रेवड़ी कल्चर देश के घातक : सुप्रीम कोर्ट

इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते केंद्र और चुनाव आयोग, मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में चुनाव से पहले रेवड़ी कल्चर को खत्म करने को लेकर सख्ती दिखाई है। शीर्ष कोर्ट ने फिर से कहा है कि ये एक गंभीर मुद्दा है। चुनाव आयोग और केंद्र सरकार इससे पल्ला झाड़कर यह नहीं कह सकते कि वे कुछ नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोदी सरकार और चुनाव आयोग इस पर रोक लगाने के लिए विचार करे। बता दें कि देश में चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक दल जनता को अपने पाले में करने के लिए कई तरह के लोकलुभावन ऐलान करती है। खास कर हर चीज मुफ्त में बांटने का प्रचलन सा चल पड़ा है। इस आम भाषा में ‘रेवड़ी कल्चर’ कहा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने फ्री बी यानी ‘रेवड़ी कल्चर से निपटने के लिए विशेषज्ञ निकाय बनाने की वकालत की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें केंद्र, विपक्षी राजनीतिक दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग , आरबीआई और अन्य हितधारकों को शामिल किया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निकाय में फ्री बी पाने वाले और इसका विरोध करने वाले भी शामिल हों। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा ये मुद्दा सीधे देश की इकानॉमी पर असर डालता है। मामले को लेकर एक हफ्ते के भीतर इसतरह के विशेषज्ञ निकाय के लिए प्रस्ताव मांगा गया है।मामले पर 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी। रेवड़ी कल्चर के खिलाफ कार्रवाई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने बताया कि ये कैसे देश राज्य और जनता पर बोझ बढ़ाता है। मोदी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इससे वोटर की अपनी राय डगमगाती है। ऐसी प्रवृत्ति से हम आर्थिक विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। चुनावों में मुफ्त की घोषणा वाले वादे के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र के वकील सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हम इस याचिका का समर्थन करते हैं। फ्री देना अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। बता दें कि इस साल जनवरी में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग दोनों से मामले को लेकर जवाब मांगा था।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *