रोजगार के सांथ परिसंपत्तियों का निर्माण, लिखी जा रही विकास की इबारत
बांधवभूमि, उमरिया
केन्द्र की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) आज भी विकास का सबसे बड़ा पर्याय बनी हुई है। जिले मे इसके माध्यम से जहां लोगों को 100 दिनो का रोजगार मिल रहा है, वहीं इसके जरिये ग्रामीण अंचलों मे निरंतर स्थाई परिसंपत्तियों का निर्माण भी हो रहा है। जानकारी के अनुसार मनरेगा से जल संरक्षण संवर्धन हेतु वाटरशेड के कार्य, ग्रामीण पहुंच मार्गो का निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना, अन्य योजनाओं से कन्वर्जेंस करके आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण, वृक्षारोपण, देवारण्य आदि कार्य कराये जा रहे हैं। जिसका प्रत्यक्ष लाभ ग्रामीण आबादी को मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि गांवों मे निवासरत जाब कार्डधारी परिवारों को 100 दिनो के रोजगार की गारंटी देने के मकसद से यह योजना लागू की गई थी।
64 प्रतिशत महिलाओं को मिल रहा काम
बताया गया है कि जिले मे सक्रिय जाब कार्डधारियों की संख्या 1 लाख 6 हजार 209 है। जिसमे अनुसूचित जन जाति वर्ग के 54 हजार 772 तथा अनुसूचित जाति वर्ग के 8 हजार 276 कार्डधारी हैं। अन्य वर्ग के जॉब कार्डधारियों की संख्या 43 हजार 161 है। एक जानकारी के मुताबिक इनमे से अनुसूचित जन जाति वर्ग के 36 हजार 579, अनसूचित जाति वर्ग के 5057 तथा अन्य वर्ग के 23 हजार 553 जॉब कार्डधारकों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया है। श्रमिकों मे महिलाओं की संख्या 49 हजार 705 है, जो की 64 प्रतिशत है।
121957 कार्य पूर्ण
योजना प्रारंभ से लेकर अब तक स्वीकृत कुल कार्यो की संख्या 1 लाख 35 हजार 303 है। जिसमे से 1 लाख 21 हजार 957 कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। प्रगतिरत कार्यो की संख्या 13 हजार 373 है। वित्तीय वर्ष 2022-23 मे स्वीकृत कार्यो की संख्या 8 हजार 230 थी, जिसमे से 5 हजार 434 कार्य पूरे किए गए हैं तथा 2796 कार्य प्रगतिरत है। वित्तीय वर्ष 2023 मे लेबर बजट के विरूद्ध उपलब्धि का प्रतिशत 117 रहा। वर्ष मे 5 हजार 447 जॉब कार्डधारी परिवारों को 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया। वित्तीय वर्ष मे स्वीकृत कार्यो मे मजदूरी पर 51 करोड़ 80 लाख रूपये तथा सामग्री पर 22 करोड़ 68 लाख रूपये व्यय किए गए।
विकास का प्रतीक बनी मनरेगा
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