लीकेज वाले कारम डैम से खाली हुआ खतरे का ‘पानी’

16 गांवों में संकट टला, अब नर्मदा किनारे अलर्ट; आगरा-मुंबई हाईवे पर ट्रैफिक शुरू

धारधार जिले के लीकेज वाले कारम डैम से अब पानी का बहाव कम हो गया है। शासन-प्रशासन का दावा है कि अब खतरा टल गया है। बताया गया कि डैम में 15 एमक्यूएम पानी में से करीब 10 से 12 एमक्यूएम से ज्यादा पानी खाली हो चुका है। धरमपुरी तहसील के कोठिदा गांव में कारम नदी पर बन रहे डैम में लीकेज के बाद पानी खाली करने के लिए चैनल बनाई गई थी। रविवार शाम इस चैनल के पास बांध की वॉल धंसने लगी। इससे चैनल और चौड़ी हो गई, जिसके बाद डैम से पानी काफी तेजी से निकला। फ्लो इतना तेज था कि बाढ़ जैसे हालात नजर आए। खेतों में पानी भरने लगा। हालांकि प्रशासन ने दावा किया कि किसी भी गांव में पानी नहीं भरा। कहीं से कोई नुकसान की खबर नहीं है।
अब कारम के अंतिम छोर के 2 गांवों पर फोकस
कारम नदी पर निर्माणाधीन डैम का पानी खाली होने से धार जिले के 16 गांवों ने राहत की सांस ली है। प्रशासन का पूरा फोकस अब खरगोन जिले के कारम नदी के अंतिम छोर पर बसे जलकोटा और बड़वी गांव पर है। कारण- दोनों गांव जलमग्न हो सकते हैं। महेश्वर के 6 गांवों की बिजली काट दी गई है। यहां से अफसरों ने जलकोटा की ओर कूच कर लिया है। दरअसल, कारम नदी आगे जाकर नर्मदा में मिलती है, इसका पानी नर्मदा में जाएगा, जबकि नर्मदा नदी पहले से ही उफान पर है।
संकट टला, लोग अपने गांव लौटने की तैयारी करें: CM
सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि निर्माणाधीन कारम बांध के कारण पैदा हुआ अप्रत्याशित संकट टल गया है। कुशल रणनीति से हम तबाही से मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं की भी जिंदगी बचाने में भी सफल रहे। लोग अपने गांव लौटने की तैयारी करें। आजादी का अमृत महोत्सव धूमधाम से मनाएं।
बांध पर ही तिरंगा फहराएंगे मंत्री सिलावट
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चैनल बनाकर सुरक्षित ढंग से पानी निकाला गया है। जनहानि नहीं हुई है। मंत्री ने बताया कि सीएम की अनुमति से वह स्वतंत्रता दिवस पर बांध स्थल पर ही झंडा वंदन करेंगे।
बांध फूटने की खबर गलत और निराधार: मंत्री राज्यवर्धन
मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बताया कि बांध का आधा पानी निकल गया है। डैम का पानी नजदीकी गांवों के करीब पहुंचा है, लेकिन अभी किसी गांव के अंदर नहीं घुसा है। मंत्री ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर ये भ्रामक खबर चला रहे हैं कि डैम फूट गया है। मंत्री ने सोशल मीडिया पर ही बताया कि डैम फूटने की बात गलत और निराधार है। उन्होंने लिखा कि विशेषज्ञों द्वारा जलनिकासी के लिए डैम काटा गया है, ताकि जल्दी से जल्दी पानी निकल जाए। हालात लगातार सुधरते जा रहे हैं। सुबह तक स्थिति पूरी तरह सामान्य होने की संभावना है। मंत्री ने काटे गए डैम के साथ खुद की फोटो पोस्ट की है, ताकि अफवाहों पर विराम लग जाए।
संभागायुक्त पवन शर्मा ने ये कहा
लीकेज वाली वॉल पर कट लगाकर पानी छोड़ने का प्लान किया तो ये अनुमान था कि मिट्टी ढहने से कट बड़ा होगा। पानी तेज बहाव से निकलेगा। इसके लिए पहले से तैयारी थी, हमारा पूरा अमला जुटा हुआ था। उन्होंने ये भी बताया कि एबी रोड पर पुल को पानी ने टच नहीं किया।
एबी रोड पर ट्रैफिक शुरू
कारम डैम से तेज गति से पानी के बहाव के बाद एबी रोड पर दो घंटे तक ट्रैफिक बाधित रहा। रात करीब 10 बजे शुरू कर दिया गया। धार के कलेक्टर ने बताया कि एबी रोड का जलस्तर, जो पुल के ऊपर से 3 फीट तक आ गया था, वो अब पुल के ऊपर से 14 फीट नीचे है।डैम से तेजी से निकल रही पानी की धाराओं को देखते हुए एबी रोड पर ट्रैफिक दबाव कम किया गया है। धामनोद लिंक रोड बंद कर दिया है। प्रशासन ने ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया है। इससे पहले अफसरों ने हालात के मद्देनजर आधे घंटे में 5 बार हवाई सर्वे भी किया था।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसी को भी गांवों में नहीं जाने की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने प्रशासन को भी अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए है। सीएम ने कहा कि ‘मैं अभी अपने वल्लभ भवन स्थित कंट्रोल रूम में बैठा हूं। मेरे साथ सीएस, एसीएस इरीगेशन डिपार्टमेंट की पूरी टीम बैठी है’।
​​​​​डैम की वॉल तोड़कर निकाला जा रहा पानी
इससे पहले धार में तीन दिन से सुर्खियों में बने कारम डैम की वॉल पर आखिरकार शासन-प्रशासन ने JCB चला दी थी। 50 घंटे की मशक्कत के बाद भी जब डैम को बचाने की कोशिशें नाकाम नजर आईं, ताे इसकी दीवार को तोड़ने का फैसला लिया गया था। शनिवार रात 11.30 बजे वॉल तोड़कर बांध से पानी निकालना शुरू किया गया था। ये पानी आगे जाकर महेश्वर में नर्मदा में गिरेगा। डैम फूटने के डर से धार जिले के 13 और खरगोन जिले के 6 गांवों के लोग पहाड़ों और राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ताजा हालात की जानकारी देते हुए कहा था कि, शनिवार को लगभग 10 क्यूसेक के बहाव को हम आज 30 क्यूसेक तक ले गए हैं। इसको और बढ़ाने के जो उपाय हो सकते हैं, हम उन पर भी विचार कर रहे हैं। हमारी कोशिश जल्द से जल्द बांध का पानी खाली करने की है। डैम साइट पर हमारे तीनों मंत्री तुलसीराम सिलावट, राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव और प्रभुराम चौधरी मौजूद हैं।

चैनल को धीरे-धीरे गहरा और चौड़ा करेंगे
उधर संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने बताया था कि कारम डैम के पानी की सुरक्षित तरीके से निकासी की व्यवस्था की गई है। इसके लिए जो चैनल बनाई गई है, उसके संबंध में हमारी कोशिश है कि धीरे-धीरे उसे और गहरा और चौड़ा करें, ताकि पानी की निकासी ज्यादा तेजी से हो और लोगों को वापस अपने घरों में पहुंचाया जा सके।आगे उन्होंने कहा- अस्थाई कैंप में लोगों के रहने, खाने की व्यवस्था की गई है। साथ ही सीनियर अफसरों को भी वहां तैनात किया गया है। इसी तरह पशुओं के शेल्टर की भी व्यवस्था की है। जिसमें पानी व चारे का इंतजाम है। इसी तरह हाईवे पर भी पर्याप्त टीम जुटी हुई है। कारम डैम में जहां से अभी पानी की निकासी हो रही है, हम कोशिश करेंगे कि ज्यादा मशीनें लगाकर काम और तेजी से करा लें।

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को घेरा
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा- MP में शिवराज सिंह की सरकार घोटालों की सरकार है। इनके कार्यकाल में करोड़ों घोटाले हो चुके हैं। भ्रष्टाचार की गंगा श्यामला हिल्स से बह रही है। इस सरकार के दौरान कई डैम और प्रॉजेक्ट्स घोटालों की भेंट चढ़े हैं। मध्यप्रदेश सरकार पर साढ़े 3 लाख करोड़ का कर्जा है। डैम की निर्माण कंपनी भिंड जिले की है। इसका रजिस्ट्रेशन ग्वालियर में हुआ है। कंपनी का नाम सार्थी कंस्ट्रक्शन। पहले भी टेंपरिंग मामले में इसी कंपनी का नाम आया था। इस कंपनी ने भिंड में 30 करोड़ की जलयोजना बनाई थी। सारा पेमेंट हो गया था, लेकिन अभी तक वहां कुछ भी लोगों को नहीं मिला।

नहीं हो सकी डैम की मरम्मत
जल संसाधन विभाग काे 8 दिन पहले से पता चल गया था कि डैम का जलस्तर बढ़ने लगा है। तकनीकी खामियों का भी अंदाजा लग चुका था, बावजूद सुधार काे लेकर अनदेखी की गई। इसके चलते 22 हजार से अधिक लाेगाें काे सुरक्षित जगह पहुंचाने के बाद शनिवार देर रात 44 गांवों के हिस्से के पानी काे बहाना पड़ा। मामले में सरकार की नाकामी पर सवाल उठने लगे ताे मंत्री से लेकर प्रशासनिक अमले काे माैके पर पहुंचकर व्यवस्था संभालना पड़ी।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी डैम की सिचुएशन पर नजर रखे हुए हैं। सुबह 6 बजे ही उन्होंने अपने निवास से फोन के जरिए धार और खरगोन के अधिकारियों से बात की। मौके पर मौजूद मंत्री तुलसी सिलवाट से भी स्थिति की जानकारी ली। राहत शिविरों में ठहरे लोगों के लिए भी व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिए।

ये लापरवाही आई सामने
डैम के अंदर वाले हिस्से में पाल काे सुरक्षित करने मिट्टी बिछाते समय 12 मीटर के बाद मुरम से पिचिंग की गई। दूसरी तरफ मुरम की लेयर नहीं बिछाई। 10 किमी के कैचमेंट एरिया में जलस्तर बढ़ने लगा ताे नहर के लिए लगाए गए वॉल्व काे खाेला तक नहीं। जब डैम में दरार आने के बाद पानी का रिसाव शुरू हुआ ताे उस वॉल्व काे खोलने पहुंचे। इसका मेंटेनेंस नहीं हाेने से 48 में से 24 नट ही खोल पाए, जिससे पानी का प्रेशर बढ़ता गया और डैम काे फोड़ने की नौबत बन गई।

30 लाख खर्च हुए, नागदा-गुजरी में ट्रैफिक बंद
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट की निगरानी में बांध का पानी निकालने के लिए कैनाल बनाने का काम शुरू हुआ था। 48 घंटे तक 6 पोकलेन और मशीनरी चलाने के नाम पर 30 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। देर शाम डैम की पाल काे तोड़ने के लिए मशीनें लगाई गईं। नागदा-गुजरी हाईवे का ट्रैफिक भी शाम 7 बजे बाद बंद कर दिया गया।

कांग्रेस की समिति पहुंची, देखकर लौट गए
पूर्व सीएम कमलनाथ ने मामले की जांच के लिए कांग्रेस की समिति गठित की। इसमें जिले के विधायकों समेत खरगोन जिले के विधायकों काे शामिल किया गया। समिति दोपहर 3 बजे माैके पर पहुंची। डैम का निरीक्षण कर कहा कि भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी जांच रिपोर्ट शीघ्र उच्च स्तर भेजी जाएगी। समिति में विधायक उमंग सिंघार, पांचीलाल मेड़ा, डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, डॉ. हीरालाल आदि पहुंचे थे। इसके पूर्व नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने भी यहां पहुंचकर निर्माण पर सवाल उठाए।

सीएम ने नियंत्रण कक्ष से ली जानकारी, दिए निर्देश
इधर लीकेज की खबर मिलने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मंत्रालय में विशेष बैठक ली। इसके बाद वे नियंत्रण कक्ष से लगातार राहत व बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने सुरक्षा टीम के साथ देश के अलग-अलग विशेषज्ञों से चर्चा की। उन्होंने कलेक्टर काे पशुधन और जनधन की रक्षा करने के निर्देश दिए।

पानी बढ़ेगा इसका अंदाजा था, इतना बढ़ेगा पता नहीं था
धार में जल संसाधन विभाग के ईई बीएल नीनामा का कहना है कि डैम में पानी बढ़ने पर लगाए गए मीटर से भी इसकी जानकारी मिल गई थी। पानी अचानक से बढ़ेगा इसका अंदाजा नहीं था। पानी बढ़ने से हुई समस्या को लेकर प्रशासन को अवगत कराया था। जनहानि की आशंका को देख ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुनादी करा दी थी।

निर्माण में इंजीनियरिंग के मूल सिद्धांतों का भी पालन नहीं
डैम के निर्माण में हुई लापरवाही के बारे में बताते हुए जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड एसई अशोक सोजातिया ने भास्कर से कहा- इस बांध में बड़ी गलती कंस्ट्रक्शन की गलत प्लानिंग है। जहां से रिसाव हुआ है, वहां का काम सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होता है। इसे नाले का काम कहते हैं। यह काम एक साल का होता है और बारिश से पहले पूरा कर लेते हैं। नदी गहरी होने से उसका पाट भी गहरा है। ऊंचाई अधिक और चौड़ाई कम है। संभवत: काम की गति धीमी होने से यह सब कुछ हुआ है। विभाग के ही सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर सुधीर सक्सेना ने बताया कि यह सामान्य ज्ञान है… जिस साल बांध बनाया जाता है, उस साल पूरा नहीं भरते। जितने बांध अब तक मैंने देखे हैं, सबके लिए अलग तरह की डिजाइन होती है। बांध में कितना पानी हो, यह उसकी डिजाइन पर निर्भर करता है। यह जरूर है कि पहले साल में पूरी क्षमता से पानी नहीं भरा जाता। यह बहुत सामान्य ज्ञान की बात है। अब यदि निर्माणाधीन डेम है तो फिर सोचा जा सकता है कि इतना पानी कहां से आया। इसकी व्यवस्था क्यों नहीं की।

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