लोहे के बाद अब सीमेंट की चढ़ाई

लोहे के बाद अब सीमेंट की चढ़ाई
50 रूपये बोरी तक बढ़ी कीमतें, पतली हो रही निर्माण क्षेत्र की हालत
बांधवभूमि, उमरिया
लोहे मे आई भारी-भरकम तेजी के बाद अब सीमेंट ने आम आदमी पर चढ़ाई कर दी है। बीते कुछ दिनो के दौरान इसमे लगभग 20 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है। बाजार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इससे पहले तक औसत क्वालिटी का जो सीमेंट 240 से 280 रूपये प्रति बोरी बेंचा जा रहा था, वह अब बढ़ कर 250 से 330 रूपये तक जा पहुंचा है। मंहगाई के प्रहार से निर्माण क्षेत्र की हातल पतली हो गई है। इन परिस्थितियों मे सभी का बजट बिगड़ गया है। उल्लेखनीय है कि भवन निर्माण मे लोहा और सीमेंट ही सबसे मुख्य वस्तुएं हैं। जिनकी कीमतें विगत एक मांह के अंदर अभी तक के सबसे उच्च स्तर पर जा पहुंची हैं।
20 रूपये पाव मे बिका लोहा
मार्च के महीने मे भवन निर्माण सामग्री की कीमतों मे आश्चर्यजनक तेजी देखने को मिल रही है। सबसे पहले लोहे के दामो मे एकाएक तेजी आई। फरवरी मे जो छड़ महज 50 रूपये प्रति किलो मे बिक रही थी, वह बढ़ते-बढ़ते 80 रूपये किलो अर्थात 20 रूपये पाव तक जा पहुंची। हलांकि पिछले दिनो इसके दाम करीब 5 रूपये टूटे हैं। फिर भी वर्तमान मे छड़ की कीमत 75 रूपये प्रति किलो के आसपास बनी हुई है। जो किसी भी लिहाज से कम नही है। लोहे के बाद मंहगाई ने सीमेंट की ओर रूख कर लिया है।
दुकानदारों की लागत बढ़ी
भवन निर्माण सामग्री के बढ़ते दामो से आम आदमी, शासकीय ठेकेदार ही नहीं स्टाकिस्ट और फुटकर दुकानदार भी परेशान हैं। उनका कहना है कि एक वर्ष के दौरान लोहे और सीमेंट के दामो मे करीब 50 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। जिससे व्यापार की लागत बढ़ती जा रही है। एक सामान्य दुकानदार को यदि माल मे पहले 20 लाख रूपये लगाना पड़ता था उसे अब उतने ही माल के लिये 30 लाख रूपये की व्यवस्था करनी पड़ रही है। व्यापार के जानकारों का मानना कारोबार मे लागत बढऩे से व्यापारियों को ब्याज पर अतिरिक्त पैसे का इंतजाम करना पड़ेगा। जिसकी वसूली भी अंतत: आम ग्रांहक से ही होगी।
पीएम आवास की राशि बढ़ाने की मांग
इधर प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों ने सरकार से योजना की राशि मे बढ़ोत्तरी की मांग कर दी है। शहरी क्षेत्र के कई हितग्राहियों ने बांधवभूमि को बताया कि लोहा, सीमेंट, रेत, गिट्टी, ईटा, मजदूरी आदि के दामो मे हुई वृद्धि के कारण आवास बनाना मुश्किल हो रहा है। उनका कहना है कि जितना पैसा सरकार दे रही है, उतने मे तो मकान की नीव तक नहीं बन पा रही है। इससे भी बढ़ी समस्या ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को है, जहां पीएम आवास हेतु महज सवा लाख रूपये दिये जा रहे हैं। जबकि शहरी क्षेत्र मे योजना के तहत प्रति मकान पर 2.5 लाख रूपये मिल रहे हैं। लोगों का कहना है कि मंहगाई को देखते हुए आवास की राशि बढ़ा कर कम से कम 5 लाख रूपये की जानी चाहिये।

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