रहम करो…माता महाकाली
चैत्र नवरात्रि की सप्तमी पर रजत आभूषणो से सजी मां बिरासिनी
बिरसिंहपुर पाली/तपस गुप्ता। नगर मे बिराजी माता बिरासिनी का सप्तमी पर रजत आभूषणों से श्रंगार किया गया। कालरात्रि स्वरूप मे सजी माता महाकाली का स्वरूप हमेशा की तरह देखते ही बनता था। जिसके बाद मंदिर के पंडा गोपाल विश्वकर्मा द्वारा उनकी विधि-विधानपूर्वक पूजा अर्चना की गई। उल्लेखनीय है कि इस बार भी कोरोना संक्रमण को देखते पंरिसर मे श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित है। मंदिर के मुख्य द्वार पूरी तरह बंद कर दिये गये हैं, हलांकि गर्भगृह के कपाट खोले जा रहे हैं। जिससे लोग बाहर से ही मातेश्वरी से प्रार्थना कर रहे हैं। मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य एवं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष पं. प्रकाश पालीवाली के मुताबिक इस महामारी ने नवरात्र मे होने वाले विशाल समारोह को भले ही सीमित कर दिया हो, पर माता के भक्तों की आस्था अटूट है। वे दूर से ही मां बिरासिनी से सुख, शांति और इस भयंकर बीमारी से मुक्ति दिलाने तथा विश्व का कल्याण करने की गुहार लगा रहे हैं। उन्हे विश्वास है कि माता की कृपा से मानवजाति पर आया यह संकट भी जल्द ही टल जायेगा।
आाज स्वर्ण आभूषणो से होगा श्रंगार
मंदिर मे सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार नवरात्रि की सप्तमी को रजत आभूषणों के बाद आज अष्टमी को माता भवानी का स्वर्ण आभूषणों से विशेष श्रृंगार किया जाएगा। माता बिरासिनी को पीले परिधान और अधिकांशत: पीले पुष्प अर्पित किए जाएगे। माना जाता है कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां का स्वरूप बदलता रहता है परंतु अष्टमी और नवमी को उसके मुख मंडल की आभा देखते ही बनती है। मंदिर प्रबंध समिति ने बताया है कि कोरोना संक्रमण के चलते सरकार व जिला प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार इस बार सारे धार्मिक कार्यक्रम सादे तरीके से बगैर भीड़-भाड़ के संपन्न कराये जायेंगे। पुजारियों द्वारा सुबह मातारानी की पूजा-अर्चना, सायंकाल बलि पूजा का आयोजन होगा। वहीं अष्टमी तिथि पर आज माता की महाआरती भी होगी।
केवल आजीवन घी-तेल कलश
कोरोना संक्रमण के कारण इस बार माता बिरासिनी मंदिर प्रांगण मे केवल 326 आजीवन घी कलश एवं 126 तेल कलश स्थापित किये गये हें। जबकि जवारा तथा ज्योति कलशों की स्थापना नहीं की गई है।
नही होगा काली नृत्य
ज्ञांतव्य हो कि नवरात्र पर्व पर मां बिरासिनी धाम का जवारा जुलूस तथा मां काली का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहता है। इसे देखने प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार इस वर्ष भी जवारा जुलूस नहीं निकाला जायेगा।