रीजनल कॉन्क्लेव के लिये 4000 निवेशकों ने कराया पंजीयन

रीजनल कॉन्क्लेव के लिये 4000 निवेशकों ने कराया पंजीयन

उद्योगों को बढ़ावा देने 16 जनवरी को शहडोल मे आयोजित होगा कार्यक्रम

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश

उमरिया
युवाओं को रोजगार तथा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये शासन के निर्देश पर संभाग स्तरीय रीजनल कॉन्क्लेव का आयोजन आगामी 16 जनवरी को शहडोल मे किया जायेगा। इसके लिये तीनो जिलों से 5000 प्रस्तावित निवेशकों को जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है, जिसमे से अब तक 4000 इच्छुक इन्वेस्टर्स ने अपने रजिस्ट्रेशन कराये हैं। इनमे से उमरिया जिले के 1070 निवेशक शामिल हैं। अभी कॉन्क्लेव मे काफी समय है, लिहाजा इस संख्या मे और बढ़ोत्तरी की संभावना है। उल्लेखनीय है कि उमरिया, शहडोल, अनूपपुर सहित संभाग के तीनो जिले अब तक मुख्य रूप से कोयला और बिजली उत्पादन से जुड़े उद्योगों तक सीमित रहे हैं। जहां की कालरियां लगातार पुरानी होती जा रही हैं, जिससे खदानो मे नई भर्तियां नगण्य हैं, वहीं विद्युत संयंत्रों मे भी ज्यादा गुंजाईश नहीं है। जानकारों का मानना है कि उमरिया जिले मे खनिज, फुड प्रोसेसिंग, वनोपज के अलावा पर्यटन के क्षेत्र मे औद्योगिक विकास की काफी संभावनायें हैं।

सचिव देंगे योजनाओं की जानकारी
बताया गया है कि रीजनल कॉन्क्लेव मे तीन सेक्टोरियल सेशन होंगे। जिनमे बारी-बारी से पर्यटन, एमएसएमई तथा खनिज विभागों के अंतर्गत होने वाली व्यवसायिक गतिविधियों पर चर्चा होगी। प्रत्येक सेशन मे संबंधित विभाग के सचिव द्वारा निवेशकों को उद्योग लगाने पर शासन की योजनाओं, मिलने वाली सहायता और सुविधाओं की जानकारी दी जायेगी। कार्यक्रम मे संभाग के उद्योगपति, प्रस्तावित निवेशक तथा व्यापारिक संगठनो के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया जायेगा।

अन्य उद्योगों को भी मिले अनुदान
उद्योगों की स्थापना मे सबसे महत्वपूर्ण कदम राशि का निवेश है। जिसकी व्यवस्था किसी भी मध्यम या छोटे इन्वेस्टर्स के लिये कठिन है। इसे ध्यान मे रखने के लिये सरकार ने शुरूआत से ही आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया था। इस सुविधा के कारण ही देश और प्रदेश मे औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिला। पिछले कुछ वर्षो मे शासन ने सब्सिडी की क्राईटेरिया मे काफी बदलाव किये हैं। हलांकि अभी भी कुछ उद्योगों मे प्लांट एण्ड मशीनरी के लिये 40 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था है, लेकिन कई इण्डस्ट्रियां इस दायरे से बाहर हैं। निवेशकों का मानना है कि अनुदान की पात्रता सूची मे कुछ और उद्योगों को शामिल किया जाना चाहिये।

आऊट सोर्सिग व निजीकरण की नीति से नुकसान
संभाग मे सबसे ज्यादा बेरोजगारी उमरिया जिले मे है। यहां के हजारों नौजवान अभी रोजगार के लिये अपना घर-बार छोड़ कर विभिन्न प्रांतों मे भटक रहे हैं। कालरियों तथा शासकीय विभागों मे भर्ती की बजाय आऊट सोर्सिग व निजीकरण का युवाओं के भविष्य को चौपट करने मे बड़ा हांथ है। जानकारों का मानना है कि इस नीति से सिर्फ लेबर सप्लाई करने वाले दलालों और चंद उद्योगपतियों को ही फायदा है। ऐसे मे सरकार को आऊट सोर्सिग व निजीकरण की बजाय एसईसील की कोयला खदानो तथा शासकीय भर्ती की प्रक्रिया पुन: लागू करनी चाहिये।

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