जिनेवा। म्यांमार में प्रदर्शन पर रोक है। इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतरकर देश में हुए सैन्य तख्तापलट का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। ऐसे में शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएससी) ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर चर्चा के लिए अत्यावश्यक सत्र आयोजित किया।यह सत्र 47 सदस्यीय संस्था के साथ फिर से संबंध स्थापित करने की अमेरिका की घोषणा के बाद आयोजित किया गया। वैसे तो परिषद के पास म्यांमार पर प्रतिबंध लागने की शक्ति नहीं है, लेकिन वह मानवाधिकार उल्लंघनों पर राजनीतिक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर सकता है। गौरतलब है कि अमेरिकी प्रशासन ने म्यांमार में तख्तापलट करने वाले नेताओं पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें म्यांमार में सैन्य तख्तापलट एक फरवरी को हुआ, जिसके विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं जबकि बड़ी संख्या में लोगों के एकजुट होने पर प्रतिबंध है और रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाया गया है। तख्तापलट के बाद आंग सान सू की समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। मानवाधिकारों के लिए उप उच्चायुक्त नाडा अल नाशिफ ने कहा कि इस माह की शुरुआत में म्यांमार की सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किया जाना वहां बड़ी मुश्किल से स्थापित किए गए लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका है। ब्रिटेन और यूरोपीय संघ द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव में सू ची और उनकी सरकार के अन्य शीर्ष नेताओं की ‘‘तत्काल एवं बिना शर्त रिहाई’’ की अपील की गई है। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेशलेट से म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉम एंड्रयूज को अपना काम करने के लिए ‘‘अधिक सहायता, संसाधन और विशेषज्ञता’’ मुहैया कराने की अपील की गई है।एंड्रसूज ने कहा, ‘‘हमें संयुक्त राष्ट्र से वास्तविक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘म्यांमार के लोगों का आप सबके लिए और दुनिया के लिए संदेश स्पष्ट है कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’ एंड्रयूज म्यांमार जाने की अनुमति दिए जाने की मांग कर रहे हैं, जिसे म्यांमा सरकार ने देने से इनकार कर दिया है।
म्यांमार में बिगड़ते हालात पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का अत्यावश्यक सत्र
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