है, जिससे पूरा इलाका तालाब बन चुका है। उनका कहना है कि नहरें कब तक चलनी चाहिये, उसका पानी कहां जा रहा है, इन बातों से विभाग को कोई मतलब नहीं है।

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