येदि को हटाना भाजपा के लिए मुश्किल

बूढ़े येदियुरप्पा भी कर्नाटक में भाजपा के लिए भारी, लिंगायत मठाधीशों की चेतावनी- उन्हें हटाया तो BJP कष्ट भोगेगी

बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री पर फैसला आज ही हो सकता है। इन सबके बीच कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के मठाधीशों ने चेतावनी दी है कि येदियुरप्पा हटे तो भाजपा को कष्ट भोगना पड़ेगा। लिंगायत समुदाय अपना समर्थन भाजपा से वापस ले लेगा।कर्नाटक में रविवार को लिंगायत समुदाय के सभी मठाधीशों ने बैठक की। इस बैठक में एकजुट फैसला मौजूदा मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के पक्ष में लिया गया। मठाधीशों ने कहा कि अगर येदियुरप्पा को हटाया गया तो एक आंदोलन होगा। उधर, येदि ने कहा है कि आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

यत की भाजपा आलाकमान को 4 चेतावनियां
पहली: कर्नाटक के मशहूर लिंगेश्वर मंदिर के मठाधीश शरनबासवलिंगा ने कहा कि दिल्ली के लोगों को नहीं पता कि कर्नाटक में चुनाव कैसे होते हैं और कैसे जीते जाते हैं? यह सरकार बीएस येदियुरप्पा ने बनाई है। इसलिए उन्हें हटाना भाजपा को बड़े कष्ट में डाल सकता है।

दूसरी: शरनबासवलिंगा ने कहा- यहां के मठाधीश्वर और करीब 5 करोड़ लोग उम्मीद कर रहे हैं कि भाजपा के आलाकमान विचार करने के बाद ही फैसला लेगा। अगर ‘बिना विचार’ के फैसला लिया तो राज्य के 5 हजार मठाधीश्वरों का एकजुट विरोध केंद्र को झेलना पड़ेगा।

तीसरी: शरनबासवलिंगा बोले कि हम पूरी जिंदगी के लिए येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं कह रहे, बल्कि यह कार्यकाल पूरा करने के लिए कह रहे हैं। जो उम्र को आधार बनाकर उन्हें हटाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि येदियुरप्पा की उम्र भले ही ज्यादा हो, लेकिन उनकी शक्ति बिल्कुल युवा है। यहां बूथ लेवल तक की जानकारी मौजूदा मुख्यमंत्री को है। इस कार्यकाल में कोई दूसरा मुख्यमंत्री कबूल नहीं।

चौथी: शरनबासवलिंगा ने कहा कि 1990 से लिंगायत समुदाय भाजपा को समर्थन देता आ रहा है। इसका कारण यही है कि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से हैं। उधर, कोट्टूर के वीरशैव शिवयोग मंदिर के लिंगायत समुदाय के मठाधीश्वर संगना बासव स्वामी ने कहा कि येदियुरप्पा को हटाने का षड्यंत्र राष्ट्रीय स्वयं सेवक संगठन का है। लेकिन कर्नाटक में लिंगायत की चलती है, संघ की नहीं।’

भाजपा के लिए येदि जरूरी क्यों, 3 वजहें

भाजपा ने 2013 के विधानसभा चुनाव में बीएस येदियुरप्पा की मदद से लिंगायत समुदाय का समर्थन हासिल किया था, लेकिन लिंगायत समुदाय तब नाराज हो गया, जब येदियुरप्पा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। अलग होने के बाद येदियुरप्पा ने कर्नाटक जनता पार्टी (केजपा) बनाई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि लिंगायत वोट कई विधानसभा सीटों में येदियुरप्पा और भाजपा के बीच बंट गया था।

विधानसभा चुनाव में भाजपा 110 सीटों से घटकर 40 सीटों पर सिमट गई थी। वोट प्रतिशत 33.86 से घटकर 19.95% रह गया था। येदि की पार्टी को करीब 10% वोट मिले थे।

  1. 2014 में येदियुरप्पा की वापसी फिर भाजपा में हुई। यह येदियुरप्पा का ही कमाल था कि कर्नाटक में भाजपा ने 28 में से 17 सीटें जीतीं।

कर्नाटक में लिंगायत प्रभाव 100 विधानसभा सीटों पर
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय 17% के आसपास है। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से तकरीबन 90-100 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। राज्य की तकरीबन आधी आबादी पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। ऐसे में भाजपा के लिए येदि को हटाना आसान नहीं होगा। उनको हटाने का मतलब इस समुदाय के वोटों को खोना होगा।

येदियुरप्पा बोले- सोमवार सुबह तक आ सकता है आदेश
कर्नाटक में लीडरशिप में बदलाव की खबरों के बीच येदियुरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने या नहीं रहने को लेकर सोमवार सुबह तक पता चल जाएगा। हाईकमान ही इस बारे में तय करेगा। आपको भी उनके फैसले के बारे में पता चल जाएगा। मुझे इसकी चिंता नहीं है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक में किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

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