MP मे बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे चुनाव

सुप्रीम कोर्ट का आदेश-15 दिन मे जारी करो अधिसूचना

भोपाल।सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर बड़ा फैसला सुनाया है। प्रदेश सरकार कोर्ट में यह साबित नहीं कर सकी कि अन्य पिछड़ा वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण मिलना चाहिए। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने बिना आरक्षण के ही पंचायत चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार की मांग को दरकिनार करते हुए 15 दिन में पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम चुनावों की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।

तीन साल से लंबित चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में प्रदेश में तीन साल से पंचायत और नगर निगम चुनाव नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। 15 दिन में अधिसूचना जारी करें। ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता। सरकार की ओर से ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट पेश की गई थी। उसमें दावा किया गया था कि मध्य प्रदेश में 48% आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है। इस आधार पर इस वर्ग को कम से कम 35% आरक्षण मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को अधूरा माना। कोर्ट ने कहा कि बिना ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट के आरक्षण लागू नहीं कर सकते। ऐसे में प्रदेश में अब बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव होंगे।

रोटेशन प्रक्रिया से चुनाव कराने तक
कांग्रेस नेता सैयद जफर और जया ठाकुर ने प्रदेश में पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया को अपनाने की याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से ओबीसी आरक्षण को लेकर जवाब मांगा था। सरकार ने दिसंबर 2021 में रिपोर्ट तैयार करने का समय मांगा था। समयसीमा समाप्त होने पर कोर्ट ने सरकार को 5 मई को फटकार लगाई। अगले ही दिन रिपोर्ट पेश करने को कहा था। सरकार ने 600 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में 6 मई को पेश की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
1993 से अब तक पांच चुनाव
प्रदेश में आरक्षण के नियम बनने के बाद 1993 से अब तक पांच चुनाव हुए हैं। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 20 और अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत और अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, लेकिन ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा।
राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराने को तैयार 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल करने को तैयार हैं। अधिसूचना जारी करने के लिए 15 दिन का समय पर्याप्त है। हम तो आज भी अधिसूचना जारी कर सकते हैं। हमें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार था। अब आदेश आ गया है तो हम फैसले की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। अगर राज्य सरकार रिव्यू पिटीशन लगाती है तो उस पर आने वाले फैसले का पालन करेंगे।

देशद्रोह कानून की समीक्षा तक नहीं दर्ज होंगे नए केस
देशद्रोह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से बुधवार तक अपना जवाब देने को कहा है। शीर्ष अदालत के समक्ष सरकार को बताना है कि क्या देशद्रोह कानून को रोका जा सकता है और इस कानून की समीक्षा के दौरान इसके तहत आरोपियों की रक्षा की जा सकती है? यानि अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब तक केंद्र सरकार इस कानून की समीक्षा करे, तब तक उन लोगों के केस का क्या होगा, जो देशद्रोह कानून के तहत आरोपी हैं। इसके अलावा फैसला आने तक इस तरह के नए मामले दर्ज होंगे या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उन लोगों पर भी चिंता व्यक्त की जो पहले से ही देशद्रोह के आरोपों के तहत जेल में बंद हैं। दरअसल, इससे पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर से जांच और पुनर्विचार करने का फैसला किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट में दायर नए हलफनामे में केंद्र ने कहा, “सरकार ने देशद्रोह कानून (आईपीसी 124-ए) के प्रावधानों का पुनरीक्षण और पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है।” सरकार ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर मामले में फैसला करने से पहले सुप्रीम कोर्ट से समीक्षा के इंतजार करने का आग्रह किया। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने मंगलवार को देशद्रोह कानून को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “हम आपको सरकार से निर्देश लेने के लिए कल सुबह तक का समय देंगे। हमारी चिंता लंबित मामलों और भविष्य की है, जब तक सरकार कानून की दोबारा जांच नहीं करती है, तब तक सरकार उनकी रक्षा कैसे करेगी मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया देशद्रोह कानून और भविष्य के मामलों के तहत पहले से दर्ज लोगों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र इस पर जवाब दाखिल करे कि क्या कानून की दोबारा जांच होने तक उन्हें स्थगित रखा जा सकता है?” सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हम जितनी जल्दी देशद्रोह कानून से छुटकारा पा लें उतना अच्छा है। जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम वो करने की कोशिश कर रहे हैं जो पंडित नेहरू तब नहीं कर सकते थे।

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