महाराष्ट्र में कल फ्लोर टेस्ट

सुप्रीम कोर्ट से उद्धव को राहत नहीं, जेल में बंद नवाब मलिक और अनिल देशमुख को वोटिंग की इजाजत
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा में कल फ्लोर टेस्ट होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार शाम को 3 घंटे 10 मिनट तक चली सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट के खिलाफ, जबकि शिंदे गुट और राज्यपाल के वकील ने फ्लोर टेस्ट के पक्ष में दलीलें पेश कीं। शाम 5 बजकर 18 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इधर, कोर्ट ने जेल में बंद महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख को भी वोटिंग में हिस्सा लेने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा कि दोनों चुने हुए विधायक हैं और उन्हें विधानसभा में वोटिंग के बाद फिर जेल ले जाया जाएगा।
राज्यपाल ने दिया था फ्लोर टेस्ट का आदेश
महाराष्ट्र में 22 जून को सूरत से जिस राजनीतिक नाटक की शुरुआत हुई, उसके अहम डेवलपमेंट गुवाहाटी से लेकर गोवा में हुए, लेकिन क्लाइमैक्स अभी बाकी है। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल ने 30 जून को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। शिवसेना इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
सिंघवी, कौल और मेहता ने रखीं दलीलें
शिवसेना की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। वहीं, शिंदे गुट की तरफ से पेश हुए एडवोकेट नीरज किशन कौल ने पैरवी की। एडवोकेट मनिंदर सिंह कौल की दलीलों का समर्थन करने खड़े हुए। आखिर में राज्यपाल की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं।
शिवसेना फ्लोर टेस्ट के खिलाफ, शिंदे गुट समर्थन में
इससे पहले सिंघवी ने फ्लोर टेस्ट पर आपत्ति जताते हुए दलील दी कि 16 बागी विधायकों को 21 जून को ही अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में इनके वोट से बहुमत का फैसला नहीं किया जा सकता। ​​​​सिंघवी ने मांग की है कि या तो बहुमत का फैसला स्पीकर को करने दें या फिर फ्लोर टेस्ट टाल दें। ​वहीं, कौल ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार ही नहीं, उद्धव की पार्टी भी अल्पमत में आ चुकी है। ऐसे में हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट कराना ही सबसे बेहतर विकल्प है। इसे टाला नहीं जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे के साथ गए विधायकों ने शिवसेना नहीं छोड़ी है। बहुमत उनके साथ है, इसलिए वही असली शिवसेना हैं।
सुप्रीम कोर्ट में नबाम रेबिया केस का जिक्र
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश के बर्खास्त CM नबाम तुकी की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने कांग्रेस के 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने पर रोक लगाई थी।सीएम नबाम तुकी ने राज्यपाल को 14 जनवरी 2016 को विधानसभा सत्र बुलाने को कहा था, जबकि राज्यपाल ने दिसंबर 2015 में ही सत्र बुला लिया। इससे संवैधानिक संकट पैदा हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के इस फैसले को गलत ठहराया। विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *