80 की ट्रेनो की घोषणा से संभाग गायब, कटनी-बिलासपुर खण्ड मे अब कोई सुगबुगाहट भी नही
संभाग से करोड़ों रूपये कमाने के बावजूद थमाया जा रहा जनता को ठेंगा
उमरिया। कोरोना के कारण लगभग 6 महीने से बंद पड़ी यात्री ट्रेनो को कई जगहों पर चलाया जाना शुरू कर दिया गया है। हाल ही मे रेलवे ने 80 टे्रनो को चालू करने की घोषणा की है परंतु इसमे से शहडोल संभाग गायब है। इतना ही नहीं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कटनी-बिलासपुर मार्ग पर गाडिय़ों के संचालन की अब तक कोई सुगबुगाहट तक सुनाई नहीं दे रही है। बताया जाता है कि कटनी और बिलासपुर सहित अन्य सांसदों ने अपने-अपने क्षेत्रों मे अधिकांश ट्रेनो का संचालन शुरू करवा लिया है। संभाग मे ट्रेन न चलने से जहां इन पर आश्रित आम जनता से लेकर रोजी-रोटी कमाने वाले हजारों लोग तबाही की कगार पर पहुंच गये हैं, वहीं बाहर आवाजाही करने अथवा इलाज के लिये जाने वाले नागरिकों की फजीहत हो गई है। ऐसे लोगों को हर काम के लिये किराये के वाहनो पर हजारों रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं। जनता की इस मजबूरी और दुर्दशा पर सरकार और उसके नुमाईन्दे मौन है। इतना जरूर है कि कोरम पूरा करने के लिये गाहे-बगाहे रेल मंत्रालय को लिखी उनकी चिट्ठियां सोशल मीडिया पर दर्शनार्थ उपस्थित हो जाती हैं। बीते कुछ वर्षो का लेखा-जोखा देख कर लगता है कि या तो केन्द्र सरकार मे उनकी कोई बकत ही नहीं है, या उनके अंदर इच्छाशक्ति का आभाव है।
महत्वपूर्ण शहरों के लिये नहीं सीधी ट्रेन
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि रेलवे को करोड़ों रूपये राजस्व देने वाला शहडोल संभाग वर्षो से उपेक्षा का शिकार रहा है। आज भी यहां से मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, नागपुर आदि शहरों के लिये एक भी सीधी ट्रेन नहीं है। जिनमे बैठ कर वे सगे संबंधियों तक पहुंच सकें या मरीजों का इलाज करवाने ले जांय। इस दौरान बजट मे जितनी भी नई गाडिय़ां संचालित हुई उन्हे छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सांसदों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नागपुर से घुमा दिया गया। इतने बड़े अन्याय के बाद भी क्षेत्र के सांसद विरोध करना तो दूर, हमेशा अपना मुंह सिले बैठे रहे।
जहां से हुई वोटों की बारिश, वह जिला ही बेजार
शहडोल संसदीय क्षेत्र मे सबसे ज्यादा दुर्दशा उमरिया की है। यहां की जनता ने बिना चेहरा देखे सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह पर वोटों की ऐसी बारिश की थी, जो इससे पहले कभी किसी के लिये नहीं हुई। वह क्षेत्र अब अपनी बेजारी पर आंसू बहान को मजबूर है। एक समय था जब तहसील मुख्यालय होने के बावजूद उमरिया मे हर ट्रेन रूकती थी। आज जिला मुख्यालय, विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ नेशनल पार्क, संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र और काले हीरे खदानो केे बावजूद दर्जन भर से ज्यादा महत्वपूर्ण गाडिय़ां शहर को मुंह चिढ़ाती हुई गुजर जाती हैं।
सुविधा छीनी, विकास पर भी लगाया अडंग़ा
हालत इतनी बदतर है कि संभाग मे चलने वाली आवश्यक ट्रेनो को महीनो तक कभी इंटरलॉकिंग तो कभी रखरखाव के बहाने बिना किसी सूचना के बंद कर दिया जाता है। सुविधा तो दूर रेलवे ने हमेशा जिला मुख्यालय उमरिया मे विकास को रोकने की भरपूर कोशिश की है। नगर मे उमरार जलाशय से पेयजल आपूर्ति हो या फिर विकटगंज पहुंच मार्ग। कई काम रेलवे के अड़ंगों की वजह से अधूरे पड़े हैं।
संभाग के सांथ अन्याय बर्दाश्त नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस ने रेलवे के रवैये पर गहरा रोष व्यक्त किया है। मप्र कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार अडानी और अंबानी के इशारे पर संभाग मे यात्री सुविधाओं को कम कर रही है। ट्रेनो का निरस्त होना, नई गाडिय़ों को संचालित न करना तथा उमरिया मे स्टापेज नहीं देने के पीछे सरकार का केवल एक ही मकसद है कि उनके उद्योगपति मित्रों का कोयला निर्बाद्ध रूप से निकलता रहे। श्री सिंह ने भारत सरकार द्वारा क्षेत्रीय सांसद की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि शहडोल संभाग के सांथ हो रहा अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कांग्रेस इसे लेकर जल्द ही बड़ा आंदोलन करेगी।