मोदी सरकार को घेरने विपक्षी ने बनाई रणनीति

बजट सत्र दूसरा चरण आज से, वित्त विधेयक को पारित करने पर सरकार का फोकस
नई दिल्ली।बजट सत्र के सोमवार से शुरू हो रहे दूसरे चरण में मोदी सरकार की प्राथमिकता वित्त विधेयक को पारित कराने की रहेगी, वहीं, विपक्षी दल, केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरूपयोग और अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी करेगा। बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान दोनों सदनों में रणनीति तैयार करने के लिए विपक्षी दलों की बैठक सोमवार को सुबह होगी। कांग्रेस नेता के. सुरेश ने कहा कि उनकी पार्टी अडाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे को उठाना जारी रखेगी और सरकार से सवाल पूछेगी क्योंकि सत्र के पहले चरण में इस बारे में सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया था। विपक्षी दलों द्वारा सत्र के दूसरे चरण में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा विपक्षी नेताओं पर छापा मारने के मुद्दे को भी उठाने की संभावना है। वहीं, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि मोदी सरकार की प्रमुख प्राथमिकता वित्त विधेयक को पारित कराने की है। उन्होंने कहा कि बजट सत्र के दूसरे चरण में रेलवे, पंचायती राज, पर्यटन, संस्कृति, स्वास्थ्य सहित कई मंत्रालयों से जुड़ी अनुदान की मांगों पर चर्चा होगी। केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा, इसके बाद वित्त विधेयक पारित किया जायेगा। इसके बाद हम विपक्ष द्वारा उठाये गए मुद्दों पर ध्यान देने वाले हैं। हमारी पहली प्राथमिकता वित्त विधेयक पारित कराने की होगी। फिर हम विपक्ष के मुद्दों पर चर्चा करने वाले है।
31 जनवरी को हुई थी सत्र की शुरूआत
गौरतलब है कि संसद के बजट सत्र की शुरूआत 31 जनवरी को हुई थी, जिस दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण दिया था। निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। सोमवार को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2022-23 के लिए अनुपूरक मांगों के दूसर बैच का दस्तावेत सदन में पेश करेंगी। वह लोकसभा में वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का बजट भी पेश करेंगी। उक्त दोनों विषय सोमवार के लिए लोकसभा की कार्यसूची में सूचीबद्ध हैं। सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस एलआईसी, एसबीआई के समक्ष संभावित खतरे, महंगाई, बेरोजगारी, केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरूपयोग के मुद्दे को उठाएगी। टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने कहा था कि एलआईसी से जुडे निवेश प्रभाव खतरे, महंगाई जैसे विषयों का आम लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और तृणमूल कांग्रेस इन विषयों को उठाएगी।
पहले पारित हुए लंबित तीन विधेयक
राज्यसभा में लंबित विधेयकों में से तीन विधेयक पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किए जा चुके हैं जिनमें अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2019 संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2022 और संविधान (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 विधेयक जिन्हें किसी भी संसदीय जांच के लिए नहीं भेजा गया है और जो पारित होने के लिए लंबित हैं उनमें तमिलनाडु विधान परिषद (निरसन) विधेयक 2012 अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन शामिल है। संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र (तीसरा) विधेयक 2013 दिल्ली किराया (निरसन) विधेयक 2013 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2019 शामिल हैं। राज्यसभा के पास लंबित कई विधेयकों को संसद की स्थायी समिति की जांच द्वारा मंजूरी दे दी गई है और जिसके लिए असम विधान परिषद विधेयक 2013 भवन और अन्य निर्माण श्रमिक संबंधित कानून (संशोधन) विधेयक 2013 संविधान (संशोधन) सहित रिपोर्ट पहले ही पेश की जा चुकी है। 79वां संशोधन विधेयक 1992 (विधायकों के लिए छोटा परिवार मानदंड) दिल्ली किराया (संशोधन) विधेयक 1997 दिल्ली किराया (निरसन) विधेयक 2013 रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) संशोधन विधेयक 2013 भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी फार्मेसी बिल 2005 अंतर-राज्यीय प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) विधेयक खान (संशोधन) विधेयक 2011 नगर पालिकाओं के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक 2001 राजस्थान विधान परिषद विधेयक 2013 शामिल हैं।

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